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कृषि में आधुनिक यंत्रों का उपयोग बढ़ा है। किराया अधिक होने के चलते खेती की लागत बढ़ जाती है। बदलते परिवेश में खेती किसानी में काफी बदलाव आया है। छोटे जोत के किसानों तक यंत्रों की पहुंच बनाने के लिए सरकार की ओर से योजना चला रही है। इससे जहां श्रम और लागत खर्च में कमी आ रही है वहीं समय पर किसान बुवाई और कटाई भी कर लेते हैं। किसानों को भाड़ा पर देने के लिए हैपी सीडर, स्ट्रॉ वेलर, स्ट्रॉ रीपर कम बाइंडर स्वचालित, रीपर कम बाइंडर, रोटरी मल्चर, ट्रैक्टर आदि यंत्रों की खरीद करेंगे। इसके लिए सरकार इन्हें 80 प्रतिशत का अनुदान दे रही है।

उत्पादन बढ़ेगा और वे समृद्ध होंगे किसान

कस्टम हायरिंग सेंटर खुल जाने के बाद लघु व सीमांत किसानों को खेती किसानी में काफी सहूलियत होगी। समय पर फसलों की बुवाई और कटाई होने से जलवायु परिवर्तन का जोखिम भी कम हो जाएगा।उन्हें बाजार से कम भाड़े पर कृषि यंत्र उपलब्ध हो जाएगा। किसान आधुनिक कृषि यंत्रों की मदद से समय पर खेती कर सकेंगे। इससे जहां लागत खर्च में कमी आएगी। वहीं श्रम भी बचेगा। इसके चलते किसानों का उत्पादन बढ़ेगा और वे समृद्ध होंगे।

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किसानों की सकल आय में वृद्धि होगी

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की तकरीबन आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है। ऐसे में खेती करने के लिए किसानों को कृषि उपकरणों की जरूरत होती है। जिसमें ट्रैक्टर सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. किसान ट्रैक्टर आसानी से खरीद सकें । किसानों की खेती आधुनिक यंत्रों के अभाव से पिछड़ जाती है। कृषि यंत्रों का पहुंच ऐसे किसानों तक उपलब्ध हो इसके लिए सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मेकेनाइजेशन योजना के जिला कृषि विभाग की ओर से चार कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने जा रही है। यंत्रीकरण से गन्ने की लागत कम होगी और श्रम व समय की भी बचत होगी एवं प्रत्यक्ष रूप से किसानों की सकल आय में वृद्धि होगी।

 

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