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सर्दियों में अधिकतर पौधे सुप्तावस्ता( निष्क्रिय, dormancy) में चले जाते हैं। ऐसे में उनकी ग्रोथ बिल्कुल रुक जाती है। पत्ते सूखकर झड़ जाते हैं। इन दिनों में हम अपने सबसे प्रिय अपराजिता के प्लांट के साथ देख रहे हैं। अक्तूबर के महीने तक पौधा अपने नीले फूलों से सभी को आकर्षित कर रहा था। वहीं अचानक सभी पत्ते झड़ गए और पौधा सूख गया। लेकिन यह पौधा मरा नहीं है। यह पौधे के लिए वह समय है जब वह अपने विकास को रोककर विराम करते हैं व वृदि्ध की तैयारी करते हें। यह पौधों के जीवन और विकास को लगभग रोक देता है। पौधा पत्तियों को हरा भरा रखने व बढ़ने की कोशिश में ऊर्जा लगाने के बजाय, ऊर्जा का संरक्षण करना शुरू करता है। यह डॉरमेंसी एक प्रकार की बख्तरबंद नींद है जिससे पौधे गुजरते हैं। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि फिलहाल पौधे के विकास के लिए परिस्थितियाँ उपयुक्त नहीं हैं। ऐसे में पौधे निष्क्रिय हो जाते हेैं। 

प्रत्येक वर्ष पौधों के पुनः विकसित होने के लिए निष्क्रियता की यह अवधि उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। एक माली के रूप में हमें इस प्रक्रिया को समझना चाहिए। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह स्वत: ही शुरू होती है। हालांकि हम पौधों को इस सुप्तावस्था से उठाने में मदद कर सकते हैं। 

क्या है सुप्तावस्था(Dormancy)

सर्दी आते ही मनुष्य खुद को मोटी परतों, रजाई, कंबल में लपेट लेता है। ठंडे तापमान का सामना करने के लिए गर्म पदार्थाें का सेवन करता है। वहीं जानवर इस सर्दी से खुद को बचाने के लिए कई प्रयास करते हैं और कई जानवर इस समय शीतनिद्रा में चले जाते हैं। वैसी ही कुछ प्रक्रिया इन पौधों के साथ भी होती है। जैसे ही दिन छोटे हाेने लगते हें। तापमान में ठंडक बढ़ने लगती है। पौधे निष्क्रियता की ओर बढ़ने लगते हैं। पत्तियां, फल व फूलों के विकास को रोककर तापमान को अनुकूल होने का इंतजार करते हैं।  जैसे ही बंसत आना शुरू होता है। पौधे निष्क्रियता छोड़ देते हैं। पौधें पर पत्तियां आना शुरू हो जाती है। पौधे हरे भरे हो जाते हैं। 

सुप्तावस्था के दौरान की प्रक्रिया

सुप्तावस्था कठोर परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए ऊर्जा और संसाधनों को संरक्षित करने की प्रक्रिया है। इस दौरान हमारा पौधा पूरा ध्यान कोशिका झिल्ली को बनाए रखने और प्रोटीन को तोड़ने और दोबारा बनाने पर केंद्रित करता है। यह सर्दियों के दौरान आवश्यक पोषक तत्वों को बनाए रखने में भी सहायता करता है।

  1. पौधा अपनी झिल्लियों को मजबूत करता है।
  2.   प्रोटीन को तोड़ता है। 
  3. प्रोटीन को फिर से बनाता है।
  4. और इसे मजबूत करने के लिए जड़ों पर ध्यान केंद्रित करता है। 
  5. इस प्रक्रिया से जब पौधे का विकास फिर से शुरू होता है तो जड़ें खुद को सहारा देने में सक्षम हो जाती हैं। 

सुप्तावस्था में पौधों का बनें सहारा

पौधे अगले सीज़न में फलने-फूलने के लिए जीवित रहें, इसके लिए हमें भी कुछ प्रयास करने की जरूरत होती है। 

  • जैसे ही पौधों का डॉरमेंसी पीरियड शुरू होता है तो उसकी हार्ड प्रूनिंग की जा सकती है।
  • इन दिनों पौधे का पूरा फोकस जड़ों के विकास पर होता है।  जड़ों से छेड़छाड़ न करें।
  • मिट्‌टी पर घास या गीली घास की एक परत लगाने से नमी और गर्मी को बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • पौधे में नमी बनाकर रखें।
  • पोषक तत्वों को पहुंचाने के लिए एनपीके जरूर लगाएं।
  • इन दिनों पौधे को संक्रमण से बचाने के लिए नीम खली या नीम ऑइल का प्रयोग करें। क्योंकि इन दिनों कीट पौधों की छाल में गर्मी खोजने की कोशिश करता है।
  • अप्रत्यक्ष प्रकाश में रखें।

सुप्तावस्था से बाहर लाने के लिए प्रयास

  1. पौधों को वसंत ऋतु में सुप्तावस्था से बाहर लाने का प्रयास करना चाहिए।
  2. वसंत आते ही पौधे को प्रत्यक्ष प्रकाश में लेकर आएं।
  3. नई वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए इसे अच्छी तरह से पानी दें।
  4. लिक्विड फर्टिलाइजर का प्रयोग करें।

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