सभी पेरेंट्स अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देने की कोशिश करते हैं। इसी वजह से बहुत से पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ सख्त रवैया अपनाते हैं। मगर इसके साथ ही उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कहीं वो अपने बच्चों के साथ ज़्यादा कठोर तो नहीं हो रहे। दरअसल होता यह है की कई बार पेरेंट्स को इस बात का एहसास भी नहीं होता कि उनके द्वारा कही गई छोटी छोटी बातें भी बच्चों के दिमाग पर गहरा असर छोड़ सकती हैं, जो कई बार ज़िंदगी भर उनके साथ रह जाती है। बच्चें कुछ बातों को दिल से लगा लेते हैं जिससे वो हीनभवना और कुंठा का शिकार हो जाते हैं। इसी वजह से पेरेंट्स को अपने बच्चों से सोच समझ कर बर्ताव करना चाहिए।
बच्चे की उपेक्षा करने से पहले खुद से करें सवाल
कितनी ही बार पेरेंट्स जाने अनजाने अपने बच्चे को उपेक्षित कर जाते हैं। अपने बच्चे को किसी भी बात पर उपेक्षित करने से पहले यह जान लें कि हर बच्चा अपने आप में खास होता है। हो सकता है कि आपका बड़ा बेटा पढ़ाई में ज्यादा होशियार हो और छोटा हमेशा औसत अंक ही ले पाता हो। मगर यहां आपको यह समझना पड़ेगा की आपका छोटा बेटा किसी और फील्ड में जीनियस हो सकता है। क्या अपने खुद कोशिश की उसके इंटरेस्ट को समझने की या क्या आपने उसे आजादी दी हुई है उन कामों को करने की जिसमें उसे मजा आता है। अगर इसका जवाब न है तो पहले एक पेरेंट्स होने के नाते आपको खुद में सुधार लाने की जरुरत है।
दूसरे बच्चों से तुलना करने की गलती न करें
अपने बच्चे का कभी भी दूसरे बच्चों के साथ कम्पेरिज़न मां- बाप को नहीं करना चाहिए। लगभग हर माता-पिता अपने बच्चे की तुलना पडोंसी, रिश्तेदार या फिर बच्चे के ही किसी दोस्त से करते रहते हैं। ऐसा करते समय पैरेंट्स यह बिल्कुल नहीं सोचते कि बच्चे की इस प्रकार कमियां गिनाने और हर समय दूसरों से तुलना करने से उसके स्वाभिमान पर असर पड़ सकता है। इससे बच्चे के अंदर दूसरे बच्चे के लिए नफरत और ईर्ष्या पैदा हो सकती है।
हेलीकाप्टर पेरेंटिंग से बचें
हेलीकाप्टर पेरेंटिंग से यहां मतलब ये है कि बहुत से पेरेंट्स अपने बच्चों के चारों और एक साये की तरह मंडराते रहते हैं। पेरेंटिंग का यह तरीका बच्चो में चिड़चिड़ाहट पैदा करने का काम करता है। पेरेंट्स के इस बर्ताव की वजह से बच्चे अपने माता-पिता से बहुत सी बाते शेयर करना छोड़ देते हैं। यहां तक कई बच्चे झूठ बोलना तक शुरू कर देते हैं। बच्चे का हर फैसला उसके माता-पिता के लेने से वह अंदर से खोखला होने लगता है। जिससे बच्चे की निर्णय लेने की क्षमता घट जाती है।
इन बातों पर भी दें खास ध्यान
- अगर आप मजाक ही मजाक में बच्चे के वजन, रंग या व्यवहार की आलोचना या मजाक बनाते हैं तो ऐसा करना बच्चे को बुली बना सकता है। इस मजाक से आप अपने बच्चे को चिंता, तनाव, जुनूनी व्यवहार या अवसाद का शिकार बना सकते हैं।
- बच्चे पर ज्यादा चिल्लाना उसके विकास को प्रभावित कर सकता है। ऐसे बच्चे बड़े होकर दूसरों के प्रति आक्रामक हो सकते हैं।
- अपने बच्चों को कभी भी किसी दूसरे बच्चे के सामने ना डांटे। कभी किसी और के सामने अपने बच्चे की बुराई भी ना करें ये सारी बातें बच्चे के मन पर बहुत गहरा असर डालती हैं।
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