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अब देश ऑर्गेनिक खेेती की ओर बढ़ रहा है। कैमिकल, यूरिया, पेस्टिसाइड के नुकसानों से लोग परिचित हो चुके हैं। अब ऑर्गेनिक फसल की मांग बढ़ी है। इसी कड़ी में किसानों ने गौमूत्र को रसायनिक उर्वरक की जगह प्रयोग करना शुरू कर दिया है। बता दें कि प्राचीन काल से भारत में कृषि का आधार गाय को ही माना जाता था। हर घर में एक गाय जरूर होती थी। ऐसे में गाय के माध्यम से किसान को दूध ही नहीं बल्कि खेतों के लिए गोबर और गोमूत्र भी उपलब्ध होता था। गोबर का बड़ी मात्रा में खेतों में इस्तेमाल होता आया है। वहीं अब समय के साथ धीरे-धीरे खेती की विधियों में भी परिवर्तन हुआ। बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए देश में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग बढ़ा था। इससे खेती में भरपूर उत्पादन होने लगा। लेकिन रसायनों के प्रयोग का मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगा। वहीं अब फिर से पुराने संसाधनों की ओर लोग लौट रहे हैं। ऐसे में झांसी जनपद के रहने  वाले किसान धर्मेंद्र नामदेव ने  गौमूत्र के माध्यम से उर्वरक बनाने के लिए गौमूत्र (Gaumutra) का खेतों में प्रयोग किया है।  बता दे कि धर्मेंद्र इस व‍िध‍ि से वह पि‍छले 5 सालों से खेती कर रहे हैं। 

5 सालों से कर रहे हैं गौमूत्र का उपयोग 

किसान धर्मेंद्र ने बताया कि रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक जमीन की उर्वरक शक्ति को खत्म कर देते हैं। ऐसे में उन्होंने इससे बचने का साधन तलाशना शुरू किया। जिसमें उन्हें गोबर के बारे में पता चला। लेकिन उन्होंने गोबर का भी खाद के तौर पर उपयोग नहीं किया। उन्होंने गौमूत्र के बारे में अध्ययन किया। उन्होंने बताया कि गौमूत्र में जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के गुण मौजूद है। इससे पैदा होने वाली फसल का उत्पादन अच्छा है। फिलहाल वह खेतो में बैगन, टमाटर, उड़द और मसूर की फसल कर रहे हैं।  धर्मेंद्र नामदेव पिछले 5 वर्ष से गौमूत्र के माध्यम से खेती कर रहे हैं। उनके पास 2 एकड़ खेत है। 

इस तरह करें गौमूत्र का उपयोग

धर्मेंद्र नामदेव ने बताया कि अपने खेतों में सिंचाई के दौरान ही गौमूत्र का उपयोग किया जाता है। एक एकड़ खेत में 40 लीटर गोमूत्र का उपयोग किया जाता है। अब वह किसानों से देसी नस्ल के गोमूत्र को खरीदते हैं। उनकी फसल लागत भी कम है। उत्पादन कम होने के बावजूद भी किसान का मुनाफा कम नहीं होता है। कैमिकल फ्री और भरपूर पोषक तत्व मौजूद होने पर बड़ी मात्रा में लोग उनसे सब्जियां खरीदते हैं। 

फसलों में गौमूत्र  के फायदे

 कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि

  • रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों  मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की संख्या कम हो रही है। गौमूत्र के माध्यम से मिट्‌टी की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है।
  • जमीन की उर्वरा शक्ति में भी काफी फायदा होता है।
  • गौमूत्र के प्रयोग से खराब भूमि को भी उपयोगी बनाया जा सकता है।
  • सिंचाई के लिए पानी भी कम लगता है।
  • जमीन की वर्षा का जल सोखने व रोकने की क्षमता बढ़ जाती है। 

गौमूत्र में होते हैं ये प्रमुख तत्व

  1. नाइट्रोजन
  2. गंधक अमोनिया
  3. कापर
  4. यूरिया
  5. यूरिक एसिड
  6. फास्फेट
  7. सोडियम
  8. पोटेशियम 
  9. मैग्निज
  10. कर्बोलिक एसिड
  11.  विटामिन ए
  12. विटामिन बी
  13. विटामिन सी
  14. विटामिन डी और ई
  15. हिप्युरिक एसिड
  16. क्रिएटनीन
  17. स्वर्ण क्षार 

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