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महिला काव्य मंच इकाई हिसार द्वारा एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता मंच की अध्यक्ष सीमा शर्मा ने की। गोष्ठी की शुरुआत पूनम मनचंदा ने मधुर स्वरों में मां वीणापाणि की वंदना से की।
मंच की अध्यक्ष और वरिष्ठ कवयित्री सीमा शर्मा ने अपनी रचना कुछ यूं प्रस्तुत की…

“कभी अपनी अंतरात्मा में भी, उजास किया करो,

बुराई को अच्छाई से तराश किया करो।

बहुत ही आसान है अवगुण दूसरों के देखना,

ईमानदारी से अपनी तलाश किया करो।”

मंच की उपाध्यक्ष डिम्पल सैनी ने अपनी भावों से भरी कविता सुनाकर कल्पना लोक में पहुंचा दिया।

“कई रातों की सुगंधित कहानियां मुझे ले पहुँची घने जंगलों के बीच,

माथे पर मणि साजे सैकड़ों सांपो से लिपटे चंदन के उन पेड़ों से मैं भी लिपट जाती,

अगले ही पल गोद में उठाकर वो ढेर सारे नाग अपने फनों पर मुझे झूला झुलाते ..”

मंच की महासचिव पूनम मनचंदा ने हनुमान जन्मोत्सव पर दोहे गाकर सबका दिल जीत लिया।

“सच्चे मन से जो धरे, बजरंगी का ध्यान।

उसके संकट नित हरे, रामभक्त हनुमान।।

राम राम रटते रहें,राम भक्त हनुमान।

हृदय बिठा कर वे करें,राम नाम रस पान।।” 

डॉ प्रज्ञा कौशिक ने अपनी बेहतरीन रचना के माध्यम से खूब सराहना पायी। 

“हर किसी को आज एक तलाश है,

किसी को खुद में खुदा की तलाश है,

तो किसी को खुदा के वजूद की ही तलाश है”

कवयित्री नीलम सुंडा ने अपनी कविता में दिल के उद्गार कुछ यूँ व्यक्त किये

“एक अजीबोगरीब सी कहानी है मेरी,

अक्सर जहन में गूंजता है एक सवाल,

के क्या मैं अपनी अजीबोगरीब कहानी की नायिका बनूँ?

फिर सोचती हूँ के क्या किसी नायिका में मुझ जैसी खामियाँ रही होंगी” 
काव्य गोष्ठी के समापन पर मंच की अध्यक्ष सीमा शर्मा  ने और महासचिव पूनम मनचंदा ने सभी कवयित्रियों का साहित्य सरिता बहाने पर आभार व्यक्त किया।

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