एक्सपर्ट से जानें, लक्ष्य पाने के लिए क्या है जरूरी
क्या कभी किसी की उपलब्धि देखकर आपका भी मन किया है कि ‘काश! मैं भी ऐसा कुछ कर पाती’। पर फिर साथ साथ ही अपने आप को परिस्थितियों की दुहाई देकर समझा लिया कि हम जहाँ पहुँचना चाहते हैं वहां तक पहुंचने के न तो हमारे पास संसाधन है और न हालात। परंतु सत्य यह है कि समस्याओं की बड़ी सी दिखने वाली यह सीमा रेखा मन में ही होती है यथार्थ में ज़रा से प्रयास से ही धुंधली पड़ने लगती है। आपका अपने निश्चित लक्ष्य की ओर बढ़ाया गया एक कदम मंजिल करीब ले आता है। तीव्र इच्छा के आगे बड़ी समस्याएं भी बहुत छोटी दिखने लगती है। इस कड़ी में फाइनल स्टेप’ संस्थान की निदेशक और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट ट्रेनर डा. कीर्ति गोयल से जानते हैं कुछ छोटे-छोटे उपाय जिनके द्वारा हम अपने लक्ष्य को पा सकते हैं-
अपने लक्ष्य तक पहुंचने की छटपटाहट होनी अनिवार्य
डा. कीर्ति गोयल ने बताया कि हम जहां पर हैं और हम जहां पर पहुंचना चाहते हैं जब यह बीच का रास्ता असहनीय हो जाए तब हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ चलते हैं। 469 ईस्वी पूर्व में यूनान में एक महान दार्शनिक हुए ‘सुकरात’ जिनके विचारों ने उस समय सामाजिक बदलाव में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। एथेंस में निवास करने वाला एक युवक उनके पास पहुंचा और पूछा कि विद्वान व्यक्तित्व और सफलता से पूर्ण समृद्ध जीवन का क्या मार्ग है? यह सुनकर सुकरात बोले, ‘क्या तुम सही में इस तरह का जीवन चाहते हो? क्या ऐसा जीवन प्राप्त करने के लिए खुद को झोंक सकते हो?’ इस पर युवक बोला मैं एक सफलता से परिपूर्ण जीवन चाहता हूं और इसके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। यह बात सुनकर सुकरात ने कहा कि तुम कल आना। अगले दिन जब वह युवक उनके पास पहुंचा तो सुकरात ने उसको नदी में कुछ दूर जाकर पानी में खड़े होने को कहा। जब वह युवक कुछ दूर जाकर नदी के गहरे पानी में जाकर खड़ा हो गया तो सुकरात भी आ गए और अचानक से उसके सिर पर अपना हाथ रख कर उसे पानी में डूबा दिया। गहरे पानी के अंदर सिर जाते ही युवक सांस के लिए छटपटाने लगा और बेतहाशा हाथ पैर मारने लगा। कुछ देर के बाद सुकरात ने उसके सिर के ऊपर से हाथ हटाया। जब वह युवक नदी से बाहर आकर कुछ देर पश्चात ज़रा सहज हुआ तब सुकरात ने उससे पूछा कि ‘जब तुम पानी के अंदर थे तो तुम्हारी सबसे तीव्र इच्छा क्या थी?’ इस प्रश्न के उत्तर में व युवक बोला मैं बस किसी भी तरीके से सांस लेना चाहता था। सुनकर सुकरात बोले बस तुम इसी तीव्रता और छटपटाहट के साथ जब ज्ञान और सफलता अर्जित करना चाहोगे और पूरी निष्ठा के साथ कार्य में लगोगे तो असंभव भी संभव हो जाएगा।
समय प्रबंधन की कला को सीखें:-
समय बड़ी तेज़ गति से निकल रहा है। सभी लोगों के पास 24 घंटे का समय ही होता है। कामियाब लोग समय को तरीके से व्यवस्थित रूप में उपयोग करना जानते हैं। समय पैसे से भी अधिक कीमती है। खोया हुआ पैसा फिर कमाया जा सकता है परंतु खोया हुआ समय कभी वापस नहीं मिल सकता अतः हर क्षण को मूल्यवान मान उसका सदुपयोग करें।
छोटे लक्ष्य निर्धारित करें
अपने अंतिम लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हर क्षण जीत की कल्पना कीजिए। सफलता प्राप्त करने की कल्पना के साथ कदम बढ़ाते चलिये। persistence यानि निरंतरता विराम पर अंकुश लगाती है। हर रोज़ के छोटे कदम आपको अपने लक्ष्य के करीब लेते जाएंगे।
अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें
नकारात्मक लोगों को पहचान कर उनकी तरफ ना दिखने वाला छाता किए रखें। ऐसे लोग हमेशा आपको अपने स्वयं के बारे में हीन भाव महसूस कराएंगे। अपने आसपास ऐसे लोगों को रखिए जिनका ‘ग्रोथ माइंड सेट’ हो। विकास मानसिकता के लोग आपको जीवन में ऊँचा उठने में हमेशा सहायक होंगे।
अपने गुरु (मैंनटर) का सहयोग लें
आप कोई भी देख ऐसे जहाज की परिस्थिति सोचिए जहां पर शिप का कैप्टन डैक पर है और वह दूर तक देख सकता है। फिर आप उस इंजन रूम के बारे में सोचिए जहां पर नौसैनिक कुछ भी नहीं देख सकते। बस वह बहुत आज्ञाकारी है और वही करते हैं जो उनको कहा जाता है। अब यह नैतिक जिम्मेदारी शिप के कैप्टन की हो गई है उनको सही निर्देश दें। इसी तरह एक अच्छा गुरु अथवा शिक्षक वह रास्ता दिखाता है जो हम उस परिस्थिति में खड़े होकर कई बार नहीं देख पाते हैं।अतः अपना मार्गदर्शन करने वाले बड़ो का सानिध्य रखें।
डा. कीर्ति गोयल द्वारा बताए गए यह कुछ ऐसे उपाय हैं जो सफलता की ओर आपको लेते जाएंगे। मार्ग में यदि असफलता मिलती है तो उसमें में भी सबक होता है। कहाँ कमी रह गई इस का आंकलन करें सफलता निश्चित रूप में आपके समक्ष होगी।
एक्सपर्ट परिचय
डॉ. कीर्ति गोयल– फाइनल स्टेप’ संस्थान की निदेशक और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट ट्रेनर डाॅ. कीर्ति गोयलविभिन्न न्यूज़ चैनल्स एवं आकाशवाणी के साथ काम करने के बाद विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को एक दशक से भी अधिक समय तक पढ़ाया। संचार प्रबंधन एवं तकनीकी में डॉक्टरेट डा. कीर्ति गोयल के अनेक शोध पत्र राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं एवं आलेख विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहते हैं। अब प्रोफैशनल ट्रेनिंग, लेखन, रंगमंच में निरंतर सक्रिय होने के साथ-साथ डा. कीर्ति का पर्सनालिटी डेवलपमेंट ट्रेनर के रूप में लक्ष्य उन विद्यार्थियों एवं उम्मीदवारों को नि:शुल्क व्यक्तित्व एवं सॉफ्ट स्किल्स में पारंगत करना हैं जो आर्थिक रूप से अक्षम पर शैक्षिक रूप से बेहद योग्य हैं लेकिन अभिव्यक्ति एवं भाषा का सही ज्ञान न होने के कारण इंटरव्यू में रह जाते हैं। डा कीर्ति इसी दिशा में निरंतर प्रयासरत है एवं उनको उत्साहजनक परिणाम भी मिल रहे हैं।