मानसून का समय पेड़-पौधों की ग्रोथ व बीज अंकुरण के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। इन दिनों पौधों की हरियाली गजब की होती है। ऐसे में हम पौधों की कम केयर करते हैं, जबकि इन दिनों हमें पौधों की और अधिक केयर की जरूरत होती है। इन दिनों गार्डन में कई प्रकार के कीट व रोग लग जाते हैं। हालांकि इनमें से कुछ कीट मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करते हैं। और पौधों की ग्रोथ में सहायक होते हैं। वहीं कुछ कीट गंभीर संक्रमण फैलाते हुए पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में इस लेख में हम आपको देंगे कुछ ऐसे टिप्स जिनकी मदद से आप मानसून आने से पहले ही अपने गार्डन में कुछ तैयारी कर लें। अगर आप इन 6 टिप्स को अपनाएंगे तो यह मानसून आपके पौधों के लिए खास और ज्यादा हिरयाली भरा होगा।
1. परफेक्ट जगह चुनें
मानसून में पौधों की जगह बदलने का भी समय आ जाता है। इन दिनों पौधों को ग्रीन शेड से बाहर निकालकर खुली जगह पर रखना चाहिए। ताकि ये बारिश के बीच रह सकें। हालांकि इस दौरान ध्यान रखना चाहिए कि इनके ऊपर बहुत ज्यादा पानी न गिरे। ऐसी जगह रखें जहां पर्याप्त मात्रा में धूप और हवा भी मिलती रहे। सक्यूलेंट्स और अडेनियम को ज्यादा पानी के बीच न रखें। इन्हें शेडी एरिया में ही रखना ठीक होगा।
2. पौधों को खतरनाक कीटों से बचाएं
मानसून के मौसम में अत्याधिक नमी और उमस के चलते पौधों पर कीट, कवक और फफूंदी लग सकती है। ये कीट और फफूंदी सीडलिंग और पौधों को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में इन दिनों हमें पौधों को बीमारियों से बचाने के लिए सप्ताह में एक बार कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। पौधों पर जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए। जिसमें नीम का तेल, हल्दी पाउडर आदि अच्छा विकल्प हो सकते हैं। हालांकि ध्यान रहे कि केंचुए पेड़ पौधों की ग्रोथ के लिए बेहद फायदेमंद हैं, इसलिए इन्हें मिट्टी से अलग न करें।
3. पौधों में ओवरवाटिरंग से बचें
बारिश का पानी पौधों के लिए फायदेमंद होता है लेकिन लगातार तेज बारिश के कारण आवश्यकता से अधिक पानी (Over Water) पौधों को नुकसान भी पहुंचा सकता है। पौधों की जड़ें कमजाेर हो जाती हैं। रूट रोट्स शुरू हो जाता है। फंगल इन्फेक्शन होने की सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसे में गमलों के ड्रेनेज होल को चेक करना होगा। उसमें देखना चाहिए कि कुछ फंसा न हो। इसके साथ ही पानी सोखने वाली मिट्टी में ही पौधे लगाने चाहिए। साथ ही पौधों में तब तक पानी न दें जब तक मिट्टी की ऊपर की लेयर सूख नहीं जाती।
4. पौष्टिक तत्वों की जरूरत को करें पूरा
मानसून का मौसम पौधों के लिए वरदान के तौर पर होता है। लेकिन इन दिनों ओवर वाटरिंग की वजह से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व पानी के साथ बह जाते हैं। इसीलिए बरसात में पौधों की ग्रोथ के लिए उन्हें खाद की सख्त जरूरत होती है। ऐसे में नियमित जैविक खाद, गाेवर की खाद, किचिन वेस्ट से तैयार खाद देते रहें।
5. खरपतवार को करें नियंत्रित
बारिश के मौसम में जितनी तेजी से पौधे ग्रो करते हैं उतनी ही तेजी से खरपतवार भी बढ़ते हैं। ऐसे में ये खरपतवार पौधों से आवश्यक पोषक तत्वों को छीनकर पौधों की ग्रोथ को प्रभावित कर देते हैहं। इसीलिए बरसात के समय पर निराई और गुड़ाई जरूरी है। पौधों की स्वस्थ ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए खरपतवारों को गमलों से हटा दें।
6. पौधों को दें सहारा
मानसून के समय तेज बारिश के साथ ही तेज हवाएं भी चलती हैं। ऐसे में पौधों के गिरने की संभावना ज्यादा होती है। कुछ कोमल पौधों को बाहरी सहारे की आवश्यकता होती है। इससे उन्हें गिरने या टूटने से बचाया जा सकता है। पौधों को किसी लकड़ी या जालीदार तार से सहारा दिया जा सकता है। इसके साथ ही छोटे पौधों और सीडलिंग को तेज बारिश से बचाते हुए पर्याप्त नमी देने के लिए रेन कवर से ढंकना चाहिए।
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