Plant care-गार्डनिंग करने वालों के सामने एक समस्या रहती है पौधों का बेमतलब खराब हो जाना है। बहुत बार अच्छी केयर के बाद भी पौधे मर जाते हैं। ख्याल रखने के बाद ऐसे पौधों का मर जाना बागवानों का तकलीफ देता है। आपके साथ भी ये हो रहा है। आपको समझ नहीं आ रहा है कि तमाम कोशिशों के बाद भी आपके प्लांट्स क्यों मर रहे हैं, तो एक नजर लेख पर डालें। इस लेख में आपके कई सवालों का जवाब आपको मिलने वाला है।
पौधे मरने के कारण (Reasons for plant death)
पौधे बहुत नाजुक होते हैं। हर बदलता मौसम इनको अपनी चपेट में ले सकता है। कई बार पौधों की सही देखभाल नहीं होना इनके मरने की वजह बनता है। बहुत बार देखभाल के बाद भी ये मर जाते हैं। नीचे कुछ कारण आपको बताने जा रहे हैं, जिनसे आप समझ सकेंगे की आपके पौधे का मरने का कारण क्या है?
मौसम में परिवर्तन (change in weather)
कारण- मौसम में आया अचानक परिवर्तन आपके पौधों को तनाव में ला सकता है। बहुत बार ज्यादा गर्मी और ज्यादा सर्दी पौधों का मरने का कारण बनती है। गर्मी जब ज्यादा होती है, तब पौधे की जड़े वातावरण के साथ तालमेल नहीं बैठा पाती है। पोषख तत्वों और पानी को अवशोषित करने में जड़ों को दिक्कत होती है। इस वजह से पौधा सुस्त अवस्था में आ जाता है। कई बार पौधों में जड़ सड़न या फंगस जैसे रोग हो जाते हैं।
समाधान- आप ग्रीनहाउस के जरिए आदर्श वातावरण बनाकर पौधों को मौसम की मार से बचा सकते हैं। ज्यादा गर्मी है तो आप पौधों को छाया में रखें। आप ऐसे पौधे लगाएं, जो मौसम के अनुकुल हो। बहुत से पौधे मौसम की मार को झेल सकने में समर्थ होते हैं।
गमले का चुनाव (pot selection)
कारण-आपका पौधा कितने समय तक जीवित रहेगा, गमले का चुनाव इस बात का निर्णय लेगा। गमले का चुनाव हमेशा पौधों की जरुरत और साइज को ध्यान में रखकर करना चाहिए। हर पौधे की जरुरत अलग होती है। हर पौधा अपने हिसाब से ग्रोथ पकड़ता है। अगर सही गमले का चुनाव होगा तो पौधा अच्छा चलेगा।
समाधान– हमेशा पौधे के आकार को ध्यान में रखकर गमला चुनें। मिट्टी का गमला बेहतर होता है। मिट्टी के गमले में पौधा लगाने से नमी लंबे समय तक बनी रहती है। आप छोटा पौधा लगा रहे हैं, तो मध्यम आकार का गमला चुनें। इस गमले में पौधे में नमी की समस्या नहीं होगी।
पौधों में खराब पानी देने से (due to poor watering of plants)
कारण– बहुत बार पौधों में खराब पानी देने की वजह ये मर जाते हैं। बहुत बार ज्यादा टीडीएस और क्लोरीन-फ्लोराइड की मात्रा वाला पानी पौधों में दे दिया जाता है। ये पानी पौधों के मरने का कारण बन जाता है। अगर पौधों में ज्यादा मात्रा में इस पानी का इस्तेमाल होता है, तो पौधे मर जाते हैं। हालांकि आप सीमित मात्रा में इसका प्रयोग कर सकते हैं।
समाधान- अगर पानी में टीडीएस की मात्रा है, तो आरओ का पानी इस्तेमाल करें। अगर क्लोरीन और फ्लोराइड की मात्रा पानी में हैं, तो आप 24 घंटे के लिए पानी को स्टोर करें। उसके बाद पौधों में ये पानी दें। ऐसा करने पर क्लोरीन और फ्लोराइड वाष्पित हो जाएंगे।
पौधों को समय पर पानी (water the plants on time)
कारण- कई बार पौधों को सही समय पर पानी नहीं देना भी बीमारी का कारण बन जाता है। आप ज्यादा पानी देंगे तो फंगस और जड़ सड़न रोग हो जाएंगे। दोपहर के समय पौधों को पानी देना नुकसान पहुंचाता है। इस समय पत्तियों पर पानी पड़ता है, तो ये जल सकती है।
समाधान- पौधों को सुबह और शाम का समय पानी देने के लिए होता है। एक बार पौधों में पानी डालने के बाद इसमें नमी बनाएं रखें। शाम के समय पत्तियों पर पानी न छिड़कें। इससे फंफूद पैदा होगी। पानी बार-बार देना भी पौधों को खराब करता है। सर्दी में पौधों को ज्यादा पानी न दें।
पौधों की जगह बार-बार बदलना (changing plant locations frequently)
कारण- कई बार आप पौधों की जगह बदलते हैं, तो भी ये खराब हो जाते हैं। पौधों को दूसरी जगह शिफ्ट कर रहे हैं, तो ये भी समस्या हो जाती है। जड़ों का हिलाना भी पौधों के लिए सही नहीं है। कई बार नर्सरी से पौधा घर लाने के बाद इसी वजह से खराब हो जाता।
समाधान– पौधे को दूसरी जगह शिफ्ट कर रहे हैं, तो उसको वातावरण में ढ़लने का समय दें। नर्सरी से जब आप पौधा ला रहे हैं, तो उसको अन्य पौधों के बीच कुछ समय रखें। उसकी जड़ को बिना हिलाएं लगाएं। पौधे में ज्यादा पानी नहीं देना चाहिए।
गलत खाद डालने पर (applying wrong fertilizer)
कारण-कई बार खाद का गलत इस्तेमाल भी पौधों को खराब करता है। कई बार कच्ची या कम सड़ी हुई खाद पौधों में डाल देते हैं। खाद की गुणवत्ता का पौधों पर असर पड़ता है। खाद का गलत इस्तेमाल पौधों को सड़ा, गला या जला सकता है।
समाधान– पौधों में सही मात्रा में और सही समय पर खाद दें। खाद हमेशा पूरी तैयार होने के बाद पौधे में डालें। जहां तक संभव हो पौधों में जैविक खाद डालें। रासायनिक खाद का इस्तेमाल भी पौधों को मार देता है। रासायनिक खाद से पौधे कुछ समय अच्छी ग्रोथ करते हैं, लेकिन फिर ये मर जाते हैं।
बीज और पौधे की क्वालिटी (Seed and plant quality)
कारण-बहुत बार जब बीज की क्वालिटी सही नहीं होती है, तब वो पनपता नहीं है। ऐसे में बीज से जो पौधा बनता है वो भी खराब होता है। बीज संक्रमित हैं, तो इनसे जो पौधा उगेगा वो भी रोगग्रस्त होगा।
समाधान- जब भी पौधा या बीज खरीदें, तो इनकी गुणवत्ता की जांच करें। पौधा खरीदते समय इसकी जांच करें। जो पौधा ग्रोइंग स्टेज पर हो, उसी को खरीदें। पूराना पौधा भी जल्दी खराब हो जाता है। लगाने से पहले बीजोपचार करना जरुरी है। खरीदने से पहले पौधे के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
पौधे की प्रूनिंग (plant pruning)
कारण– पौधे की समय पर छंटाई करनी जरुरी है। समय पर पौधे की प्रूनिंग नहीं होती है, तो ये मर जाते हैं। कई बार सूखी टहनी और मुरझाएं फूल और पत्तियां पोषक तत्वों को पौधों तक नहीं पहुंचने देते हैं। छंटाई करने से पौधे में ग्रोथ हार्मोन सक्रिय होते हैं।
समाधान– पौधे की छंटाई करते रहें। मौसम जब हल्का गर्म हो, तेज धूप न हो और 60 प्रतिशत तक नमी हो, तभी प्रूनिंग करें। बिना समय की गई छंटाई पौधों को तनाव में ला सकती है। पौधों की ग्रोइंग स्टेज में ही उसकी प्रूनिंग करें।
गलत समय पर पौधे लगाना (planting at the wrong time)
कारण- बहुत बार पौधा खराब होने का कारण गलत समय पर लगाना होता है। बिना मौसम के अनुसार पौधों का लगा देना इनके मरने का कारण होता है। आप कहीं बाहर से पौधा खरीदकर ला रहे हैं और तुरंत लगा रहे हैं, तो खराब होने के चांस ज्यादा होते हैं।
समाधान- आउटडोर प्लांट आप लगा रहे हैं, तो इनको हल्का गर्म मौसम में लगाएं। जब मौसम में 60 प्रतिशत तक नमी हो, तब पौधा लगाएं। पौधा खरीदने के बाद तुरंत नहीं लगाना चाहिए। इस कुछ दिनों तक वातावरण में ढ़लने देना चाहिए।
गमले की मिट्टी (potting soil)
कारण- ज्यादातर पौधों के खराब होने की वजह गमले की मिट्टी होती है। अच्छी प्रकार से मिट्टी तैयार नहीं हो पाती है, जिससे पौधा खराब हो जाता है। पौधे को मिट्टी से पोषक तत्व मिलते हैं।सही मात्रा में ही सभी पोषक तत्वों की मिट्टी में मिलाना चाहिए।
समाधान- मिट्टी चेक करें कि वो कैसी है। चिकनी है तो उसमें रेत मिलाएं। ज्यादा चिकनी है, तो पचास प्रतिशत मिट्टी और पचास प्रतिशत रेत मिलाएं। मिट्टी कम चिकनी है, तो उसमें 10 या 30 प्रतिशत मिट्टी और रेत का मिश्रण मिलाएं। रेतीली है, तो उसमें अतिरिक्त रेत न मिलाएं।
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