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Mango plant– आम खाना सबको पसंद है, इसलिए इसको फलों का राजा कहा जाता है। आम की कई किस्में होती हैं, जिनका स्वाद अपने आप में अद्भूत होता है। आप अपने घर में आम का पौधा लगाना चाहते हैं, तो ये लेख आपके लिए हैं। आज हम आपको आम को गमले में लगाने का तरीका, आम की किस्में और पौधे की ग्राफ्टिंग कैसी करनी है इस बारे में जानकारी देंगे। 

आम का पौधा लगाने का समय (time to plant mango tree)

आम का पौधा आप लगाना चाह रहे हैं, तो बारिश का मौसम अनुकुल माना जाता है। जून के महीने में जब बारिश शुरु हो आप इसे लगाएं। ये गुठली के द्वारा आसानी से लगाया जा सकता है। आप आम खाकर गुठली को जमीन में लगा दीजिए।

कुछ दिन बाद ये पौधा बन जाएगी और आप इसकी ग्राफ्टिंग कर सकते हैं। आम को आप दो तरीके से उगा सकते हैं। बीज के द्वारा भी और ग्राफ्टेड जो आप पौधे पर ग्राफ्टिंग करके तैयार किए जाते हैं। फलदार पौधे ग्राफ्टिड होने जरुरी हैं, तभी वो फल देंगे।

आम के पौधे के लिए मिट्टी और जलवायु (Soil and Climate for Mango Plant)

आम को आप किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगा सकते हैं। आम के लिए अच्छी जलनिकासी वाली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। आप इसे रेतीली, पथरीली, क्षारीय और जलभराव वाली मिट्टी में लगाएंगे तो आम के लिए ये फायदेमंद नहीं है। गमले में आम का पौधा लगाने के लिए आपको  40% मिट्टी, 40% खाद, 10% रेत और 10% ईंट के छोटे टुकड़े मिलाकर मिट्टी तैयार करनी है। अगर आपके यहां दोमट मिट्टी है तो  50% मिट्टी में 50% खाद मिलाएं।

आम की बेहतरीन किस्में (best varieties of mango)

आम की बहुत सारी किस्में हैं, जो स्वाद में भिन्न होती है। इनका आकार और रंग भी अलग-अलग होता है। हमारे देश में दशहरी, लगड़ा, चौसा, फजरी, बाम्बे ग्रीन, अलफांसी, तोतापरी, हिमसागर, किशनभोग, नीलम, सुवर्णरेखा,वनराज आदि प्रसिद्ध किस्में हैं। आम की कुछ नई विकसित प्रजातियां जैसे  मल्लिका, आम्रपाली, दशहरी-5 दशहरी-51, अम्बिका, गौरव, राजीव, सौरव, रामकेला और रत्ना हैं।

आम के पौधे की केयर का तरीका (Mango plant care method)

अगर आप जमीन में आम का पौधा लगा रहे हैं, तो आपको इसके चारों और एक फुट तक खुदाई करनी है। इस गढ्ढे  में आप गोबर की सड़ी खाद डालें। आम के लिए गोबर की खाद बहुत अच्छी है। आप ऐसा करते हैं, तो पौधा जल्दी बड़ा होगा और फुटाव भी ज्यादा होगा। पौधे में निरंतर पानी देते रहना आपकी जिम्मेदारी है। 

गर्मियों का मौसम है तो आपको नमी पौधे में बनाए रखनी है। आप तीन से सात दिन में पानी दे सकते हैं। अगर सर्दियों का मौसम है तो दस से बारह दिन के अंतराल में पानी दें। पौधे में सिंचाई करते समय आपको ध्यान रखना है कि अक्तुबर से लेकर जनवरी तक इसमें पानी न डालें। ये समय बौर आने का होता है। आप नमी बनाए रखेंगे तो इसपर फल नहीं आएंगे, बल्कि शाखाएं ज्यादा आएगी। गमले में लगे पौधे में आप शेड्युल के हिसाब से पानी दें। 

आम के पौधे में ग्राफ्टिगं करने का तरीका (Method of grafting mango plant)

फलदार पौधे ग्राफ्टिड होने पर ही फल देते हैं। गमलों के लिए ग्राफ्टिड पौधों को चुनाब बेहतर होता है। ये आपको एक साल के भीतर फल देना शुरु कर देते हैं। अगर आप बिना ग्राफ्टिंग के पौधा तैयार करते हैं, तो शायद ये 7-8 साल में भल देगा। आम की ग्राफ्टिंग के कई तरीके हैं जैसे विनियर ग्राफ्टिंग, इनर्चिंग और एपिकोटाइल ग्राफ्टिंग आदि।

पौधे की ग्राफ्टिंग करने के लिए आपको गुठली जमीन में लगानी है। जब ये पौधा बनकर उग जाए,तब आपको ग्राफ्टिंग करनी है। एक साल बाद आप किसी पुराने फलदार पेड़ की दस इंच की टहनी काटकर लाएं। जो पौधा आपने बीज से लगाया था उसके नीचले हिस्से को चाकू से छील लें। मजबूत हिस्से को कट कर  पौधे पर ग्राफ्ट कर दें।

आप ग्राफ्टिड पौधा नर्सरी से खरीदकर भी गमले में सीधा लगा सकते हैं। आपको पहले इसे  16 इंच के गमले में, फिर अगले 3 से 4 महीने में पौधे की ग्रोथ के हिसाब से 20 इंच के गमले में और 2 से 3 साल के अंदर 24 इंच या उससे ऊपर के गमले में ट्रांसफर कर दें।

आम में लगने वाले रोग और बचाव (Mango diseases and prevention)

आम में फफूंद जनित रोग  (fungal diseases in mango)

आम में जब बौर आना शुरु होता है या फल लगने शुरु होने वाले होते हैं यानि अगस्त से अक्तुबर तक आप इसमें  एंथ्रेक्नोज के नियंत्रण के लिए प्रोक्लोराज, मैन्कोजेब जैसे फफूंदनाशक का छिड़काव कर सकते हैं। आपको ये छिड़काव दो हफ्ते के अंतराल में करना है। आप  हर तीन हफ्ते में बैक्टीरियल लीफ स्पॉट के नियंत्रण के लिए कॉपर फफूंदनाशक का छिड़काव भी पौधे पर करें। 

 आम में विल्ट रोग  (wilt disease in mango)

इस रोग से बचने के लिए आपको सफाई पर विशेष ध्यान देना है। पौधे के आसपास आपको जलभराव नहीं होने देना है। इससे बचने के लिए एक लीटर पानी में 2 ग्राम रोको एम नामक फफूंदनाशक घोलकर मिट्टी को अच्छी तरह भिगो दें। बता दें कि दस साल या उससे पुराने पेड़ की मिट्टी को अच्छी तरह भिगोने के लिए 20 से 25 लीटर दवा के घोल की जरूरत होगी। इस रोग की वजह से पौधा सूख जाता है आप 15 दिन के अंतराल में ये प्रक्रिया दोहराएं।

आम में तना छेदक रोग (stem borer disease in mango)

कई बार आम में कीटों द्वारा तना छेदक रोग हो जाता है। आपका पौधा भी इस समस्या से ग्रसित है, तो आप क्लोरोपाइरीफॉस को रुई में भिगोकर कीट द्वारा बनाए गए छेद में डाल दें। तुरंत इसके ऊपर गीली मिट्टी आपको लगा देनी है। पेड़ की जड़ में भी इस दवा का घोल डाल दें। इसके प्रयोग से  मिट्टी जहरीली हो जाएगी और यह कीट मिट्टी के जरिए पेड़ में प्रवेश नहीं कर पाएगा।

आम में गमोसिस बीमारी (gummosis disease in mango)

बैक्टीरियल कैंकर बीमारी का सबसे बढ़िया इलाज है इसे समय रहते हटा देना। आपको इस बीमारी से ग्रसित शाखा को तुरंत हटा देना है। आप शाखा को काट सकते हैं या फिर पेड़ की छाल को किसी औजार से कुरच सकते हैं।  उसके बाद इस पर  बोर्डो पेस्ट या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड लगा देनी है। आप इसे हर सर्दी के मौसम में एहतियात के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। पेड़ के चारों ओर कॉपर सल्फेट का छिड़काव करना भी उचित है।

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