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शायना खान! थिएटर जगत का चमकता सितारा। जिसका अभियन दर्शकों के साथ डायरेक्टर्स को अपना दीवाना बना देता है। जो मुस्लिम धर्म से संबंध रखने के बावजूद अपनी कला और भाव भंगिमाओं से किरदार को इस कदर जीवित कर देती हैं कि हिंदू धर्म और इतिहास से संबंधित नाटकों में लीड राॅल उन्हें मिलते हैं। मध्यप्रदेश के भोपाल निवासी शायना खान फिलहाल रामायण में कौशल्या के किरदार से सुर्खियों में बनी हुई हैं। इससे पहले वे महाभारत, अहिल्याबाई, जय कन्हैया लाल की जैसे सीरियल्स और नाटकों में रोल प्ले कर चुकी है। आइए उन्हीं के शब्दों में जानते हैं उनके अभिनय का रोमांचकारी सफर…

हिंदी और संस्कृत दोनों भाषाओं में पारंगत हैं शायना

शायना ने बताया कि उर्दू के साथ हिंदी भाषा में अच्छी पकड़ रही है। इसके साथ ही उन्होंने संस्कृत की भी पढ़ाई की है। उनका यही हुनर उनकी कला के साथ जुड़ गया। जिसकी वजह से वह आध्यात्मिक, एतिहासिक नाटाकों में अच्छी पकड़ रखती हैं। पुनीत इसर का नाटक रामायण का दिल्ली मुंबई सहित कई मुख्य शहरों में मंचन किया जा चुका है। अब हाल ही में इसका शो दुबई में भी होगा।  जल्द ही उनकी हिंदी फिल्म गोदाम रिलीज होने वाली है।

मिस और मिसेज एमपी हैं शायना

शायना लंबे समय से अभिनय से जुड़ी हुई हैं। वह मिस और मिसेज एमपी भी रही हैं। वह बताती हैं कि अभिनय की दुनिया में उम्र कभी बाधा नहीं बनती है। उम्र के अनुसार किरदार बदलते रहते हैं। हमें उसे स्वीकार करना चाहिए। 

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आर्टिस्ट का समुंदर है मुंबई

शायना खान ने बताया कि मुंबई में पैर जमाना आसान नहीं था। यहां पानी के समुंदर के अलावा कलाकारों का समुद्र है। जिसमें जाते ही हजारों लोग खो जाते हैं। उनमें से खुद को सबसे अलग साबित करना मुश्किल है। शायना गोदाम जैसी हिंदी फिल्म में काम कर चुकी है। कई टीबी सीरियल्स में भी अभिनय किया है। उन्होंने बताया कि यहां आने के बाद कलाकार को अपना उद्देश्य नहीं भूलना चाहिए। उसे हमेशा खुद को साबित करने का प्रयास करना चाहिए। 

सुंदरता से ज्यादा यहां हुनर को मिलता है मंच

शायना खान बताती हैं कि कि यहां जो खुद को सुंदर समझकर मुंबई में हीरो बनने आए हैं उनके लिए यह डगर काफी मुश्किल है। यहां सुंदरता से ज्यादा हुनर को काम मिलता है। यहां आने के लिए जरूरी है कि होमवर्क और सेल्फवर्क करके आए। उन्होंने बताया कि वह कॉलेज टाइम से ही मंच संभाल रही थी। तमाम नाटक में काम किया। मेरा सेल्फवर्क और होमवर्क पूरा था तो यहां आते ही काम मिलना शुरू हो गया। 

लौटने के लिए भी तैयार रहें 

शायना बताती है कि मुंबई जाना आसान है। वहां रुकना और लौटना मुश्किल। आपकी बचत कम खत्म होगी इसका अंदाजा भी आप नहीं ला पाएंगे। इसलिए एक स्ट्रांग सेविंग और अच्छे बैकग्राउंड के बाद यहां कदम रखें। अगर आपको अपने हुनर पर विश्वास है तो यहां बिना बजट के आने वाले भी अच्छा मुकाम हासिल कर लेते हैं। इसके बाद जो सबसे जरूरी बात है कि वक्त रहते लौट जाना। यानि बहुत सा युवा वर्ग यहां बिना तैयारी के आता है और काम की तलाश पूरी नहीं होने पर परेशान रहता है। यहां बिना काम के सालों बिताते हैं। परिवार को भी सच्चाई नहीं बताते। ऐसे में जरूरी है कि वक्त रहते यहां से लौट जाएं। 

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