माथे पर छोटी सी बिंदी के बिना सोलह शृंगार को अधूरा माना जाता है। प्राचीन काल से बिंदी लगाने की परंपरा चली आ रही है। यह छोटी सी बिंदी महलाओं को रूप को और मोहित करने वाला बना देती है। कई शायरों ने लिखा भी है कि तेरी बिंदी इशारे कर के हमें बुलाती है, तेरे माथे की बिंदी हमें पागल बनाती है…। बेशक यह बिंदी दीवाना बना दे लेकिन यह महिलाओं के लिए खतरनाक भी साबित हाेती है।दरअसल पहले महिलाएं कुमकुम की बिंदी लगाती थीं, इससे महिलाओं को कोई भी परेशानी नहीं होती थी। क्योंकि कुमकुम में केमिकल नहीं होता था। फिर बाजार में फैशन आया स्टिकर बिंदी का। इससे कुछ महिलाओं को स्किन एलर्जी, सफेद दाग जैसी भी समस्या हुई। आइये आपको बताते है इसके दुष्प्रभाव और उससे बचने के उपाय….
बिंदी से होने वाले दुष्प्रभाव
- स्किन डैमेज– बिंदी बनाने में पैरा टर्शियरी ब्यूटिल फिनॉल नामक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी वजह से स्किन डैमेज होने का डर रहता है।
- सफेद दाग- कुछ महिलाएं बिंदी पूरे दिन लगा कर रखती हैं। इससे भी सफेद दाग पड़ सकता है।
- खुजली – बिंदी अगर एक ही जगह पर लगी होती है तो वह जगह संवेदनशील हो जाती है और वहां पर खुजली पैदा हो जाती है।
इससे बचने के उपाय
- स्टीकर बिंदी का प्रयोग कम से कम करें।
- उसकी जगह पर कुमकुम का इस्तेमाल करें।
- रात में बिंदी हटा कर सोये।
- एलोवेरा जेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- शहद और निंबू का पेस्ट भी बना कर कर सकती हैं प्रयोग। इससे फेस पर ग्लो भी आता है।
क्यों लगाई जाती रही है बिंदी, वैज्ञानिक कारण
जिस स्थान पर बिंदी लगाई जाती है यह जगह एकाग्रता का केंद्र होती है। कुछ लोगों को बिंदी लगाने से सिर दर्द में भी राहत मिलती है। इससे चेहरे मांसपेशियों को आराम मिलता है। माथे की जगह से आंखों की नसें भी संबंधित होती हैं। मांसपेशियों में रक्त प्रवाह भी अच्छा बना रहता है।