पति-पत्नी का रिश्ता बराबरी का हो तो ही बेहतर रहता है। लेकिन हिदूं समाज में पति को परमेश्वर माना जाता है। पति की सेवा और उसकी इच्छा को पूरा करना धर्म माना जाता है। इस बराबरी के रिश्ते को समाज में इतनी बेड़ियों से बांध दिया कि इसमें पत्नी का हक कहीं दब गया।
जीवन की गाड़ी तभी अच्छे से चल पाएगी, जब दोनों पहिए बराबरी के साथ चलें। शादी के बाद एक स्त्री को बहुत-सी बातों में समझौता करना पड़ता है। न चाहते हुए भी कई बार उसको जीवन की इस गाड़ी को धक्का देना पड़ता है। तो इस लेख में जानते हैं स्त्रियां कौन सी बातों में समझौता कर लेती हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए।
हर बार झूकना नहीं है सही
बहुत सी महिलाओं को शादी के बाद समझौता करने के लिए कहा जाता है। पहले दिन ही पति बता देता है कि उसे कौन सी बातों पर समझौता करना है। लेकिन इस बराबरी के रिश्ते में महिला के लिए ये जानना जरुरी है कि उसे कब झूकना और कब आवाज उठानी है? बहुत सी महिलाएं शादी के बाद गलती नहीं होने पर भी अपनी गलती मान लेती है। ये बिल्कुल भी सही नहीं है। तरीके से अपनी बात अपने पति के सामने या घर के और सदस्यों के सामने रखना ही सही है।
आत्मसम्मान को न पहुंचने दें ठेस
बहुत सी महिलाएं होती हैं जो घर में ही रहती हैं। शादी के बाद उनका बाहर आना-जाना सब पति पर निर्भर हो जाता है। पति जब चाहे अपनी पत्नी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा सकता है ये वो बचपन से ही देखते आ रही होती है। पत्नी के साथ बुरा बर्ताव करना सबके सामने उसे जलील करना इन सबको पति अपना अधिकार समझता है। अगर आपके साथ भी ये सब हो रहा है तो आप अपने पति को शांति से समझाने का प्रयास करें कि वो उसके साथ सबके सामने ऐसा बर्ताव न करें। पति-पत्नी का रिश्ते के बीच आदर और सम्मान होना चाहिए। एक दूसरे का दोनों को ही सम्मान करना चाहिए।
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पति की मार न खाएं
शादी के बाद पति पत्नी पर एकाधिकार समझने लगता है। जो चाहे जैसा व्यवहार वो अपनी पत्नी के साथ कर सकता है। बहुत बार नौबत पिटाई तक भी आ जाती है। पति अपनी पत्नी पर हाथ उठाता है उसकी पिटाई करता है। ये घरेलू हिंसा है। महिला को कभी भी घरेलू हिंसा को सहन नहीं करना चाहिए। बार-बार मार खाकर आप अपने पति की हरकतों को बढ़ावा दे रही हैं। एक बार हाथ उठने के बाद आपके पति का हाथ आप पर बार-बार उठ सकता है। घरेलू हिंसा को सहन करते रहने से आपका जीवन बोझिल हो सकता है। इसलिए इसके बारे में अपने पति से बात करें या फिर अपने परिवार के बड़ों से बात करें।
सेहत के साथ समझौता
शादी के बाद महिलाएं अपने परिवार में इतना उलझ जाती हैं कि उन्हें अपने लिए समय मिल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। स्ट्रेस भी बहुत सी महिलाएं लेती हैं। अपने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों की तरफ ध्यान देना वो छोड़ देती हैं। जरुरत से ज्यादा फैमली प्रेशर नहीं लेना चाहिए। अगर आप भी अपनी सेहत से समझौता कर रहे हैं, तो ये बिल्कुल गलत है। शादी का रिश्ता बराबरी का होता है आपको भी खुश रहने का, रेस्ट करने का, घूमने का, खाने का उतना ही हक है जितना आपके पति का है।
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पाठकों की राय
माता-पिता ही कहते हैं समझौते के लिए
लाडवा से सुनीता का कहना है कि भारतीय संस्कृति में जब भी किसी लड़की की शादी होती है तो उसे कई बातें बताई जाती हैं अक्सर उसके माता पिता उससे अपने रिश्ते को सही बनाए रखने के लिए समझौता करने की कहते हैं। सिर्फ शादी के बाद ही नहीं बल्कि लड़की को शुरू से ही ऐसी परवरिश दी जाती है कि उसे अपने होने वाले पति और परिवार को हमेशा खुश रखना है इसके लिए अगर उसे की सूची से समझौता करना पड़ जाए तो वह गलत नहीं है।
हक के लिए परिवार से भी लड़ना पड़े तो गलत नहीं- पूजा
फरीदाबाद से पूजा शर्मा का कहना है कि शादी के बाद हर बात पर समझौता करना भी सही नहीं है। अगर आप किसी गलत बात पर भी सहमति जताते हैं तो अत्याचार करने वाले कभी अपनी गलती का एहसास नहीं होता और आप ऐसा करके उसकी हिम्मत को बढ़ावा देते हैं। महिला को अपने हक के लिए आवाज उठानी चाहिए चाहे वो परिवार से ही मांगना हो।
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