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देश में फलाना ढिमकान नाम के पंडित थे। जो तय कर गए थे कि घर में रोटी-सब्जी या झाड़ू-पोछा लगाने का काम महिलाएं ही करेंगी। उन फलाना ढिमकान जी की बातों को महिलाएं बड़ी ही गंभीरता के साथ सुनती थी और फॉलो भी करती थीं। तब से ही घर में  झाडूं पोछा और रोटी सब्जी बनाने का काम महिलाओं को मिल गया।

पुरुष बाहर काम कर घर का खर्चा चलाने के लिए पैसा लाते थे। क्योंकि पुरुष पैसा कमा रहे थे तो पंडित जी ने उन्हें सुपरपावर दे दी। यानि उन्हें महिलाओं पर दबाव बनाने, उन्हें पीटने और गाली देने जैसे काम करने के अधिकार भी दे दिए।

बता दें कि विकासशील देश में सभी धर्म पाखंडियों का भंडाफोड़ हो रहा है। बाबाओं के गाेरखधंधे खुलकर सामने आने लगे हैं तो इन डॉट डॉट डॉट बाबा जी के गोरखधंधे भी खुल गए हैं। अब महिलाएं इनकी बातें नहीं मानती। यहां तक कि वे तो अपनी बेटियों की जगह बेटों को झाडू पोछा और रोटी सब्जी का काम सिखा रही हैं। क्योंकि बेटियों में भी इतनी शक्ति और बुद्धि है कि वे भी बाहर से कमाई कर के ला सकती है। तो ये रोटी सब्जी का काम उनके जिम्मे ही क्येां। हमने बहुत सी महिलाओं से बात की और जाना कि क्यों वे अपने बेटों से घर के काम ले रही हैं। क्या इससे पुरुष सत्तात्मकता घटने लगी है।

नौकरी के साथ घर का काम भी बराबर करें बेटा और बेटी

मैं अपने मायके में भी घर का काम करती थी तो पढ़ने का ज्यादा मौका नहीं मिला। वहीं ससुराल में आई तो यहां भी घर का वही काम। इतना काम करने के बाद सुनने को मिलता है कि करती क्या है….। लेकिन मैं तो पूरे दिन काम करती हूं। मैं चाहती हूं कि ऐसा किसी के साथ न हो, तो मैं अपने बेटों को पढ़ा रही हूं, साथ में घर का काम भी सिखा रही हूं ताकि बहु बेटे दोनों बराबर काम करें। नौकरी भी दोनों करें और घर का काम भी दोनों करें। – नीतू सिंह, गभाना

घर के काम में भी छोड़ना होगा भेदभाव

महिलाओं को बराबरी तब मिलेगी जब हर घर से बराबरी शुरू हो। उन्हें घर के काम में ही भेदभाव करना छोड़ना होगा। अब सभी लेडीज ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। मैं भी अपने दाेनों बच्चों को सभी काम सिखाउंगी। ताकि उन्हें किसी की सहायता की जरूरत नहीं पड़े। हर महिला को ऐसा करना चाहिए। कोई काम किसी के लिए फिक्स नहीं है। जब लड़कियां कमा सकती हैं तो लड़के घर का काम भी कर सकते हैं-  शिखा शर्मा, अलीगढ़

बेटे और बहु में भी रखें समानता

मेरे दो बेटे हैं। दोनों को हर काम में दक्ष बनाना चाहती हूं। रोटियां बनाना सिर्फ औरतों के लिए ही निर्धारित नहीं है। इसे जबरन थोपा गया है। मेरे बेटे पढ़ाई में भी आगे रहेंगे और घर के कामों में भी निपुण होंगे। मैं बेटी या बेटे नहीं, बेटे और बहु में भेदभाव नहीं करने के विचारों के साथ हूं।– दीपिका, फरीदाबाद

मैंने अपने दोनों बच्चों को हर क्षेत्र में माहिर बनाया है। बेटा और बेटी में भेद नहीं करने के अलावा दोनों को काम की जिम्मेदारी भी बराबर दी। काम को लड़का या लड़की के हिसाब से बिल्कुल नहीं बांटा। मेरे बच्चे रोटी सब्जी से लेकर घर के बाहर के काम भी संभाल लेते हैं। सभी महिलाओं को भी ऐसा करना चाहिए। इससे ही बराबर का हक मिलना शुरू होगा। – संजना, दुल्हेरी, भिवानी

नए और बेहतर समाज की ओर अग्रसर महिलाएं

       Neetu Singh 

    Shikha Sharma

Deepika Singh

  Sanjana

                                                           

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