क्या आप दिल्ली में वादियों से भी ज्यादा खूबसूरत जगह की उम्मीद कर सकते हैं। लेकिन दिल्ली में एक ऐसी जगह है। जो वादियों से खूबसूरत है। जहां अनूठी शांति है। जहां आप सुकून महसूस कर सकते हैं। इस जगह का हर कोना हरियाली से भरा है। फूलों के रंगों से रंगीन, भीनी-भीनी प्राकृतिक सुगंध व चिड़ियाओं की चहचहाहट से गुलजार है।
हालांकि दिल्ली की स्थिति को देखते हुए फिलहाल देश की राजधानी की पहचान कूड़े के पहाड़ और प्रदूषण के तौर पर होने लगी है। सांसों की परवाह किए बगैर ही इमारतों और सड़कों के निर्माण के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है। लेकिन इसी दिल्ली में कुछ लोग ऐसे भी है जो घरों की छतों, बाल्कनी व कोनों में ही पेड़ पौधों को लगाकर पर्यावरण व प्रकृति को बचाने में सहयोग कर रहे हैं। उन्हीं में से एक हैं दिल्ली के लक्ष्मी नगर निवासी दीपक बब्बर। जिन्होंने अपनी छत पर बगीचे के रूप में ही प्रकृति को आमंत्रित किया है। दीपक पेशे से शिक्षक हैं। मार्शल आर्ट ट्रेनर हैं। फिटनेस व हेल्थ फ्रीक हैं व विज्ञान के अच्छे ज्ञाता हैं।
120 गज में लगाए 2000 से ज्यादा प्लांट
लक्ष्मी नगर के एक फ्लैट की चौथी मंजिल पर यह वादियों से भी खूबसूरत गार्डन देखने को मिलता है। यह 120 गज की जगह है। जिसपर करीब 2000 हजार पौधे लगाए गए हैं। ये सभी प्लांट्स अलग-अलग वैरायटी के हैं। जिसमें कुछ ऐसे प्लांट्स भी हैं जो सिर्फ पहाड़ों पर मिलते हैं लेकिन इस गार्डन में भी हैं। यह वास्तव में हैरान कर देने वाला गार्डन है। इस गार्डन में करीब 200 से ज्यादा बोनसाई हैं। इसके साथ ही 70 किस्मों के कैक्टस हैं। इस गार्डन में तमाम औषधीय पौधे भी हैं। जिसमें अश्वगंधा, रामा तुलसी, श्यामा तुलसी, करी पत्ता, पत्थरचट आदि शामिल है। इस गार्डन में किचिन गार्डन को भी अलग से तरजीह दी गई है। जिसमें लहसुन, मिर्च, आलू व अन्य सब्जियां उगाई जाती हैं।
पौधों से करते हैं गुफ्तगू
दीपक जी का पौधा के प्रति प्रेम विचित्र है। वे अक्सर पौधों से गुफ्तगू करते हुए भी नजर आते हैं। दीपक का कहना है कि ‘पौधों से सिर्फ मैं ही नहीं, पौधे भी मुझसे बातें करते हैं’। वे मुझे अपना दुख सुनाते हैं। वे मुझे बदलते मौसम के मिजाज बता देते हैं। वे मुझसे नाराज भी होते हैं। जब वे मेरे काम से संतुष्ट होते हैं तो मेरी तरफ मुस्कुराते भी हैं। दीपक का कहना है कि सभी को अपने पौधों के इशारे समझने चाहिए। गार्डन में आते ही उनके हाल पूछने चाहिए। अगर आप पानी देना भूल गए थे तो जल्दी से अपनी गलती स्वीकार कर पानी देना शुरू कर देना चाहिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो आपसे ज्यादा पौधे आपको प्यार करेंगे।
वैज्ञानिक आधारों के साथ अंधविश्वास पर चोट
गार्डनिंग से जुड़े कई अंधविश्वासों पर यह गार्डन गहरी चोट मारता है। लोगों में भ्रांति है कि घर में पीपल या बड़ का पेड़ नहीं लगाना चाहिए। लेकिन इस गार्डन में कई पीपल और बड़ के पेड़ देखने काे मिलते हैं। वहीं लोगों का कहना होता है कि घर में कैक्टस नहीं लगाने चाहिए। ये घर के लिए अशुभ होते हैं व नाकारात्कता की निशानी होते हैं। वहीं इस गार्डन में 200 से ज्यादा कैक्टस लगे हुए हैं। इस संबध में दीपक का कहना है कि कैक्टस सकारात्मकता की निशानी हैं। किसी भी परिस्थिति में जीवन जीने का संदेश देते हैं। वहीं दूसरी ओर लोग बोनसाई को पौधों के साथ होने वाली क्रूरता का नाम देते हैं। वहीं इस गार्डन में 200 से ज्यादा बोनसाई हैं। इस संबंध में दीपक का कहना है कि यह एक कला है। अगर यह क्रूरता है तो हम हर गमले में लगे सामान्य पौधे के साथ भी क्रूरता करते हैं। क्यूंकि हम गमले में लगे पौधे की जड़ों को भी एक निश्चित क्षेत्रफल में बांध देते हैं। जड़ों को पूरी तरह फैलने का मौका नहीं देते। जब जड़े़ अधिक फैलने का प्रयास करती हैं तो उन्हें रीपॉटिंग के नाम पर काट देते हैं। इसका अर्थ है कि सभी तरह के पौधों को घर में लगाना क्रूरता है। वास्तव में ऐसा नहीं है। बोनसाई एक कला है। अगर ऐसा होता तो कोई भी बाेनसाई प्लांट फलता या फूलता नहीं। लेकिन बोनसाई प्लांट्स पर फल भी खूब आते हैं और फूल भी।
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घर को बनाया पौधों का रेस्क्यू सेंटर
कोई अपना आशियाना बनाने के लिए पेड़ों को काट रहा है तो काेई अपने आशियाने को ही पौधों का घर बना रहा है। ऐसा ही व्यक्तित्व है दीपक बब्बर। दीपक पौधों का रेस्क्यू सेंटर भी चलाते हें। उन्हें जैसे ही जानकारी मिलती है कि भवन या सड़क निर्माण के दौरान पौधों को उखाड़ दिया गया है तो वे तुरंत अपने सहायक शंकर और नितिश के साथ उन पौधों का रेस्क्यू करने पहुंच जाते हैं। वे बड़े पौधों को उचित जगह पर रोपित करते हैं। वहीं बहुत से पौधों को अपने गार्डन में लाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपने एक और घर की छत को पौधों का रेस्क्यू सेंटर बना रखा है।
ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का करते हैं प्रयोग
दीपक का कहना है कि अगर हम कैमिकल वाले फर्टिलाइजर या पेस्टिसाइड्स की मदद से गार्डनिंग करते हैं तो इससे अच्छा है कि गार्डनिंग न करें। क्योंकि यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में आपका योेगदान होगा। दीपक अपने गार्डन में ऑर्गनिक फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करते हैं। इसमें किचिन वेस्ट का प्रयोग किया जाता है। बायो फर्टिलाइजर तैयार किए जाते हैं। एंटी पेस्ट प्लांट्स गार्डन लगाए गए हैं।
हर किसी को देते हैं पौधों का उपहार
दीपक की बागवानी को देखने के लिए अक्सर लोग उनके घर पहुंचते हैं। वे अपने घर पर आए प्रत्येक मेहमान या दोस्त को उपहार स्वरूप पौधे भेंट करते हैं। इसके साथ ही बहुत से लोग इन्हें भेंट करके जाते हैं। इसके साथ ही दीपक इस समाज को संदेश देना चाहते हैं कि गार्डनिंग जीवन जीने की कला है। हर किसी को अपने लिए मी टाइम( me time) रखना चाहिए। यह मी टाइम कभी भी फोन में व्यर्थ नहीं करना चाहिए। दीपक अपना मी टाइम पौधों व किताबों के साथ व्यतीत करते हैं। कहते हैं
जिसके पास पुस्तकालय और बगीचा दोनों हैं तो जिंदगी में आपके पास वो सबकुछ है जो जीने के लिए चाहिए।