खेतों में फसल कटाई का समय चल रहा है। इसके साथ ही खरीफ की फसल की बुआई का समय भी आ गया है। किसानों के लिए सही बीज के चयन की चिंता रहती है। लेकिन इसके साथ ही जरूरी है कि बीज बोने से पहले मिट्टी की जांच की जाए। जमीन की गुणवत्ता सही होने पर ही सही उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है। इसके लिए मिट्टी का स्वस्थ होना जरूरी है। किसानों को मिट्टी की जांच के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि मिट्टी की जांच क्यों जरूरी है और मिट्टी की जांच के किस तरह नमूने लेने चाहिए।
क्यों जरूरी है मिट्टी की जांच
किसान अपनी फसल से बेहतर उत्पादन के लिए जीतोड़ मेहनत करते हैं। यह तभी संभव है कि जब जमीन में सही पोष्टिकता मौजूद हो। जमीन की उर्वरक शक्ति बेहतर हो। जमीन में कितनी पोष्टिकता है और किस पोष्टिक तत्व की जरूरत है यह जानने के लिए मिट्टी की जांच( soil testing) जरूरी है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सॉइल साइंस के वैज्ञानिक डॉ नारायण लाल ने बताया कि जैसे इंसानों का हेल्थ कार्ड जरूरी है ऐसे ही किसानों के पास सॉइल हेल्थ कार्ड होना चाहिए। आइसीआर के तहत जितने भी इन्टीट्यूट हैं वहां से मिट्टी जांच कराई जा सकती है। किसानों को मिट्टी की सेहत की चिंता करना जरूरी है। ज्यादा उपज के चक्कर में अंधाधुंध केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग बढ़ा है। इससे खेत की उर्वरता कम होती जाती है। यानि इन केमिकल से हमने मिट्टी को बीमार कर दिया है। ऐसे में जरूरी है कि मिट्टी का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए।
मिट्टी की जांच से क्या जानकारी मिलती है
- जांच से ही पता चलता है कि मिट्टी में किन तत्वों की कमी है
- जांच से पता चलता है किन तत्वों की अधिकता है
- मिट्टी के पीएच, ईसी, कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, आयरन, जिंक,और मैंग्नीज की मात्रा का पता चलता है
- परिणामों के आधार पर खाद-फर्टिलाइजर और उसकी मात्रा बताई जा सकती है
कहां करा सकते हैं जांच
- सरकारी स्तर पर प्रत्येक जिले में मृदा परीक्षण लैब हैं
- कृषि विज्ञान केंद्र में जांच करा सकते हैं
- सहकारी क्षेत्र की संस्थाएं और प्राइवेट संस्थाए भी जांच करा रही हैं
मिट्टी जांच के लिए इन बातों का रखें ध्यान
मिट्टी जांच की प्रकिया सावधानीपूर्वक की जानी चाहिए। खेतों से मिट्टी के सही नमूने लेकर सही जगह पर मिट्टी ले जाना जरूरी है। क्योंकि मिट्टी का गलत नमूना लिया जाता है तो, इसके परिणाम भी गलत मिलेंगे। इसके लिए सही समय पर मिट्टी की जांच कराना भी जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार फसल कटाई के बाद मिट्टी का नमूना लेना चाहिए।
नूमने लेने का सही तरीका
- एक एकड़ खेत में कम से कम 10-15 अलग अलग जगह से मिट्टी का नमूना लेना चाहिए
- जिग-जेग पॉइंट बना कर मिट्टी का नमूना लेना चाहिए ताकि कोई जगह न छूटे
- फसल खड़ी है या खेत में खाद का इस्तेमाल किया गया है तो सैम्पल नहीं लेना चाहिए
- छाया वाली जगह से सैम्पल नही लेना चाहिए
- खेत में मिट्टी का सैम्पल लेने के लिए जमीन की ऊपरी तह की मिट्टी को थोड़ा हटाकर लेना चाहिए
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इस तरह तैयार करें नमूना
- 10 से 15 जगह से मिट्टी का सैम्पल लेने के बाद मिट्टी को एक साथ मिक्स कर दें।
- मिट्टी को 4 हिस्से में बांटे
- इसमें से 2 हिस्से को हटा दें
- फिर बची मिट्टी को मिक्स करें
- फिर से बची मिट्टी को 4 हिस्सों में बांटे
- फिर 2 हिस्से को हटा दीजिए
- इस प्रक्रिया तब तक अपनाएं जब तक की मिट्टी का नमूना आधा किलोग्राम का ना हो जाए
- इस आधा किलो की मिट्टी को ही सही नमूना माना जाएगा।
- अपने इलाके की नजदीकी मिट्टी जांच प्रयोगशाला में नमूने की जांच करवा सकते हैं
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