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छूई-मूई का पौधा अगर बगीचे में हो तो सभी का ध्यान केंद्रित करता है। दरअसल हल्के से स्पर्श से ही सिकुड़ने की प्रक्रिया इस पौधे को सभी पेड़ पौधे से अलग करती है। बच्चे घंटों तक इस पौधे से छेड़छाड़ करते हैं और यह पौधा उतना ही शर्मीला बनता है। दरअसल यह पौधा अत्यंत संवेदनशील होता है। छुई-मुई की पत्तियां को जैसे ही कोई बाहरी स्पर्श मिलता है वैसे ही यह खुद को सिकोड़ लेती हैं। लोगों का मानना है कि यह इंसानी स्पर्श से ही सिकुड़ जाती हैं जबकि यह कीड़ा, लकड़ी, तेज हवा चलने और पानी की बूंदों के स्पर्श से ही मुरझा जाता हैं। इस पर स्पर्श होने से यह सिकुड़ कर प्रतिक्रिया देते हैं।

क्या आप यह जानते हैं कि यह पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है। यह कई बीमारियों को खत्म करने का काम करता है। इसके गुणों को देखते हुए आजकल लोग अपने गार्डन में इस पौधे को जरूर उगा रहे हैं। छुईमुई का पौधा एंटीमायक्रोबियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण से भरपूर है। आइए हम बताते हैं इसके औषधीय गुण….

खूनी बबासीर करे ठीक

रक्तस्त्राव संबंधी बीमारियों में छूईमूई काफी लाभदायक है। खूनी बबासीर और पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग या चोट लगने पर रक्तअतिसार होने पर इस पौधे की जड़ों को पीसकर चूरन बनाएं और सेवन करें। इसे सुबह दही के साथ सेवन करने पर जल्दी फायदा होता है।

घाव भरने में करता है जादू का काम

यह पेड़ घायलों के घाव भरने में बेहद काम आता है। इसकी जड़ों को के चूरन को दिन में दो या तीन बार लेने पर घाव जल्दी भर जाता है। जड़ीबूटियों से इलाज करने वाले वैध इसका बेहद प्रयोग करते हैं।

सूजन को करे खत्म

किसी भी कारणवश यदि व्यक्ति को सूजन है तो इसकी पत्तियों से उपचार संभव है। पत्तियों को उबालकर पानी से सिकाई की जा सकती है। साथ ही पत्तियों का लेप लगाकर सूजन की जगह पर बांधा जा सकता है। इसके अतितीव्र गति से आराम मिलता है। टांसिल्स होने पर भी इसकी पत्तियों को पीसकर लगाना चाहिए। इससे टॉंसिल्स में आराम मिलता है।

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स्किन प्राब्लम करे ठीक

यह पौधा त्वचा संबंधी रोगों को ठीक करने में अधिक प्रयोग किया जाता है। इसमें पाए जाने वाले  एंटीमायक्रोबियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण कई तरह के संक्रमण को खत्म करने की क्षमता रखेत हैं। खुजली होने पर यह इसकी पत्तियों को लगा दिया जाए तो तुरंत आराम मिलता है। 

ताकतबर होती हैं इसकी जड़ें

यह पौधा शारीरिक शक्ति को बढ़ाने का काम करता है। इसके लिए इस पौधे की जड़ें और बीजों का प्रयोग किया जाता है। वैध कई बीमारियों से पीड़त मरीजों को लगातार इसके पत्तों, जड़ों और बीजों का काढ़ा पीने की सलाह देते हैं।

उल्टी-दस्त और खांसी में करे मदद

यह पौधा उल्टी दस्त की स्थिति में भी बेहद उपयोगी रहा है। इसकी जड़ों का काढ़ा उल्टी दस्त में फायदा करता है। इसके साथ ही खांसी में भी इसकी जड़ों के चूरन को शहद के साथ चाटने पर लाभ मिलता है।

क्यों मुरझा जाता है छूई-मूई

छूई-मूई की पत्तियाें की कोशिकाओं में द्रव पदार्थ भरा रहता है। जब भी कोई इसकी पत्तियों को छूने का प्रयास करता है तो इस द्रव का दाब कम हो जाता है। जिसकी वजह से कोशिकाएं ढीली पड़ जाती हैं। हालांकि थोड़ी ही देर में द्रव फिर से वापसी करता है तो इसकी कोशिकाएं दृण हो जाती हैं और सामान्य स्थिति में आ जाती हैं।

इन नामों से भी पहचाना जाता है

  1. छुई मुई
  2.  शेम प्लांट
  3. लाजवंती
  4. संवेदनशील पौधा
  5. Touch Me Not Plant
  6. sleepy plant
  7. action plant
  8. मिमोसा पुडिका (वैज्ञानिक नाम )

वर्षा ऋतु में आसानी से लगा सकते हैं छूई-मूई

इस पौधे को आसानी से बारिश के दिनों में लगा सकते हैं। इसके लिए किसी खास तापमान की जरूरत नहीं होती है। यह 70 फीसदी मिट्‌टी में 20 फीसदी कोकोपिट और 10 फीसदी रेत के साथ आसानी से उगाएं। गमले में जलनिकासी की व्यवस्था जरूरी है।

बीज व टहनी के माध्यम से उगाएं

Flower sleepy plant

इस पौधे को आसानी से बीज या टहनी के माध्यम से उगाया जा सकता है। हालांकि टहनी लगाने के दौरान ध्यान रखें कि छुई मुई के तने की लगभग 10-12 सेमी  लंबी कटिंग हो। इसमें कुछ पत्तियां और 2 से 3 नोड होने चाहिए। इसके साथ ही गमले को तैयार कर लें। अच्छी ग्रोथ के लिए इस टहनी के नीचे के हिस्से को रूटिंग हार्माेंस में डुबा कर रखें।

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