WhatsApp Group Join Now

हिंदु धर्म में बरगद, पीपल, तुलसी आदि पेड़ों की पूजा की जाती है। आयुर्वेद में भी इनका इस्तेमाल कई प्रकार की दवाईयां बनाने के लिए किया जाता है। हिंदु धर्म में नीम के पेड़ का भी बहुत महत्व है। नीम की पत्तियों और फलों का उपयोग आयुर्वेद में जहां औषधियां बनाने के लिए किया जाता है वहीं इसका धार्मिक महत्व है।

धार्मिक आधार पर अगर बात करें, तो नीम के पेड़ की पूजा की जाती है। माना जाता है कि नीम के पेड़ में भी देवी देवताओं का वास होत है। आज के इस लेख में जानते हैं, कि किस प्रकार से नीम के पेड़ की पूजा की जाती है और इस पेड़ में कौन से देवताओं का वास होता है।

नीम के पेड़ में इस देवता का होता है वास

मां भगवती

भारत के कुछ हिस्सों में नीम के पेड़ की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इसमें मां भगवती का वास होता है। नवरात्रि के दौरान भी इस पेड़ की पूजा की जाती है। नीम का पेड़ का काफी शुभ माना जाता है।

शीतला माता

नीम के पेड़ पर शीतला माता का निवास होता है और उनको ये पेड़ प्रिय होता है। धार्मिक आधार पर इसका जिक्र भी पाया गया है कि शीतला माता की पूजा नीम के पत्तों से की जाती है और माता निकलने पर नीम के पत्तों पर ही रोगी को सुलाया जाता है।

नीमारी देवी

नीमारी देवी के रुप में इस पेड़ को पूजा जाता है। ये पेड़ हिंदु धर्म में काफी पूजनीय माना गया है। भारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश में ये पेड़ पाया जाता है।

नीम के पेड़ की पूजा कैसे करें

आमतौर पर माना जाता है कि मंगलवार के दिन इस पेड़ को पूजा जाना चाहिए। मंगलवार के दिन इसकी पूजा करने से मंगल दोष दूर होता है और कार्य शुभ होते हैं। इसलिए विशेष रुप से इसके पत्तों को पूजा जाता है।

नीम के पेड़ को मंगल का प्रतीक माना गया है और इसकी पूजा मंगलवार के दिन करनी चाहिए और जल भी इसी दिन चढ़ाना चाहिए। इस पेड़ में जल चढ़ाने से अमंगल नहीं होता है। नीम के पत्तों को कभी भी सूर्य अस्त होने के बाद नहीं तोड़ना चाहिए।

वास्तु के हिसाब से नीम के पेड़ की विशेषता

वास्तु के हिसाब से अगर बात करें तो नीम का पेड़ दक्षिणमुखी घर वालों को जरुर लगाना चाहिए। मकान की दोगुनी दूरी पर नीम का पेड़ लगाना शुभ होता है।

आयुर्वेद में नीम के पेड़ का महत्व

आयुर्वेद में नीम के पेड़ का बहुत महत्व है। इसका स्वाद कड़वा होता है, लेकिन ये अनेक फायदों से भरा हुआ होता है। नीम की छाल का लेप लगाने से कई प्रकार के चर्म रोग दूर होते हैं और घावों को भरने में भी ये सक्षम है। नीम की दातुन करने से दांत स्वस्थ रहते हैं और मसूड़े भी मजबूत बनते हैं। नीम के बीजों का चूर्ण सुबह खाली पेट हल्के गर्म पानी के साथ लेने से बवासीर में राहत मिलती है। शुगर के रोगियों के लिए भी इसका प्रयोग लाभकारी माना गया और इम्युनिट पावर को मजबूत बनाने के लिए भी ये उपयोगी है।

नीम की पत्तियां चबाकर खाने से रक्त साफ होता है और त्वचा चमकदार बनती है। इसकी पत्तियों को पानी में उबालकर नहाने से चर्म रोग दूर होते हैं। चेचक से ग्रसित व्यक्ति नीम की पत्तियों से नहाता है और ये विषाणु फैलने से रोकता है। नीम पर लगने वाले फल का तेल निकालकर मालिश करना अच्छा रहता है।

इसी के साथ कहा जाता है कि आंख आने पर इसकी पत्तियां का रस आंख में डालने से लाभ होता है और पीलिया के मरीज शहद के साथ बराबर मात्रा में इसकी पत्तियां का रस ले तो अच्छा होता है। कान दुखने पर इसका रस कान में भी डाला जाता है। नीम के तेल की कुछ बूंदे रात को सोते समय दूध में डालकर पीना जलन जैसी समस्या में राहत देने के साथ ज्यादा पसीना आने की समस्या को दूर करता है।  

ये लेख सामान्य जानकारी के आधार पर लिखा गया है। ज्यादा सूचना प्राप्त करने के लिए आप किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।

 

WhatsApp Group Join Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *