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हिंदू धर्म में पूजा पाठ के बाद  हवन किया जाता है। आज के आधुनिक युग में भी हवन की मान्यताएं बरकरार हैं। कोई भी खुशी के मौके पर भारतीय यज्ञ कराते हैं। इस दौरान आपको तीव्र ध्वनि में बोले जाने वाला शब्द स्वाहा भी सुना होगा। जिसे बार-बार उच्चारित किया जाता है।स्वाहा एक प्राचीन संस्कृत शब्द है जो हिंदू धर्म में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा, यह बौद्ध धर्म और जैन धर्म में भी उपयोग किया जाता है। इसकी कुछ मान्यताएं हैं। क्या आप जानते हैं कि इसे हवन के दौरान बार-बार क्यों उपयोग किया जाता है। इस लेख में हम बताएंगे कि स्वाहा क्यों कहा जाता है, स्वाहा का क्या अर्थ होता है।

स्वाहा शब्द का अर्थ

स्वाहा एक संस्कृत शब्द है जो हिंदू धर्म में प्रयोग किया जाता है। हवन के दौरान उपयोग किया जाता है। इसे अंग्रेजी में ‘Hail’ या ‘Offering’ के रूप में अनुवाद किया जा सकता है। स्वाहा का हिंदी में अर्थ है सही रीति से पहुंचाना। ऐसा माना जाता है कि यज्ञ तब ही सफल माना जा सकता है जब हवन सामग्री को देवता ग्रहण कर लें। और माना जाता है कि यह हवन सामग्री देवता तभी ग्रहण करते हैं जब स्वाहा के माध्यम से अर्पित किया जाता है।

अग्निदेव की पत्नी हैं स्वाहा

वेद पुराणों के अनुसार अग्निदेव की पत्नी का नाम स्वाहा है। अग्निदेव को सामग्री अर्पित करने से पहले उनकी पत्नी को याद किया जाता है। जिससे प्रसन्न होकर अग्निदेव उस सामग्री को स्वीकार करते हैं। जिनके माध्यम से यह सामग्री देवताओं तक पहुंचती है। इसके साथ ही माना जाता है कि  प्रकृति की एक कला के रूप में स्वाहा का जन्म हुआ था।  भगवान कृष्ण ने स्वाहा को आर्शीवाद स्वरुप वचन दिया था कि सामग्री बिना स्वाहा को समर्पित किए देवताओं तक नहीं पहुंचेगी। यही कारण है कि हवन के दौरान स्वाहा का प्रयोग किया जाता है।

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