कॉलेज, स्कूल टाइम में मित्र मंडली के साथ घूमने जाना, गप्पे लड़ाना, आपस में पैसे बांटकर समोसे खाना, चाय की चुस्कियों से थकान मिटाना बात ही अलग थी। मित्र मंडली में हर प्रकार के दोस्तों का बोलबाला होता था। हर दोस्त का अपना टोरा होता था। कितने लाजवाब दिन थे वो याद है या भूल गए। चलो भूल भी गए हैं, तो आज फिर से याद करते हैं। फिर से जी लेते हैं, वो मस्ती के दिन।
मित्र मंडली में मित्रों के प्रकार
बात-बात पर बुरा मानने वाला दोस्त
ये वो दोस्त होता था, जो हर बात पर मुंह फूला कर बैठ जाता था। इसको सबसे पहले सारी सूचनाएं चाहिए होती थी। इसको बताने से पहले किसी और को पता लग गया तो खेला खत्म। बात कुछ भी न हो, भाईसाहब या बहनजी के गाल फूलकर टमाटर जैसे हो जाते थे। ये ग्रुप में लगभग हर बात पर ही बुरा मान जाते थे। इस दोस्त को बहुत बार झूठ बोलकर भी मनाना पड़ता था। रिश्वत भी देनी पड़ती थी। क्योंकि हर एक फ्रेंड जरूरी होता है।
बात-बात पर इमोशनल होने वाला दोस्त
ये दोस्त साला नौंटकी करता था या सच में आसूओँ का सैलाब आंखों में समाएं घूमता था। वैसे लड़कियों में ये वाली प्रजाती ज्यादा पाई जाती थी। जो हर बात पर इमोशनल। इसका इमोशनल अत्याचार कभी खत्म नहीं होता था।
बहाने बनाने वाला दोस्त
ये दोस्त हर मित्र मंडली में पक्का पाया जाता था। दोस्त की ये प्रजाति बहाने बनाने में माहिर होती थी। हर बात पर बहाना इनके पास होता था। ये होमवर्क नहीं करने पर अपनी नोटबुक घर पर छोड़ कर नहीं आते थे, साथ में दोस्त की भी छोड़कर आते थे। अब एक दोस्त पिटता अच्छा नहीं लगता। दोनों दोस्तों के साथ मार पड़े तो ज्यादा बेहतर है।
होशियार दोस्त
ये दोस्त थोड़ा घमंडी किस्म का होता था। वो बात अलग है कि इसका घमंड दोस्तों के साथ चलता नहीं था। इसके पास पढ़ाई-लिखाई की बातों के अलावा और कुछ समय नहीं होता था। ये एक भी लेक्चर मिस करना पसंद नहीं करता। ये वाली दोस्त की प्रजाति बड़ी शातिर होती थी। कुछ नहीं आता, कुछ नहीं किया बोलकर सब कुछ पेपर में करके आते थे।
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इधर-उधर की बातों में ध्यान देने वाला दोस्त
ये दोस्त की प्रजाति रेडियो की तरह होती थी। इसको रेडियो दोस्त भी बोल सकते है। इसके पास पूरे स्कूल, कॉलेज की जानकारी होती थी। इसको ये भी पता होता था किस बंदे की किसके साथ सेंटिग है। इसके पास कैंटीन वाले भईया की भी सूचना मिल जाती थी कि उनके घर पर आज क्या सब्जी बनी है। बस इसको क्लास टाइमिंग का ही पता नहीं होता था।
सबको दबाकर रखने वाला दोस्त
मित्र मंडली में एक दोस्त ऐसा भी होता था, जो हर किसी को अपनी बात मनवाने के लिए फोर्स करता था। ये दोस्त बड़ा अजीब किस्म का होता था। इसकी बात नहीं मानने पर ये हर बात का उल्टा जवाब देता था। इसकी ये समस्या बड़ी गंभीर थी। इसको चाय पीनी है, तो मतलब सब चाय ही पीएंगे। इस दोस्त को अपनी मंडली के सदस्यों का किसी और के पास जाना पसंद नहीं था।
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हर किसी को दिल देने वाला दोस्त
एक दोस्त ऐसा भी होता था जो मजनू या लैला बना घूमते रहता था। इसका दिल किसी पर भी आ जाता था। ये बड़ा फ्लर्टी किस्म का दोस्त होता था। इसका दिल बड़ा चिकना होता था जो हर किसी पर फिसल ही जाया करता था।
आपको भी अपने इन दोस्तों की याद आ रही है, तो देर किस बात की। स्मार्टफोन का जमाना है। फोन लगाइए, वीडियो कॉल कीजिए। उसको बताइए यार सच में तु भी बड़ा अजीब था। उससे पूछिए ऑफिस में तो अब ये हरकत नहीं करता था। आपको बहुत अच्छा लगेगा, अपने पूराने दोस्तों के बारे में जानकर।