पति या यूं कहे बेचारा पति! एक तरफ मां और एक तरफ श्रीमती जी। मां की सुने तो मां का लाल और पत्नी की सुन ले, तो जोरू का गुलाम। हाय रे! कितना मुश्किल है ये पति होना। पत्नी की ना माने तो मुझसे बात मत करो वाला ताना और मां की ना माने तो बुढ़ापे में कोई नहीं सुनता बुढ़िया की वाला ताना। कहना थोड़ा ऊटपंटाग है पर दो पाटों में पिस गया पति बेचारा।
पत्नी और मां दोनों रिश्ते एक पति के लिए अहम होते हैं। एक सारी दुनिया छोड़ के उसके पीछे आई है। जो सिर्फ दुनिया में ही उसके लिए आई है पत्नी। दूसरा रिश्ता मां जो मौत से लड़कर उसको दुनिया में लाई है। दोनों रिश्तों को साथ में लेकर चलना कितना मुश्किल है इन पतियों के लिए।
कैसे दुविधा में फंसते हैं पति?
- पत्नी की माने तो मां नाराज और मां की माने तो पत्नी नाराज।
- पत्नी की केयर करें तो मां को दिक्कत।
- मां की ज्यादा केयर करें तो पत्नी को दिक्कत।
- दोनों को एक समान समझे तो भी परेशानी।
- दोनों की लड़ाई में किसी एक के पक्ष में बोल जाएं तो दिक्कत।
- दोनों के झगड़े को चुपचाप सुनते रहें तो दिक्कत।
कैसे चक्की के दो पाटों में पिसता है पति?
मां सोचे बहु कर रही है बेटा दूर
सास और बहु के रिश्ते में खटास होना लाजिमी है। सास बहुत बार असहज हो जाती है अपने बेटे को लेकर। बचपन से लेकर जवानी तक उसकी हर चीज का ख्याल रखती है। शादी के बाद दूसरे दिन ही एक मां के अपने बेटे पर से सारे हक छीन से जाते हैं। क्योंकि अब पत्नी आ गई है उसका ख्याल रखने के लिए। एक मां को ये लगता है कि उसका बेटा उससे बहु दूर कर रही है। हालांकि ये कई मामलों में असत्य भी हो सकता है। लेकिन ज्यादतर कारण ये ही होता है। कुछ ही बात होने पर उसको ये ही लगता है बहु बेटे को पूरा दिन सिखाती रहती है। इन सास-बहु के चक्कर में पीसता बेचारा पति है।
पत्नी सोचे मां को देता है ज्यादा अहमियत
पत्नी भी उस वक्त ज्यादा असहज महसूस करने लगती है जब उसका पति उसकी बातों पर गौर न करके मां की बात सुनता रहता है। पत्नी को ये लगने लगता है कि मैं सिर्फ इस शख्स के लिए सब कुछ छोड़कर आई हूं और ये मुझे पुछता तक नहीं है। पति का हर बात में मां की हां में हां मिलाना पत्नी को बर्दाश्त नहीं होता है। बहुत बार गलती नहीं होने के बाद भी वो पति पत्नी की लड़ाई हो जाती है। पत्नी को ये बात अच्छी नहीं लगती। वो फिर सास से कटने लगती है।
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दोनों को समझाने की कोशिश करे पति
जब मां और पत्नी की आपस में बन नहीं पा रही है। मां बेटे को जोरु का गुलाम कह रही है। पत्नी पति को मां का चिपकु या मां का लाडला कह रही है। इन तानों को पति को हंसकर टालना होगा। आपको हंसी मजाक से दोनों को हैंडल करना है। जोरू का गुलाम कहे जाने पर आपको मां को समझाना है। मां से कहना है कि मैं अपनी पत्नी के लिए सब काम करता हूं आप जोरु का गुलाम कहें तो भी मुझे मंजूर है। मुझे आपकी बातों से बुरा नहीं लगता है। जो मेरे लिए यहां आई है उसकी हेल्प करवाने पर मैं प्राउड फील करता हूं।
पत्नी द्वारा मां का लाडला कहे जाने पर आपको अपनी पत्नी को समझाना है। अपनी पत्नी को प्यार से बैठकर समझाएं। उसको ये कहे कि ये मेरी मां हैं। मेरा इनके लिए फर्ज बनता है। मुझे अपना फर्ज निभाना है और इसमें मुझे तुम्हारा साथ चाहिए। तुम मेरी अर्धांगिनी हो। तुमसे बेहतर मुझे कोई नहीं समझ पाता। आपके द्वारा कहे गए ये जादूई शब्द दोनों के बीच की कड़वाहट को दूर कर सकते हैं।
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ये निजी विचार है। द यूनिक भारत का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है।
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