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सरकार जैविक खेती {Organic Farming} को बढ़ावा देने हेतु किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। हालांकि इतने प्रयासों के बाद भी जैविक खेती करीब दो से तीन प्रतिशत ही है। रसायनिक खादों और कीटनाशकों का इस्तेमाल कर खेती की पैदावार को तो बढ़ाया जा सकता है लेकिन दूरगामी दुष्प्रभावों को नहीं नकारा जा सकता, जिन्हें शुरुआत में नजरअंदाज किया गया था। हालांकि अब लोग पहले की अपेक्षा अधिक सतर्क हो गए हैं, बाजारों में ऑर्गेनिक पदार्थों की मांग बढ़ी है। जिसके बाद लोग जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं।

Organic Farming बढ़ने की यह रही वजह

रासायनिक खेती के बढ़ते प्रभाव को देखकर वैज्ञनिकों ने इसे घातक सिद्ध कर दिया है। इससे मिट्टी के साथ ही मनुष्य की सेहत पर भी इसक असर पड़ रहा है। आज अनेको बीमारियों से पीड़ित लोगों को जैविक खेती से उपजी फसलों को खाने की हिदायत दी जाती है। जिसके कारण कई किसानो ने जैविक खेती को अपना रहे हैं। रासायनिक खेती की वजह से मधुमेह (शुगर ) जैसी बीमारियों बढ़ रही हैं। लोग उम्र से पहले ही बूढ़े हो रहे हैं। कैंसर जैसी बीमारियों की भी बढ़ी वजह रासायनिक खेती है। इस वजह से अब लोगों की मांग पर जैविक खेती बढ़ रही है।

किस तरह करें जैविक खेती


इस खेती में बिना उपचार के बीजों का उपयोग किया जाता है। जैविक खाद में मूल रूप से गोबर खाद, जानवरों द्वारा निष्कासित मल-मूत्र, फसलों के अवशेष, कुक्कुट से प्राप्त अवशेष आदि उपयोग में लाये जाते हैं। ढेंचा, बरसीम, सनई, मूंग और सिस्बेनिया जैसी फसलों का उपयोग खाद के रूप में करते हैं।रसायनिक कीटनाशकों की जगह पर वानस्पतिक कीटनाशक का उपयोग करते हैं।

इस वजह से कम मात्रा में हो रही है ऑर्गेनिक फार्मिंग

 इसमें खाद्य पदार्थों की उत्पादकता बहुत कम वहीं लागत ज्यादा लगती है। पारंपरिक खेती की तुलना में जैविक खेती से फसलों की उपज काफी कम होती है। इस खेती में मशानों की जगह मानवीय श्रम ज्यादा लगता है। सामान्य व्यक्ति इसकी खरीद नहीं कर पाता है।

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