ठंडे क्षेत्रों के अलावा स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Cultivation) मैदानी इलाकों में बढ़ी है। इसकी बड़ी वजह कम लागत में बड़ा मुनाफा है। किसान अब परंपरागत फसलों से हटकर नई फसलों की पैदावार में हाथ आजमा रहा है। जिसमें स्ट्रॉबेरी की खेती बड़ी मात्रा में की जा रही है। आमतौर पर एक एकड़ स्ट्रॉबेरी की फसल में लगभग 2-3 लाख रुपये की लागत आती है। पैदावार होने के बाद किसानों को करीब 5-6 लाख का फायदा हो जाता है। फसल लगाने के डेढ़ से दो महीने बाद स्ट्रॉबेरी से फल आने लगता है और यह सिलसिला चार महीने तक चलता है। जल्दी ही पैदावार होने से किसानों में खुशी रहती है। खेती के लिए 5 से 6.5 पीएच वाली मिट्टी एवं 7 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त है।
सितंबर-अक्तूबर और फरवरी-मार्च है खेती का अनुकूल समय
स्ट्रॉबेरी की बुवाई सितंबर और अक्टूबर में की जाती है। ठंडी जगहों पर इसे फरवरी और मार्च में भी बोया जा सकता है। वहीं पॉली हाउस में या संरक्षित विधि से खेती करने वाले किसान अन्य महीनों में भी बुवाई करते हैं। हालांकि स्ट्राबेरी के पौधों की रोपाई के लिए 10 सितंबर से 10 अक्टूबर तक का समय सबसे उचित होता है। स्ट्रॉबेरी के बीज गर्मी के मौसम में अच्छी तरह अंकुरित होते हैं, इसके बीज लगाने का सबसे अच्छा समय मार्च से अप्रैल का महीना होता है। भारत में इसकी खेती नैनीताल, देहरादून, हिमाचल प्रदेश, महाबलेश्वर, महाराष्ट्र, नीलगिरी, दार्जलिंग की पहाडि़यों आदि में व्यावसायिक तौर पर की जाती है। अब इसकी खेती मैदानी भागों, बंगलौर, जालंधर, मेरठ, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, आदि क्षेत्रों में की जा रही है।
इस तरह करें पौध लगाने की तैयारी
व्यावसायिक रूप से खेती के लिए स्ट्रॉॅबेरी की ओफ्रा, चांडलर, ब्लेक मोर, स्वीट चार्ली, कमारोसा, फेयर फाक्स, सिसकेफ, एलिस्ता आदि प्रमुख किस्में का इस्तेमाल किया जा सकता है। स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए इसके खेत को बुवाई से एक सप्ताह पहले खेत की 3 से 4 बार अच्छी से जुताई करें। इसके बाद 75 टन सड़ी हुई गोबर की खाद् प्रति हेक्टेयर की दरर से खेत मे अच्छे तरीके से मिलाए। खेत में 25 से 30 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां बनाएं। इन तैयार क्यारियों की चौड़ाई 2 फिट और तथा लंबाई खेत की स्थिति के अनुसार रखें, क्यारियों में ड्रेप एरिगेशन की पाइपलाइन बिछाएं। पौधे लगाने के तुरंत बाद ड्रिप या स्प्रिकंलर से सिंचाई करें। समय समय पर नमी को ध्यान में रखकर सिंचाई करते रहना चाहिए। स्ट्रॉबेरी में फल आने से पहले सूक्ष्म फव्वारे से सिंचाई कर सकते। फल आने के बाद टपक विधि से ही सिंचाई करे ताकि फल खराब न हो।
स्ट्रॉबेरी की खेती पर सरकार दे रही है अनुदान
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सरकार किसानों को अपने स्तर पर अनुदान प्रदान करती है। जिसमें प्लास्टिक मल्चिंग और ड्रिप इरीगेशन फव्वारा सिंचाई आदि यंत्र के लिए 40 से 50 प्रतिशत का अनुदान मिलता है। बाजार में बढ़ती मांग की वजह से स्ट्रॉबेरी के फसल से आपकी कुल लागत का 3 गुना बहुत आसानी से मिल जाता है।
इस वजह से बढ़ रही स्ट्रोबेरी की मांग
स्ट्रॉबेरी शरीर के लिए बेहद फायदेमंद फल है। यह वज़न घटाने में सहायक है। स्ट्रॉबेरी कैंसर से बचाव करती है। दांतों के लिए फायदेमंद है। आँखों को स्वस्थ रखती है। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में सहायक है