grafted fruit plants
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Grafted fruit Plant:  छतों पर छोटे छोटे गमलों में फल लगे हुए जरूर देखे होंगे। जिन्हें देखकर हम भी बहुत सारे फलों के पौधे नर्सरी से खरीद लाते हैं। लेकिन बहुत से लोगों की शिकायत होती है कि उनके द्वारा लगाए गए पौधों पर फल नहीं लगते है। कई साल बीतने के बाद भी फ्रूटिंग नहीं होती है। इसका मुख्य कारण है कि जो भी फल के पौधे खरीदें हैं वो ग्राफ्टेड नहीं है। फलों के पौधों को अगर आप गमले में लगाना चाहते हैं तो उनका ग्राफ्टेड होना जरूरी है। आज हम इस लेख में आपको बताएंगे कि हमें नर्सरी से कौन से पौधे खरीदने चाहिए। ग्राफ्टेड फ्रूट प्लांट के क्या फायदे हैं। क्या होता है ग्राफ्टेड, क्यों जरूरी है।

क्या होता है ग्राफ्टेड( What is Grafted)

फ्रूट गार्डनिंग एक्सपर्ट पदम सिंह ने बताया पौधे का गाफ्टेड होना एक विधि है। इस विधि में दो अलग अलग पौधे के दो अलग अलग हिस्सों को जोड़ा जाता है। दोनों को जोड़कर एक पौधा बनाया जाता है। जिसमें दोनों पौधों के गुण आ जाते हैं। जिसमें जल्दी फ्रूटिंग होना जैसे फायदे मिलते हैं।  इसमें जड़ वाले पौधे को रुटस्टॉक अैार ऊपरी हिस्से को साइअन कहते हैं। 

ग्राफ्टेड फ्रूट प्लांट पर जल्दी फल क्यों आता है

ग्राफ्टिंग तकनीक  में, पहले से ही फल देने वाले पौधे को एक मजबूत जड़ वाले पौधे से जोड़ा जाता है। इसमें ऊपर लगाया पौधा पहले ही फल देने की अवस्था में है, इसलिए इस विधि से तैयार किया गया नया पौधा जल्दी फल देना शुरू कर देता है। छतों पर लगने वाले पौधों में ग्राफ्टेड प्लांट ही लगाए जाते हैं।

ग्राफ्टेड प्लांट की कैसै करें पहचान

  • ग्राफ्टेड प्लांट में एक जोड़ का निशान होता है।
  • यह निशान से पता चलता है कि दूसरा पौधा जोड़ा गया है
  • यह निशान या गांठ जमीन से थोड़ा ऊपर होती है
  • निशान से ऊपर और नीचे के हिस्सों का रंग अलग होता है

ग्राफ्टेड फ्रूट प्लांट के फायदे

  1. ग्राफ्टेड फ्रूट प्लांट पर कम समय में ही फ्रूटिंग शुरू हो जाती है।
  2. पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो जाती है
  3. फलों का साइज बड़ा होता है
  4. बीज से उगाए हुए पौधों के मुकाबले ग्राफ्टेड प्लांट तेजी से बढ़ते हैं।

और अधिक समझने के लिए वीडियो देखें

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