समय-समय पर मिट्‌टी से बहुत से पोष्टिक तत्व नष्ट होते रहते हैं। ऐसे में हमें मिट्‌टी में बहुत से बाहरी पोष्टिक तत्व जोड़ने पड़ते हैं। जिनमें से एक है चूना (Lime – CaCO3 )।

अधिक अम्लीय मिट्टी पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए सही नहीं माना जाती। ऐसे में चुना का प्रयोग करने पर  मिट्टी का pH  मान बढ़ाया जा सकता है।

 खेती या गार्डन के पौधों में चूने(लाइम) का प्रयोग फायदेमंद है। लेकिन गार्डन में चूने का सही तरीके से उपयोग कैसे करें? इसके फायदे क्या हैं? आदि बातें इस लेख में जानेंगे। 

चूना का प्रयोग उन गमलों में करना चाहिए जिनकी मिट्‌टी में जीवांश पदार्थ अधिक हो और जल-निकास उचित न हो।  ऐसे में चूना का प्रयोग फायदेमंद है।

चूने से मृदा की अम्लता दूर होती है। इससे मिट्टी उदासीन क्षारीय बन जाती है। गमलों में अम्लता बढ़ती है। चूना देने से पौधों को कैलशियम तत्व प्राप्त होता है।

चूने की उपस्थिति में मिट्टी का अघुलनशील फास्फोरस घुलनशील फास्फेट के रूप में बदलकर पौधों को उपलब्ध हो जाता है। इससे पौधों की ग्रोथ बढ़ती है।

चूना मिट्‌टी में अघुलनशील पोटाश को ऐसे रूप में बदल देता है कि पौधे उसे शीघ्र ग्रहण कर लेते हैं। सूक्ष्म जीवाणु सक्रिय बन जाते हैं और अपना कार्य सुचारु रूप से करते हैं।

गमलों की मिट्‌टी में कुछ विषैले पदार्थ भी होते हैं, जो पौधों को हानि पहुँचाते हैं। चूना इनके प्रभाव को भी खत्म कर देता है। इससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है।

बागवानी विभाग के विकास अधिकारी उत्तम पराशर कहते हैं कि अक्तूबर महीने में तने में चूना लगाने से चूक गए हैं तो पौधों के तनों पर चूना लगाने का कार्य मार्च महीने में कर सकते हैं।

गार्डन में उपयोग होने वाले चूने को “गार्डन लाइम” या “डोलोमिटिक चूना” के रूप में जाना जाता है। गार्डन में प्रयोग होने वाले चूने में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। 

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