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Sapota plant-फलदार पौधे घर में हर कोई लगाना पसंद करता है। आम, चीकू, अमरूद, नींबू जैसे पौधे कई लोग अपने घर में लगाते हैं। चीकू आप घर में लगाते हैं, तो इससे फ्रूटिंग लेना बहुत ही आसान है। आप आसानी से गमले में चीकू का पौधा लगा सकते हैं। आज के इस लेख में हम आपके लिए चीकू प्लांट लगाने की सारी जानकारी लेकर आए हैं। चलिए जानते हैं चीकू का पौधा कैसे लगाना है और इसकी केयर कैसे करनी है। 

पौधे से ज्यादा चीकू लेने का तरीका (Way to consume more fruits)

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  1. पौधा लगाने के लिए 18 इंच या इससे बड़ा गमला लें।
  2. पौधे को गर्मी पसंद है, इसलिए इसे 7 घंटे की धूप में रखें। 
  3. मिट्टी अच्छी जलनिकासी वाली होनी जरुरी है। 
  4. आप दोमट मिट्टी का प्रयोग कर सकते हैं। 
  5. मिट्टी में जैविक पदार्थों की संख्या बढ़ा दें। 
  6. गर्मियों में गमले की मिट्टी में नमी बनाएं रखनी है।
  7. सर्दियों में मिट्टी सूखने पर पानी देना है। 
  8. फल बनने शुरु होने पर पोटेशियम युक्त खाद दें।
  9. महीने में एक बार संतुलित उर्वरक दें।
  10. पौधे की प्रूनिंग करते रहना जरुरी है।

चीकू के पौधे के लिए मिट्टी(soil for sapota plant)

चीकू का पौधा लगाने के लिए अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी की जरुरत है। आप दोमट मिट्टी ले सकते हैं। बगीचे की मिट्टी में पोषक तत्व मिलाकर इसको तैयार करना है। पचास प्रतिशत गार्डन की मिट्टी लीजिए, इसमें 40 प्रतिशत सड़ी गोबर की खाद मिलाएं। उसके बाद इसमें 10 प्रतिशत रेत की मात्रा ए़ड करनी है।

आप थोड़ी मात्रा में नीम खली इसमें मिलाएं। बोनमील का प्रयोग कीजिए नहीं तो 1 मुट्टी सरसों की खली डालिए। आप एक चम्मच हल्दी इस मिश्रण में मिलाएं। हल्दी मिलाने से पौधे में कीड़े-मकोड़े नहीं आते हैं। इस प्रकार तैयार मिश्रण में चीकू का पौधा लगाएं। 

चीकू के पौधे में डालें ये फर्टिलाइजर (fertilizer in sapota)

  • एनपीके उर्वरक आप चीकू के पौधे में डालें। 
  • फल आने पर पोटेशियम युक्त उर्वरक डाल सकते हैं।
  • पोटेशियम फलों के विकास और स्वाद में सुधार करता है।
  • पौधे में आप वर्मीकंपोस्ट, सड़ी गोबर की खाद आदि डालें। 
  • खाद डालने के बाद पौधे में हमेशा पानी दें। 

चीकू के पौधे में रोग (disease in sapota plant)

  1. एफिड्स, मीलीबग्स और स्केल कीट इसपर होते हैं। 
  2. आपको नियमित रुप से निगरानी रखनी है। 
  3. आप जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें। 
  4. इसपर कवक रोग भी आसानी से होते हैं। 
  5. ज्यादातर एंथ्राकनोज़ और पत्ती का धब्बा होता है।
  6. यदि आवश्यक हो, तो फफूंदनाशकों का उपयोग करें ।

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