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करेला स्वास्थ्य के लिए जरूरी सब्जी है। इसके अंदर तमाम पोष्टिक तत्व होते हैं। जो शरीर की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही कई बीमारियों से मुक्ति भी दिलाने का काम करते हैं। जिसमें खासताैर पर डायबिटीज के इलाज के लिए करेला खाने की सलाह दी जाती है। हालांकि बाजार में मिलने वाले करेलों में कैमिकल आदि का छिड़काव किया जाता है। जिसकी वजह से करेला फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।

ऐसे में आप अपने घर पर ही करेला उगाएं। करेला एक बेल के रूप में बढ़ने वाला पौधा होता है। जिसे घर पर गमले में उगाया जा सकता है। करेले की बेल 150 से 190 इंच तक लंबी हो सकती है। इस लेख में हम आपको अपने घर में छत पर या किसी गमले में ही करेले उगाने की विधि बताएंगे। 

करेला बोने का समय

करेला उगाने का सबसे उपयुक्त समय वसंत और गर्मियों के महीनों में होता है। यह विशेष रूप से मार्च से मई तक के दौरान की जाती है। इस समय करेले के पौधों को प्राकृतिक रूप से अधिक विकास करने और महसूस करने की क्षमता होती है। इसके बाद, करेले के पौधों की विकास और उत्पादन उच्च होता है। वसंत और गर्मियों में तापमान उच्च होता है, जो पौधों के शीघ्र विकास के लिए अनुकूल होता है।

करेला उगाने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें

छत या बाल्कनी पर करेला उगाना एक अद्भुत विचार है। यह आपके छत पर उपलब्ध स्थान का बेहतर उपयोग हो सकता है। आपको स्वास्थ्यपूर्ण और स्वावलंबी करेला प्रदान कर सकता है। हालांकि छत पर करेले को उगाने के लिए आपको इसकी सुनिश्चित करनी चाहिए कि छत पर पर्याप्त सूर्य प्रकाश प्राप्त होता है।  पानी की व्यवस्था हो। आप गमलों, खमीरी मिट्टी, या हाइड्रोपोनिक सिस्टम का उपयोग कर सकते हैं ताकि खेती के लिए जरूरी मात्रा में पानी और पोषण उपलब्ध हो सके।

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करेला उगाने की प्रक्रिया

  1. बीज का चयन: सबसे पहले, एक अच्छे गुणवत्ता वाले करेले के बीज चुनें। आप स्थानीय बाजार से लिया गया बीज भी इस्तेमाल कर सकते हैं। या फिर घर का बीज भी प्रयोग कर सकते हैं। करेले का बीज एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक घटक है जो उसकी उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है।  बीज को चुनते समय ध्यान रखें कि विकासकारी प्रणाली के साथ संगत होना चाहिए। यह बीज की क्षमता को बढ़ावा देता है ताकि वह अच्छे पौधे पैदा कर सके। अच्छे बीज का रंग गहरा होता है और वह समान आकार का होता है।
  2. पोट की तैयारी: करेला के लिए एक गहरे और सुराखित पोट को तैयार करें। यह सुनिश्चित करें कि गमले में ड्रेनेज सिस्टम हो। एक सामान्य गमला जिसकी लम्बाई और चौड़ाई लगभग 12-18 इंच (30-45 सेंटीमीटर) हो सकती है, आमतौर पर एक करेले के पौधे के लिए पर्याप्त हो सकता है।
  3. मिट्‌टी की तैयारी: करेले के पौधे को अच्छी तरह से उगने के लिए अच्छी मिट्‌टी की जरूरत होती है। इसके लिए आप अपने गार्डन की मिट्‌टी में अच्छे से गोबर खाद या किचिन कम्पोस्ट का प्रयोग करें। इसके लिए 5.5 से 6.5 के बीच ph मान वाली  मिट्टी की आवश्यकता होती है। करेले का पौधा उगाने के लिए मिट्‌टी में हल्की सी नमी होना जरूरी है। 
  4. सूरज की रोशनी: करेले को अच्छे से सूर्य की दिशा में रखें ताकि वह प्राकृतिक रूप से प्रकाश का अधिक लाभ ले सके। साथ ही, ध्यान रखें कि पौधों को तेज बारिश और तेज हवाओं से संरक्षित रखें।
  5. नियमित सींचाई और खाद्य सामग्री: करेले को नियमित रूप से सींचें और उपयुक्त खाद्य सामग्री प्रदान करें। मिट्टी की नमी और खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर ध्यान दें। जैसे ही खरपतवार उगे तो उसे उखाड़ फेंके। 
  6. पौधों की देखभाल: करेले के पौधों को नियमित रूप से पोषक खाद्य सामग्री प्रदान करें। उन्हें जीवाणु नाशक खाद्य सामग्री के साथ मिश्रित खाद्य सामग्री भी प्रदान कर सकते हैं।

इन स्टेप्स का पालन करते हुए, आप अपनी छत पर करेले को सफलतापूर्वक उगा सकते हैं। यह सींचाई, खाद्य, और संरक्षण की देखभाल में नियमित ध्यान देने की आवश्यकता होगी।

करेला पर ज्यादा फल लाने के लिए क्या करें

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  • पिंचिंग करें: करेले पर ज्याद फल प्राप्त करने के लिए पौधे की प्रूनिंग या पिंचिंग करते रहे। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मुख्य तने को टॉप पर से कट कर दिया जाता है। इससे पौधे पर और अधिक तने निकलते हैं। जिससे फूल और फल ज्यादा आते हैं। 
  • हैंड पॉलिनेशन: जिनके गार्डन में पॉलिनेटर्स नहीं होते हैं उन्हें हैंड पॉलिनेशन कराने की जरूरत होती है। इसके लिए पहले मेल और फीमेल फूल की पहचान करें। जिस फूल के पीछे छोटा फल होता है वह फीमेल फ्लावर होता है। जिसके पीछे फल नहीं होता है व मेल फ्लावर होता है। मेल फ्लावर को तोड़कर उसके पराग को फीमेल के पराग से टच कराएं। 

करेला कब तोड़ने मिलेगा 

गमले या ग्रो बैग में करेले के बीज बोने से लगभग 10 दिन के भीतर ही करेले के पौधे नजर आने लगेंगे। जैसे ही इन पौधों की लंबाई 4 इंच होती है तो इन पौधों को सहारा जरूर दें। 55 से 60 दिनों के अन्दर पौधों में फल आने लगते हैं। हार्वेस्टिंग के दौरान हर 2-3 दिनों में करेले के फलों को तोड़ते रहें जिससे कि नए फल लग सके। 

करेला खाने के फायदे

करेला एक स्वास्थ्यवर्धक और पोषण से भरपूर सब्जी है जो अनेक लाभ प्रदान करती है। निम्नलिखित हैं कुछ करेले के खाने के फायदे:

  1. पोषण से भरपूर: करेला विटामिन C, विटामिन A, और फोलेट का अच्छा स्रोत है। यह विटामिन और मिनरल्स के साथ-साथ कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, और अन्य पोषक तत्वों का भी उत्तम स्रोत है।
  2. वजन नियंत्रण: करेला कम कैलोरी और उच्च पोषण सम्पन्न होता है, जिससे वजन नियंत्रित रहता है। यह फाइबर की अच्छी स्रोत होती है, जो भोजन के पचन में सहायक होती है और भोजन के बाद लंबी समय तक भूख को कम करती है।
  3. डायबिटीज का नियंत्रण: करेला का सेवन इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाता है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे मधुमेह के नियंत्रण में मदद मिलती है।
  4. हृदय स्वास्थ्य: करेले में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं।  प्राकृतिक फोलेट, जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है।
  5. विषाणु नाशक गुण: करेले में पाए जाने वाले वाले गुण इम्यूनिटी को मजबूत करने और विषाणुओं के खिलाफ लड़ने की क्षमता को बढ़ावा देते हैं।
  6. Antioxidant गुण: करेला  कैंसर प्रतिरोधी तत्वों का एक अच्छा स्रोत होता है। यह विषाणुओं के खिलाफ लड़ने में मदद करता है और कैंसर के जोखिम को कम करता है।

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