गर्मी के दिनों में बर्फ डालकर पानी पीना और दूध वाली चाय की जगह आइस टी और कोल्ड कॉफी पीना नॉर्मल है। वही ऐसे में गन्ने के रस को पसंद करने वाले लोग खुद को हाइड्रेट रखने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा गन्ने के रस का सेवन करने लगते हैं। इसमें मैग्नीज, पोटेशियम, जिंक, कैल्शियम, क्रोमियम, मैग्नीशियम और कोबाल्ट और फास्फोरस जैसे तत्व होते हैं। लेकिन बर्फ वाले जूस का सेहत पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है। सर्दी-जुकाम के साथ यह हमारें लंग्स को भी खराब कर सकता है।
हेपेटाइटिस ए और ई वायरस होने का रिस्क
कई बार घर की फ्रिज में भी महीनों बर्फ जमकर पड़ा रहता है। बर्फ अगर साफ पानी से नहीं जमाया गया है, पानी गंदा है तो उससे हेपेटाइटिस ए और ई वायरस होने का रिस्क रहता है। वहां भी गंदगी होती है जो हमें बीमार करती है। जॉन्डिस होने के पीछे भी यही कारण है।
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माइग्रेन के दर्द का बढ़ सकता है
ज्यादा ठंडा पानी सेहत को कहीं न कहीं प्रभावित करता है। जब आप ठंडा पानी पीते हैं तो यह आपके नाक और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को ब्लॉक कर देता है। : यह दूसरों के मुकाबले माइग्रेन वालों को ज्यादा तकलीफ दे सकता है। जो माइग्रेन के दर्द को बढ़ा देता है। जब यह लेयर जम जाती है तो रेस्पिरेशन यानी सांस लेने में समस्या होती है। रेस्पिबर्फ वाला पानी पीने से नाक में रेस्पिरेटरी म्यूकोसा बनता है, जो रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की एक प्रोटेक्टिव लेयर होती है। रेटरी ट्रैक्ट कई संक्रमणों की चपेट में आ जाता है, जिससे गले में खराश होती है।
बर्फ वाला पानी पीने से होने वाली परेशानियां
बर्फ का पानी ठीक तरह से बॉडी को हाइड्रेट नहीं कर पाता है। हर वक्त बर्फ वाला पानी पीने से शरीर में मौजूद फैट आसानी से बर्न नहीं हो पाता है। आमतौर से बॉडी टेम्प्रेचर 37 डिग्री तक होता है। जब आप बर्फ का पानी पीते हैं तो शरीर को टेम्प्रेचर मेंटेन करने के लिए बहुत सारी एनर्जी खर्च करनी पड़ती है। हमेशा 20 से 22 डिग्री टेम्प्रेचर वाला पानी ही पीना चाहिए। कभी भी खाने के तुरंत बाद बर्फ वाला पानी पीने से बचना चाहिए। यह शरीर को नुकसान पहुंचाता है। पानी जब बहुत ठंडा होता है तो थोड़े से पानी से ही आपको ऐसा महसूस होगा, जैसे बहुत ज्यादा पानी पी लिया हो
बाहर से बर्फ खरीदकर लाते हैं, उससे होने वाला नुकसान
अगर बर्फ को जमाने के लिए ज्यादा कार्बन मोनो डाइऑक्साइड यूज करते हैं तो वो पाचन को खराब करता है। ज्यादा बर्फ का पानी आप पीते हैं तो उससे कार्बन मोनोऑक्साइड के मोलेक्यूल्स पेट में चले जाते हैं तो लंग्स भी खराब होता है। खाने-पीने की चीजों को ठंडा करने वाला बर्फ खतरनाक है। वहीं, सड़क किनारे बर्फ के गोले से लेकर जूस तक में फैक्ट्री में बनी बर्फ का ही इस्तेमाल किया जाता है।बाहर जो बर्फ मिलती है वो आर्टिफिशियल होती है। उसे जमाने का तरीका हाइजीनिक नहीं है।