हवा को शुद्ध करने वाले या औषधीय प्लांट तो आपने काफी देखे होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि एक प्लांट ऐसा भी है जिसकी गंध से ही सांप या अन्य जहरीले कीट दूर भागते हैं। इस पौधे का नाम सर्पगंधा है। ऐसा माना जाता है कि यदि यह प्लांट आपके गार्डन में लगा हुआ है तो आपके घर के आसपास भी सांप नहीं भटक सकता है। आयुर्वेद में इस पौधे का जिक्र मिलता है, जिसकी गंध से ही सांप दूर भाग जाते हैं। विशेष गुण के कारण इसे सर्पगंधा के नाम से ही जाना जाता है। चरक संहिता में विषैले जीवों के काटने के बाद उपचार के रूप में सर्पगंंधा का प्रयोग बताया गया है। आयुर्वेदाचार्य पं. अरुण शुक्ल के अनुसार सर्पगंधा एक अनूठी प्राकृतिक औषधि है। महर्षि चरक ने (1000-800 ई.पू.) सर्पगंधा का जिक्र सर्पदंश के उपचार हेतु औषधि के रुप में किया है।
इसके साथ ही इससे अनिद्रा, हिस्टीरिया और तनाव में आराम मिलता है। यह उच्च-रक्तचाप के लिए रामबाण औषधि है। इसके गुणों को देखते हुए लोग अपने गार्डन में लगाना पसंद कर रहे हैं। कई जगहों पर इनकी खेती की जाती है।
गमले में लगाया जा सकता है सर्पदंश
सर्पदंश के प्लांट काे आसानी से गमले में लगाया जा सकता है। यह पौधा काफी छोटा होता है। इसकी जड़ों का रंग भूरे रंग का होता है। इसकी पत्तियों का रंग चमकीला हरा होता है। इसकी पत्तियां तीन-तीन के जोड़े में होती हैं। इसके फूल का रंग सफेद होता है। इसकी केयर करना भी बेहद आसान है। जहरीले जीव जंतु इस प्लांट से आने वाली गंध से दूर भागते हैं। बिच्छू के काटने पर भी इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने पर फायदा मिलता है। इसके साथ ही पौधे के पत्तों व जड़ों से कई औषधी बनाई जाती है। जो कई बीमारियों से मुक्ति दिलाती है। लेकिन इस पौधे का औषधी के तौर पर प्रयोग करने से पहले पूरी जानकारी होना जरूरी हे। इसमें बारिश के मौसम में सिंदूरी कलर के पुष्प आते हैं। यह बिल्कुल तुलसी के पौधे की तरह ही होता है।
अजब है सर्पगंधा की गंध
मध्यप्रदेश जबलपुर के स्टेट फारेस्ट रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. एसके पांडेय बताते हैं कि सर्पगंधा का वैज्ञानिक नाम सवोल्फिया सर्पेतिना है। इस पौधे की गंध में ही अदभुत शक्ति होती है। इसकी गंध इतनी अजब होती है कि सांप इसे सूंघते ही दूर से भाग जाते हैं। यहां तक कि अन्य विषैले जीवों पर भी इसका असर पड़ता है। सर्पदंश के पौधे अधिकतर मध्य प्रदेश के जंगलों व उत्तराखंड में पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि पहले इस पौधे की काफी बड़ी संख्या देश में थी। लेकिन वनों की कटाई के चलते सर्पगंधा के पौधों की संख्या घटी है। सर्पगंधा को घवल बरूआ, चंद्रभागा, छोटा चांद आदि के नामों से भी जाना जाता है।
सर्पगंधा के औषधीय फायदे – Benefits of Sarpagandha
- सर्पगंधा का उपयोग कर अनिद्रा (Insomnia) से राहत पाने के लिए किया जाता है। एक शोध में यह साबित हुआ है कि इस प्लांट में मूड को अच्छा बनाने वाल केमिकल सेरोटोनिन पाया जाता है, जिससे अनिद्रा की समस्या को सुधारा जा सकता है।
- सर्पगंधा में पाया जाने वाला एल्कलॉइड उच्च रक्तचाप को संतुलित करने का काम करता है।
- यह पेट की समस्या में लाभ पहुंचाने में मदद करता है।
- सर्पगंधा में एनाल्जेसिक गुण होते हैं, जो मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द को कम करते हैं।
- इसमें कीटनाशक गुण होते हैं। इसे कीटों को काटने वाली जगह पर लगाने से फायदा मिलता है।
- सर्पगंधा में एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं। यह काली खांसी को ठीक करने के काम भी आ सकते हैं।
- सर्पगंधा में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
सर्पगंधा का उपयोग
सर्पगंधा की जड़ का प्रयोग औषधि के तौर पर लिया जाता है। जड़ को पाउडर के तौर पर प्रयोग किया जाता है। सर्पगंधा पाउडर को पानी में मिला कर लिया जा सकता है। इसे दूध व शहद के साथ भी लिया जा सकता है।
सर्पगंधा के नुकसान
सर्पगंधा अधिक प्रयोग नुकसान भी पहुंचा सकता है। सर्पगंधा में रेसरपीन पाया जाता है। जिसकी वजह से इसके दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इससे सुस्ती, अवसाद, मतली, उल्टी, पेट में ऐंठन, गैस्ट्रिक अल्सरेशन जैसी समस्या हो सकती है।
NOTE:
यह लेख कई प्रकाशित रिसर्च के आधार पर लिखा गया है। लेकिन इसके बावजूद आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही सेवन शुरू करें।