अगर आप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हैं तो सावधान हो जाइए। सोशल मीडिया वेबसाइट के इस्तेमाल के दौरान आपका एक क्लिक आपकी जीवन भर की कमाई को गंवा सकता है। आजकल रोजाना हम सुन रहे हैं कि मोबाइल पर कॉल कर या ईमेल के जरिए लालच देकर लोगों के बैंक खातों से पैसे निकाले जा रहे हैं। हालांकि पुलिस प्रशासन की ओर से साइबर सेल और साइबर थाने बनाए गए हैं लेकिन पुलिस सिर्फ केस दर्ज करने तक ही सीमित रह गई है। ऐसे में हमें खुद चौकन्ना होने की जरूरत है।
पेन और आधार से लिंक के नाम पर धोखाधड़ी
मोबाइल पर ई मेल पर भेजे जाने वाले अनजान लिंक पर क्लिक करते ही इतने वेब पेज खुल कर आता इसमें कुछ जानकारी मांगी जाती है जब हम अपने अकाउंट या अपने से संबंधित कोई जानकारी उसमें अपडेट करते हैं तो साइबर क्राइम से जुड़े शातिर लोग इसका फायदा उठाकर हमें लाखों रुपए की चपत लगा जाते हैं। कुछ लोग अभी पेन कार्ड को आधार से लिंक के नाम पर या केवाईसी का झांसा देकर धोखाधड़ी कर रहे हैं। साइबर ठग फर्जी वेबसाइट लिंक बनाकर या मोबाइल नंबर पर किसी फर्जी फेसबुक एकाउंट के जरिए इंटरनेट यूजर की निजी जानकारी जैसे सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड क्रेडिट कार्ड या बैंक की गोपनीय जानकारी हैक करने की कोशिश करते हैं। हैक करने वाला व्यक्ति पहले धोखे से उपभोक्ता को अपने झांसे में ले लेता है जिससे उस की सारी जानकारी मिल जाती है जिस तरह मछली को जाल में फंसाने के लिए चारा दिखाया जाता है और मछली फंस जाती है। उसी तरह ऑनलाइन जालसाजी में हैकरों द्वारा कई लोगों को लॉटरी लगने या विदेश से कुछ गिफ्ट मिलने का झांसा दिया जाता है और लोगों का भरोसा जीत कर उनकी जीवन भर की कमाई उड़ा ली जाती है।
Phishing क्या है?
फिशिंग एक ऑनलाइन स्कैम है। यहां अपराधी संवेदनशील जानकारियां चुराने के लिए लुभावने ईमेल, मैसेज, विज्ञापन या दूसरे संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं। हर मैसेज में एक ऐसा लिंक होता है जिसमें आपसे कुछ गोपनीय जानकारियां मांगी जाती हैं। अक्सर मैसेज भेजने वाले ठग लोक-लुभावने ऑफर्स का हवाला देते हैं। ईमेल में साइबर ठग किसी बड़ी वेबसाइट या प्लेटफॉर्म की रिप्लिका तैयार करते हैं। देखने में यह किसी बड़े संस्थान की असली वेबसाइट जैसी दिखती है। कई बार दूसरे माध्यमों से ठगी की जाती है। आपसे कुछ जरूरी जानकारी फिल कराए जाते हैं, जैसे आपका आधार कार्ड नंबर, पैन कार्ड नंबर, मोबाइल, बैंकिंग डीटेल्स, डेबिट-क्रेडिट कार्ड की जानकारी और अंत में आपका ओटीपी।
फिशिंग अटैक से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
- ऐसी किसी कॉल का जवाब न दें, जिसमें कॉलर यूजर आईडी, पासवर्ड, डेबिट कार्ड नंबर, पिन, सीवीवी आदि अपडेट या वेरिफाई करने को कहे।
- ऑनलाइन कस्टमर केयर नंबर सर्च करते समय सावधानी बरतें। कंपनी की वेबसाइट खोलकर वहां दिए नंबर पर ही कॉल करें। कस्टमर केयर से मिलने वाले निर्देश पर भी सोच-समझकर अमल करें।
- पासवर्ड, पिन, टिन आदि सख्त तौर पर गोपनीय होते हैं और इनकी बैंक के कर्मचारियों और सुरक्षा अधिकारियों को भी नहीं पता होता है। इसलिए आप फोन पर पूछे इन सवालों के जवाब न दें।
- किसी कॉल के बाद झांसे में आकर अगर आप पेमेंट करने भी लगे हैं तो ध्यान रखें कि अगर क्यूआर कोड स्कैन करने का ऑप्शन आता है तो पहले यह सुनिश्चित करें कि वह सही है या नहीं।