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मां बनना एक सुखद अहसास है। नौ महीने किसी बीज को अपने गर्भ के अंदर संजोए रखना, उसको अपने खून से सींचना और फिर जब वो बाहर आए तो उसके कोमल नव शरीर को देखकर हर किसी की आंखे खुशी से नम हो जाती है। मां बनने के बाद एक महिला कई दौर से गुजरती है। सबसे मुश्किल कहे जाने वाले दिन होते है डिलीवरी के बाद जब आप बच्चे की परवरिश करती हैं।

बच्चे को पेट में रखना है आसान

कई औरते जो मां बन चुकी है उनका मानना है कि एक बच्चे को पेट में लिए घुमना आसान है। असली मुश्किल की घड़ी तो बच्चे के बाहर आने के बाद शुरू होती है। एक मां बच्चा पैदा करने के बाद उसे पालने के लिए बहुत स्ट्रगल करती है। बहुत बार उसे अपने आप से लड़ना पड़ता है। अपने सपनों का गला घोंटना पड़ता है। बहुत सी लेडीज ने अपने मां बनने के बाद के एक्सपिरयंस को शेयर किया है।

ब्रेस्ट फीड करवाने का था प्रेशर

हिसार निवासी महक मुतरेजा बताती है कि जब वो मां बनी तो उनका दूध नहीं बना और इस वजह से बच्चे को वो अपना दूध नहीं पिला पाई। हर संभव कोशिश के बाद भी उनका दूध नहीं बना, जिसके बाद बच्चे को गाय का दूध पिलाना पड़ा। उनका कहना है कि जब मां का दूध नहीं बनता है, तो सोसाइटी का प्रेशर आ जाता है। लोग ताने भी मारने शुरू कर देते हैं।  दूध नहीं बन रहा अब बच्चे को क्या पिलाएगी। बच्चे को जन्म देने के बाद सोसाइटी की बेफिजुल की बाते बहुत बार डिप्रेशन का कारण बन जाती है।

डिप्रेशन की वजह नींद पूरी नहीं होना 

हिसार निवासी ममता का कहना है कि जब उनकी बेबी पैदा हो रही थी तो वो बहुत स्ट्रेस में थी। लेबर रुम में लेटकर मुंह से पति को गालियां ही निकल रही थी। लेकिन जब बच्ची का पहली बार रोना सुना तो सब कुछ भूल गई । ममता ने बताया कि मेरे लिए मां बनने के बाद सबसे सुखद अहसास तो बच्चे को फीड करवाना था, जो हर किसी के लिए होता है। 

उन्होंने बताया कि  शुरूआती दौर बहुत मुश्किल भरा था। पूरी-पूरी रात बेबी के साथ जगना। नींद पूरी नहीं होना। ऐसे लगा जैसे मां  बनने के बाद मैं घर में ही कैद हो गई। कहीं बाहर नहीं जा सकते। बच्चे की सुसु पॉटी पूरा-पूरा दिन कई बार साफ करनी पड़ती है। घर के बड़े बुजूर्ग डायपर भी नहीं पहनाने देते। घर के बड़े बुजूर्ग कई बार अपने विचार थोप देते हैं जो डिप्रेशन का कारण बन जाता है।

कोई केयर नहीं कर रहा ये सोच डिप्रेशन का कारण

भिवानी निवासी पिंकी का कहना है कि मैं तीन बच्चों की मां हूं। तीन बच्चों की मां होना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा कि प्रेग्नेंसी में सबको तकलीफ होती है जो पहले बता दी जाती है। लेकिन असली चुनौती तो मां बनने के बाद शुरू होती है। मां बनना जितना खुबसूरत अहसास है उतना ही परेशानी भरा होता है। पिंकी का कहना है कि डिलिवरी के बाद एक वक्त ऐसा आया था जब मुझे लगा कि कोई मेरी बात सुन नहीं रहा है और न ही समझ रहा है। मैं बिल्कुल अकेली फील करने लगी थी। मुझे लगा कि मैं डिप्रेशन में जा रही हूं।

घरवाले भी ये बोल देते है कि सब करते है तुमको भी करना पड़ेगा। पिंकी का कहना है कि घरवालों की बात सही है हमें अपने बच्चे के लिए करना पड़ेगा। कई बार लगता है कि हमारी कोई केयर नहीं करता है कोई समझने वाला नहीं है ।ये ही हमें डिप्रेशन की और ले जाता है। मां को दुनिया में सबसे ताकतवर कहा गया है।यही  सोचकर सब मुश्किलों को पार करते रहते हैं। पिंकी का कहना है मैं समाज को कहना चाहती हूं हम माओं के पास भी एक दिल है, हम भी केयर चाहती है।

परिवार साथ हो तो नहीं होता डिप्रेशन

बैंगलोर से निशा शर्मा का कहना है कि बच्चे को जन्म देने के बाद एक मां में मानसिक और शारीरिक रुप से कई बदलाव आते है। मां बनने के बाद मैं और ज्यादा मजबूत बनी हूं। उनका कहना है डिलीवरी के बाद मेरी फैमली और मेरे पति मेरे साथ थे। मुझे मेरे परिवारजनों का सहयोग मिला जिसकी वजह से मुझे डिप्रेशन नहीं हुआ।

मां बनने के बाद मैं बहुत खुश थी। मेरी बेटी मेरी दुनिया में रोशनी लेकर आई है। मेरी पूरी लाईफ उसी के लिए है। मां बनने के बाद हम पूरी तरह से बदल जाते है। हमें खुद को नहीं पता होता कि हमारे अंदर किसी को इतना प्यार करने और बदले में खुशी पाने की क्षमता है। नीशा का कहना है कि मां के रोल में बहुत कुछ सीख रही हूं और मुझे लगता है ये कभी खत्म नहीं होगा।

डिप्रेशन से बचने के लिए योग का लें सहारा

फरीदाबाद निवासी पूजा का कहना है कि मां बनने के बाद औरत का शरीर पूरी तरह से बदल जाता है।  मूड स्विगंस, डिप्रेशन ये सब हो जाता है। बच्चे के साथ बहुत सी राते बिना सोएं गुजारनी पड़ती है। जिसकी वजह से डिप्रेशन हो जाता है। डिलीवरी के बाद औरत सबसे ज्यादा भावानात्मक रुप से कमजोर हो जाती है। उसे बहुत से उतार-चढाव देखने पड़ते है। पहली बार मां बनते है तो समझ पाना बहुत मुश्किल होता है कि बच्चे की केयर कैसे करें।

एक पल में ही सब कुछ बदल जाता है। आपको बच्चे के हिसाब से खाना पड़ता है, उसके हिसाब से पहनना पड़ता है, उसके हिसाब से सोना पड़ता है। पूजा का कहना है कि ज्यादातर औरत मां बनने के बाद चिड़चिड़ी हो जाती है। नई मां को इस फेज को एंजाय करना चाहिए ताकि हमारे हार्मोन बैलेंस रहे। आप मेडिटेशन और योग का सहारा लेकर भी डिप्रेशन से बच सकती है। एक स्वस्थ मां ही अपने बच्चे की ज्यादा अच्छे से केयर कर पाएगी।

डिप्रेशन होना घर के माहौल पर करता है निर्भर

रोहतक से मानवी का कहना है मां बनने के बाद मैं बहुत खुश थी। मैंने अपने बेबी के साथ ये फेज एंजाए किया  है। मानवी का कहना है कि मुझे कोई डिप्रेशन नहीं हुआ। डिलिवरी के बाद डिप्रेशन तब होता है जब आपके आस-पास का माहौल ठीक नहीं होता, मेरे फैमली मेंबर्स और हैस्बैंड ने मेरा बहुत साथ दिया।

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