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देवी देवताओं को हम कुछ न कुछ जरुर चढ़ाते हैं। भगवान शिव को भांग, धतुरा, दुध, गुड़ आदि चढ़ाकर प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। भगवान शिव को भस्म बहुत पसंद है। भस्म से ही इसकी पूजा की जाती है। आज के इस लेख में जानते हैं शिव को भस्म क्यों पसंद है, इसका कारण क्या है।

उज्जैन महाकालेश्वर में मंदिर में होती है भस्म से पूजा

बारह ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योर्तिलिंग जो कि उज्जैन में महाकालेश्वर के नाम से विख्यात है। यहां शिव भोले की भस्म से आरती की जाती है। यह परंपरा बहुत पुरानी है और सदियों से चली आ रही है। यहां लोग शिव जी की भस्म से आरती नहीं कि जाए तो उसे आरती नहीं माना जाता है।

काशी में जलने वाली पहली चिता की लगती है भस्म

भगवान शिव अनंत है। माना जाता है कि भोले बाबा बहुत सरल व्यक्तित्व के रहे हैं। अपने शरीर पर भस्म लगाकर ही रखते थे। भस्म ही भोले का वस्त्र था ऐसा माना जाता है। माना जाता है कि भस्म का बहुत महत्व है। ये संसार एक दिन भस्म ही होना है। भगवान शिव के शरीर पर लगाई जाने वाली ये भस्म साधारण आम की लकड़ी की नहीं होती बल्कि सुबह काशी में जो सबसे पहले चिता जलती है, उसकी राख को शिव के शरीर पर लेपा जाता है। इसे चिता की भस्म से भी जाना जाता है।

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भस्म को लेकर है एक कहानी

शिव शरीर पर भस्म को लगाते है और इनकी भस्म से ही पूजा क्यों होती है, इसके पीछे एक कहानी है। बताया जाता है कि जब माता सती क्रोधित होकर हवन कुंड में प्रवेश कर गई थी। तब भगवान शिव उनका शरीर लेकर विलाप कर रहे थे। शिव उनके शरीर को लेकर हर जगह विचरण कर रहे थे। शिव की यह दशा भगवान विष्णु से देखी नहीं गई। ज्योतिषों का कहना है कि जब भगवान विष्णु ने माता सती का शरीर भस्म में परिवर्तित कर दिया था। अपनी पत्नी को भस्म होता देख भगवान शिव दुखी हो गए। विलाप करते हुए उन्होंने सती की उस भस्म  को अपने पूरे शरीर पर लेप लिया। माना जाता है तभी से भगवान शिव को भस्म अर्पित की जाती है।

ठंड से बचने के लिए लगाते हैं शरीर पर भस्म

बहुत से लोगों के द्वारा भगवान शिव के शरीर पर भस्म लगाए जाने पर एक कथा और कही जाती है। कुछ लोगों की ये धारणा है कि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते थे। वहां पर बर्फ की अधिकता होती थी। शिव खुद को ठंड से बचाने के लिए अपने शरीर पर भस्म लगाते थे। ऐसा करने से ठंड से बचा जा सकता है। शिव को भस्म लगाए जाने के पीछे लोक कथाओं के साथ-साथ शिव पुराण में भी ये मान्यता है।

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