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आज हम 21वीं शताब्दी में जी रहे हैं लेकिन आज भी देश के कई हिस्सों में महिलाओं का शादी से पहले वर्जिन होना ‘अनिवार्य शर्त’ है, हैरानी वाली बात ये है कि यही शर्त पुरुषों के लिए नहीं है। अगर एक लड़का ये जानना चाहता है कि उसकी पार्टनर वर्जिन है या नहीं? तो एक लड़की को भी ये जानने का अधिकार है कि उसका पार्टनर वर्जिन है या नहीं। इन दिनों एक एक बार फिर से वर्जिनिटी टेस्ट को लेकर बहस तेज हो गई है।

इस वजह से वर्जिनिटी टेस्ट को लेकर छिड़ी बहस

दिल्ली हाई कोर्ट ने वर्जिनिटी टेस्ट को गैर संवैधानिक करार दिया है। अदालत के मुताबिक, किसी आरोपी का वर्जिनिटी टेस्ट करना संविधान के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि यह टेस्ट महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर डालता है।ये फैसला हाईकोर्ट ने एक नन सिस्टर सैफी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान दिया। इस फैसले के बाद से ही वर्जिनिटी टेस्ट को लेकर बहस छिड़ गई है।

ऐसे होता है वर्जिनिटी टेस्ट

इस टेस्ट को टू फिंगर टेस्ट (Two Finger Test) भी कहते है। इसमें हाइमन की मौजूदा स्थिति जांची जाती है. इस टेस्ट के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि जब कोई सेक्स करता तभी केवल हाइमन टूट या फट सकती है। इस टेस्ट में लड़की के प्राइवेट पार्ट में फिंगर डालकर मेडिकल एक्सपर्ट लड़की का कौमार्य चेक किया करते थे। अब कोर्ट के जजमेंट के बाद इस टेस्ट पर रोक लग गई।

तो फिर लड़के वर्जिनिटी टेस्ट से अछूते क्यों 

अगर लड़कियों के वर्जिन होने को लेकर पैमाना तय किया गया है तो फिर इससे लड़के अछूते क्यों रहे। जब बात बराबरी की होती है तो ये बराबरी किचन या वर्कप्लेस पर ही क्यों रिश्तों में भी हो। वैसे सवाल ये है कि ये वर्जिनिटी टेस्ट कराने की सोच आती कहां से है। क्योंकि पहली बात तो इस तरह का अनैतिक परिक्षण होना ही नहीं चाहिए। वैसे भी महत्वपूर्ण ये नहीं कि पास्ट क्या रहा है। जरूरी ये है कि अब रिश्ते में कितनी लॉयल्टी है।

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