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शादी के बाद से अगर पति-पत्नी 1 साल या उससे ज्यादा समय से अलग-अलग रह रहे हैं। दोनों के बीच शारीरिक संपर्क न हुआ हो। दोनों के साथ रहने की कोई संभावना नहीं है या दोनों में झगड़ा इतना ज्यादा है कि उनमें सुलह होने की संभावनाएं कम हैं तो शादी के बाद तलाक की अर्जी अदालत में दी जा सकती है लेकिन यह पूरी तरह कोर्ट पर निर्भर है कि तलाक़ कब तक मंजूर किया जायेगा। इसकी पूरी प्रक्रिया कोर्ट द्वारा निर्धारित की जाती है।
एक मुसलमान को 4 से अधिक पत्नियां रखने का अधिकार नहीं है। पांचवी पत्नी से विवाह वह तभी कर सकता है जब उसने चार पत्नियों में से किसी एक को कानूनी रूप से तलाक़ दे दिया हो या उनमे से किसी एक की मृत्यु हो गई हो। तभी वह किसी महिला को अपनी पांचवी पत्नी बना सकता है या पांचवा विवाह कर सकता है।

क्या पत्नी एकतरफा तलाक ले सकती है?

यदि पत्नी अपने पति से एक तरफा तलाक़ लेना चाहती है तो उसके पास कोर्ट में अर्जी लगाने का अधिकार है। एकतरफा तलाक के दौरान छः महीने की अवधि नहीं दी जाती है। इस तलाक प्रक्रिया में कितना समय लगेगा इसकी कोई सीमा नहीं है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से माननीय कोर्ट पर निर्भर करता है। न्यायालय एकतरफा तलाक के मामलें में कई महत्वपूर्ण बातों पर विचार करता है जिसके आधार पर ही तलाक का अनुमति प्रदान की सकती है।

आपसी सहमति से तलाक

  1. दंपती एक साल या उससे ज्यादा समय से अलग रह रहे हों। दोनों पार्टनर यानी पति और पत्नी दोनों में साथ रहने पर कोई सहमति न हो।
  2. अगर दोनों पक्षों में सुलह की कोई स्थिति न हो तो तलाक की अर्जी फाइल की जा सकती है।
  3. दोनों पक्षों की ओर से तलाक की पहली अर्जी के बाद कोर्ट 6 महीने का समय दिया जाता है। इस दौरान कोई भी पक्ष अर्जी वापस ले सकता है।
  4. नए नियमों के मुताबिक, इस 6 महीने की अवधि को कम करने के लिए आप आवेदन कर सकते हैं। जांच-परख के बाद कोर्ट यह अवधि कम कर सकता है।
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