भारत देश मसालों का अच्छा उत्पादक, निर्यातक और उपभोक्ता है। मसालों की सबसे ज्यादा खेती आंध्र प्रदेश और केरल में की जाती है। देश में मसालों का वार्षिक उत्पादन 4.14 मिलियन टन है। भारत में लौंग, काली मिर्च, इचायची,लाल मिर्च, धनिया आदि मसालों का उत्पादन बढ़िया तरीके से किया जाता है। आज हम जानते हैं काली मिर्च की खेती कैसे की जाती है, किसानों को कैसे फायदा होता है आदि के बारे में संपूर्ण जानकारी।
काली मिर्च की खेती है सरल
जिन किसानों को कम मेहनत और लागत में ज्यादा मुनाफा चाहिए, वो किसान इस खेती को कर सकते हैं। ये खेती सरल मानी जाती है। काली मिर्च की ज्यादातर खेती दक्षिण क्षेत्रों में की जाती है, लेकिन अब लगभग हर जगह पर इस मसाले की खेती होने लगी है। वैज्ञानिक तरीके से अगर काली मिर्च की खेती की जाती है, तो किसान कम लागत में भारी मुनाफा कमा सकते हैं।
काली मिर्च का भारत में उत्पादन
मसालों में सबसे ज्यादा उत्पादन काली मिर्च का किया जाता है। भारत में हर साल 20 करोड़ रुपये की काली मिर्च का निर्यात विदेशों में किया जाता है। केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में काली मिर्च की खेती ज्यादा मात्रा में की जाती है। महाराष्ट्र, कुर्ग, मलावर, कोचीन, त्रावणकोर, और असम के पहाड़ी इलाकों में भी काली मिर्च की खेती की जाती है। छत्तीसगढ़ भी काली मिर्च की खेती के लिए जाना जाने लगा है।
काली मिर्च की खेती
- काली मिर्च की खेती झाड़ के रूप में की जाती है।
- खेती के लिए लाल लैटेराइट मिट्टी और लाल मिट्टी दोनों ही सबसे उपयुक्त मिट्टी हैं।
- इसकी खेती के लिए मिट्टी की पी.एच. का मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए।
- काली मिर्च की खेती पर्याप्त वर्षा और आर्द्रता वाले आर्द्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है।
- गरम और आर्द्र जलवायु भी इसकी खेती के लिए सही मानी जाती है।
- न्यूनतम 10.0 डि़ग्री सेल्सियस तथा उच्चतम 40.0 डि़ग्री सेल्सियस तापमान को सहन कर सकती है।
- इसकी खेती के लिए 23-32 डि़ग्री सेल्सियस के बीच औसत तापमान 28 डि़ग्री सेल्सियस तापमान अधिक उपयुक्त है।
- काली मिर्च की खेती आप सितंबर माह के बीच में करें तो सही माना जाता है।
- कलम विधि से या फिर रोपण से इसकी खेती की जा सकती है।
- बीज बोते समय थोड़ी सिंचाई करना अंकुरण में सहायक होता है।
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काली मिर्च की पौध बनाकर करें रोपाई
काली मिर्च का बीज सीधा आप खेत में उगा देते हैं तो वो अंकुरित होने में काफी समय ले लेता है। इसलिए पहले इसके पौधे तैयार किए जाते हैं। और फिर इनकी रोपाई की जाती है। साधारण विधि (स्कोरेफिकेशन), परम्परागत विधि, संशोधन प्रवर्धन विधि, ट्रेंच विधि, सर्पेन्टाइन विधि, मृदा रहित पोंटिग मिश्रण आदि विधि के माध्यम से सके , पौधे तैयार कर सकते है। पौधें सरकारी नर्सरी से खरीद कर भी खेत में रोपाई कर सकते हैं। इससे आपका पैसा और समय दोनों ही बचेगा।
माना जाता है कि काली मिर्च के पौधे ज्यादा धूप सहन नहीं कर पाते हैं। शुरूआत के दो साल तक आपको इन्हें धूप से बचाना होगा। मानसून शुरू होते ही आप इसकी खेती कर सकते हैं। रोपण करते समय हर पौधे के बीच में तीन मीटर की दूरी होनी चाहिए। ये पौधा बेल की तरह बढ़ता है, तो सहायक पौधा भी आप इसके साथ में लगा दें, ताकि इसको फैलने में परेशानी न हो।
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सफेद और काली मिर्च एक ही पौधे पर
सफेद और काली मिर्च एक ही पौधे पर लगती है। फूल लगने के 7-8 महीनों बाद इसके बीज तैयार होते हैं। पौधे से तोड़ने के बाद इनको काला और सफेद रूप दिया जाता है। सफेद मिर्च बनाने के लिए इनके फल को पानी में रखकर ऊपरी छिलका उतार दिया जाता है। फिर उसे दो तीन दिन धूप में सुखाया जाता है और इसका रंग सफेद दिखाई देने लगता है। काली मिर्च को तोड़ने के बाद गर्म पानी में धोकर सुखाया जाता है। काली मिर्च के प्रत्येक पौधे से साल में 5 से 6 किलोग्राम तक पैदावर हो जाती है। किसान को एक हेक्टेयर से 40 से 60 क्विंटल तक पैदावर मिल सकती है। एक हेक्टेयर में 1100 पौधे लगाए जाते हैं।