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प्रशांत महासागर मे प्लास्टिक का पहाड़ बन चुका है। वैज्ञानिकों के लिए ये चिंता का विषय था कि समुद्र में ये प्लास्टिक समुद्री जीवों के लिए विनाश का काल बन जाएगा। लेकिन वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक के इस पहाड़ पर कुछ ऐसा देख लिया जिसके बाद सोच में पड़ गए।

प्लास्टिक के पहाड़ पर फल -फूल रहे हैं समुद्री जीव

नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल  में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत महासागर में तैर रहे प्लास्टिक के ढ़ेर पर समुद्री जीवों की कई दर्जन स्पीशीज फलने फूलने लगी है। बहुत से सुमद्री जीवों ने कई सालों से तैर रहे प्लास्टिक के पहाड़ पर अपना बसेरा कर लिया है और वो इस माहौल में ढ़लना सीख गए हैं। इस तरह से एक नया इको सिस्टम  तैयार हो रहा है। माना जाता था कि प्लास्टिक से समुद्री जीवों का अस्तित्व खतरे में हैं, लेकिन यहां प्लास्टिक का पहाड़ समुद्री जीवों को जीवन देने वाला साबित हो रहा है।

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द्वीप जैसा है कचरे का समुह

माना जा रहा है कि प्रशांत महासागर में इंसानों द्वारा फेकें गए कचरे का ढ़ेर इतना ज्यादा है कि ये द्वीप जैसा दिखाई देता है। हवाई और कैलीफोर्निया के बीच स्थित प्रशांत महासागर में 1.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर पर ये कूड़े का ढ़ेर है। अनुमाना लगाया जा रहा है कि यहां पर प्लास्टिक के 1.8 ट्रिलियन टुकड़े पाए जा सकते हैं। कूड़े के इस ढ़ेर को ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच कहा जाने लगा है।

वैज्ञानिकों को सता रही थी चिंता

           समुद्र में प्लास्टिक का पहाड़

वैज्ञानिकों का मानना था कि ये कचरे का ढ़ेर समुद्री जीवों के लिए खतरा है। माना जा रहा था कि कुछ ही समय में समुद्री जीवों की कुछ प्रजाति कचरे के ढ़ेर के कारण समाप्त हो जाएगी। लेकिन अब शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध में नई बात निकलकर सामने आ रही है। समुद्री जीवों ने कचरे के ढ़ेर को अपना आशियाना बना रहा है। शोधकर्ताओं ने चार सौ से अधिक समुद्री जीवों की पहचान की है, जो इस ग्रेट पैसिफिक गारबेच पैच के पास पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने अभी तक ये पता नहीं लगाया है कि ये ढ़ेर इन जीवों का स्थाई निवास है या ये अस्थाई तौर पर यहां आते हैं।

 नियोपेलैजिक कम्युनिटी हो रही है विकसित

मलबे के ढ़ेर पर विकसित हो रहे इन जीवों को वैज्ञानिकों ने  नियोपेलैजिक कम्युनिटी नाम दिया है। अमेरिका, कनाडा और नीदरलैंड के वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्र में इन जीवों को ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है। समुद्र की तुलना में कचरे के ढ़ेर पर जीवों को कम संघर्ष करना पड़ रहा है। ये नए इको सिस्टम बनकर तैयार हो गया है।

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