हर इंसान लंबा जीवन जीना चाहता है। हर किसी की इच्छा होती है कि इस संसार में लंबे समय तक जीवित रहे। आपने सुना भी होगा कई बुजुर्ग ये कहते हैं कि बस अपने पोते का बेटा और देख लूं फिर मरने का भय नहीं। इच्छाएं बढ़ती जाती है। इच्छाएं कभी समाप्त नहीं होती। स्वामी श्री हित प्रेमानंद महाराज ने एक वेबसाइट को जानकारी देते हुए ये बताया है कि मनुष्य को कैसा आचरण नहीं करना चाहिए और इससे जीवन कम कैसे हो जाता है।
ईश्वर में विश्वास न रखने पर
महाराज का कहना है कि जो व्यक्ति प्रभू के अवहेलना करते हैं। जिनका ये कहना होता है कि भगवान नहीं होते। जो नास्तिक होते हैं ऐसे लोगों की आयु कम हो जाती है। गुरु का अपमान करना सबसे बड़ा पाप होता है। गुरु से बढ़कर कुछ नहीं होना चाहिए। अगर हम गुरू का अपमान करते हैं तो हमारे आयु कम हो जाती है।
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दिन की शुरूआत अच्छे से न करने पर
कहा जाता है कि सुबह की शुरूआत जैसी होती है पूरा दिन भी वैसा ही व्यतीत होता है। सुबह की शुरूआत हमेशा अच्छे से करनी चाहिए। कभी भी अपवित्र और झूठा आहार लेकर सुबह की शुरूआत नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग दांत से नाखून चबाते हैं या ऐसी हरकते करते हैं जो करने योग्य नहीं होती। इससे आयु पर प्रभाव पड़ता है।
शाम के समय सोने पर
शास्त्रों में शाम के समय सोना निषेध माना गया है। माना जाता है कि इस समय सोने पर ईष्ट देव आपसे नाराज हो जाते हैं। आपने बहुत बार बड़े बुजूर्गों से सुना भी होगा जो कहते हैं कि जब दोनों समय मिल रहे होते हैं तो सोना नहीं चाहिए। महाराज जी का कहना है कि संध्या के समय सोने से आपकी आयु कम हो जाती है।
सूर्य ग्रहण को देखने पर
प्रेमानंद महाराज का मानना है कि ग्रहण में कभी सूर्य के दर्शन नहीं करने चाहिए। ग्रहण में अगर हम सूर्य को देखते हैं, तो इसका असर हमारी आयु पर पड़ता है। इसलिए ये काम करने से बचना चाहिए।
कड़वे बोल बोलने पर
कभी किसी व्यक्ति को अपनी वाणी आहत नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में इसे पाप कहा गया है। हमेशा सबके साथ मधुरभाषी रहना चाहिए और कड़वे वचनों का परित्याग करना चाहिए। अगर आप किसी दूसरे व्यक्ति को अपनी वाणी से आहत करते हैं, तो इससे आयु कम हो जाती है।
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अपने से कमजोर का मजाक उड़ाने पर
बहुत से व्यक्ति होती है, जो अपने से कमजोर व्यक्ति को देख कर उसका उपहास करने लगता है। जैसे किसी निर्धन, भिखारी, अंपग, अंधा, गूंगा, बहरा आदि को देखकर उसका मजाक बनाना सही नहीं है। ऐसा करना आपको भी नुकसान पहुंचा सकता है। हमें कभी किसी की भावनाओं और शारीरिक कमजोरी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।
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द यूनिक भारत का उद्देश्य किसी भी प्रकार की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है। ये नीजी विचार है।
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