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ख़ुदा बचाए तेरी मस्त मस्त आँखों से, फ़रिश्ता हो तो बहक जाए आदमी क्या है… लेकिन इन्हीं मस्त मस्त आंखों पर चश्मा चढ़ा हो तो आंखों से दिल का हाल बयां करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में लोग चश्मे के झंझट से दूर भागते हैं। लेकिन नजरें कमजाेर होने की समस्या उन्हें हर वक्त चश्मा लगाने को मजबूर करती है। बहुत से लोग चश्मे से पीछा छुड़ाने के लिए लैंस लगाने लगे हैं। लेकिन कई बार डॉक्टर्स लैंस की जगह चश्मा लगाने की ही सलाह देते हैं। ऐसे में हम बताने जा रहे हैं कि दोनों में से बेहतर विकल्प क्या है।

 चश्मा है बेस्ट ऑप्शन

नेत्र विशेषज्ञ अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार मरीजों को चश्मा या लैंस की सलाह देते हैं। हालांकि अधिकतर विशेषज्ञ चश्मा लगाना बेहतर समझते हैं। उनके अनुसार यह शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचाता है। क्योंकि लेंस सीधे आंखों पर लगाए जाते हैं और कॉर्निया के साथ ये लगातार संपर्क में रहते हैं। वहीं चश्‍मा आंखों से दूर रहता है।  कॉन्टैक्ट लेंस से आंखों में इंफेक्‍शन का डर रहता है, क्योंकि इसे पहनने और उतारने के लिए आंख को बार-बार छूना पड़ता है।

बढ़ रही है कॉटेक्ट लैंस की मांग

आंखों में Contact Lens लगवाने की मांग तेजी से बढ़ी है। आजकल के लाइफस्टाइल की वजह से बच्चों और युवाओं की आंखें कमजोर हो रही हैं। फैशन और ट्रेंड को देखते हुए युवा चश्मे से दूरी बनाना चाहते हैं और लैंस लगवाना पसंद करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2019 से 2025 तक कॉन्‍टेक्‍ट लेंसेंज कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है।

कॉटेक्ट लैंस में रुचि का यह है कारण

 

युवाओं का मानना है कि चश्मे का पूरे दिन ध्यान रखना पड़ता है। इसके फ्रेम को बार-बार सही करना भी परेशान करता है। पसीने की वजह से भी फिसलने लगता है। इसके अलावा फिजिकल एक्‍सरसाइज के दौरान चश्‍मा टिकता ही नहीं है जो बहुत बड़ी मुश्किल लगती है। चश्मे के लैंस बाहरी वातावरण के सीधे संपर्क में रहने हैं, जिसकी वजह से यह बार-बार गंदे हो जाते हैं। इस वजह से साफ दिखाई नहीं देता।

इन लोगों के लिए जरूरी हो जाते हैं कॉटेक्ट लैंस

जो लोग हर दिन फिजिकल एक्सरसाइज करते हैं या शारीरिक काम करते हैं। उनके लिए चश्मा संभालना आसान नहीं होता है।  जिन लोगों की दोनों या एक आंख का नंबर बहुत ज्‍यादा होता है और एक का कम होता है, ऐसी हालत में एक चश्‍मे से देखने में मरीज को दिक्‍कत होती है। ऐसे लोगों को चश्‍मे की बजाय नजर वाला कॉन्‍टेक्‍ट लेंस लगाने की सलाह दी जाती है।

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