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आलू किचन की शान है। किचन में कुछ और मिले या न मिले, लेकिन आलू लगभग मिलता ही है। आलू न हो तो ऐसे लगता है किचन में कुछ नहीं है। आलू की सूखी सब्जी, दम आलू, आलू-मटर, आलू-बैंगन, आलू-गोभी, तरी वाले आलू जाने कितने ही प्रकार की सब्जी बनाई जाती है। मार्केट में गुलाबी आलू की मांग बढ़ती जा रही है। किसान बड़े पैमाने पर गुलाबी आलू की खेती कर रहे हैं। गुलाबी आलू का वैज्ञानिक नाम बड़ा आलू 72 है।

गुलाबी आलू के गुण

  • गुलाबी आलू सामान्य आलू से ज्यादा पौष्टिक होता है।
  • गुलाबी आलू में कार्बोहाइड्रेट और स्ट्राच की मात्रा कम होती है।
  • स्वास्थ्य के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद है।
  • आलू की इस प्रजाति को लंबे समय तक स्टोर रखा जा सकता है।
  • इसमें प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है।
  • इसमें रोग लगने का खतरा बहुत कम होता है।
  • विषाणुओं के द्वारा पनपने वाले रोग भी गुलाबी आलू में नहीं लगते।
  • सामान्य से ज्यादा रेट मार्केट में मिलता है।
  • आलू दिखता है बेहद आकर्षक।

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तीन महीने में हो जाती है अच्छी पैदावार

मार्केट में इस आलू की मांग काफी ज्यादा मात्रा में हो रही है। मैदानी इलाकों और पहाड़ी इलाके में भी इसकी पैदावर ज्यादा होने लगी है। किसानों का कहना है कि ये आलू 80 दिन में पूरी तरह से तैयार हो जाता है। प्रति हेक्टेयर इसका उत्पादन 400 क्विंटल तक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस आलू की खेती करने पर किसानों को बंपर मुनाफा प्राप्त हो सकता है। क्योंकि इसमें अगेता झुलसा रोग, पिछेती झुलसा रोग, पोटैटो लीफ रोल रोग आदि नहीं लगते हैं। रोग नहीं लगने पर किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है। अगर अच्छी प्रकार से किसान इसकी खेती करें तो 80 दिन में अच्छी पैदावार हो जाती है।  

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