WhatsApp Group Join Now

नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट ने ज्वार की पांच प्रजातियों में किए गए शोध में दावा किया है। ज्वार के डंठल से छह स्टार्ट अप शुरू हो सकते है, जिसकी तकनीक इंस्टीट्यूट ने तैयार की है। ज्वार का डंठल जिसे मीठी चरी कहते हैं। उससे छह तरह के स्टार्ट अप शुरू किए जा सकते हैं। दावा है कि मीठी चरी से इथेनॉल, वैनिला स्वाद वाला एजेंट वैनिलीन, शहद से कम कैलोरी वाली चीनी बनेगी। नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट ने शोध करके तकनीक विकसित की है। नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट ने ज्वार की पांच प्रजातियों में किए गए शोध में दावा किया है। ज्वार के डंठल से छह स्टार्ट अप शुरू हो सकते है, जिसकी तकनीक इंस्टीट्यूट ने तैयार की है। ज्वार के डंठल से फाइबर, बिजली, इथेनॉल, बॉयो चार, वैनिलीन और लो कैलोरी शुगर बनेगी।

 

 

 

शोध तकनीक को पेटेंट कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी

 

एनएसआई के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने बताया कि इन सभी शोध तकनीक को पेटेंट कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च के सहयोग से ज्वार की पांच प्रजातियों पर काम किया। हरित ऊर्जा, डाइट फाइबर और चीनी का पीलापन दूर करके अधिक सफेद बनाने वाला बॉयो-चार बनाया जा सकता है। एनएसआई के शर्करा विभाग के सभागार में निदेशक ने शोधार्थियों ने बताया कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।

 

 

 

ज्वार पैदा करने वाले किसान नए स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं

अभी तक मीठी चरी का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। ज्वार पैदा करने वाले किसान और कोई भी नए स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट के फार्मों में जिन ज्वार की जिन पांच प्रजातियों पर काम गया, वे प्रदेश की जलवायु के अनुरूप हैं। जूस से लो कैलोरी शुगर बनाई जाएगी। इसमें अच्छा स्वाद और सोंधापन रहेगा। इससे जेम-जैली भी बना सकते हैं। डंठल को पीसकर जूस निकालेंगे। इस जूस से इथेनॉल बनाएंगे। एक टन जूस में 50 लीटर इथेनॉल बनेगा।

 

 

 

 

 

अन्य खबरों को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

 

वैनिला का स्वाद पैदा करने वाला एजेंट वैनिलीन मिलेगा

 

यह एजेंट वैनिला बींस से बहुत सस्ता होगा, इसका प्रयोग बेकरी, कन्फेक्शनरी, पेय पदार्थ, दवा उद्योग में हो सकता है। जूस निकालने के बाद डंठल का जो कचरा (बगास) बचेगा, उससे वैनिला का स्वाद पैदा करने वाला एजेंट वैनिलीन मिलेगा। डाइट फाइबर मिलेगा, इसे पाचन तंत्र दुरुस्त रखने वाले खाद्य पदार्थों में मिलाया जा सकता है। बगास का इस्तेमाल हरित ऊर्जा उत्पादन के ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है। यह एक प्रकार का चारकोल है। चीनी का पीलापन हटाने में इसका इस्तेमाल हो सकता है।

WhatsApp Group Join Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *