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शिशु को लेकर दादी नानीओं की कई मान्यताएं है। आधुनिक युग में मॉर्डन बहुओं को बहुत सी बातें है जो अपने बच्चे को लेकर नहीं पता होती। जिस घर में बड़े बुजुर्ग रहते हैं वो नई मां को हमेशा सीख देते रहते हैं। कई बार सास और दादी सास बच्चे को कैसे पालना चाहिए औरतों को सिखाती हैं।

घर की बड़ी औरतें अपने तजुर्बे के आधार पर बहुओं को सीखाती हैं। उनका मानना होता है कि हमने अपने जमाने में अपने बच्चों के साथ ये किया था तुम भी ऐसे करो। बच्चे को कैसे खिलाना, कैसे नहलाना है, मां को क्या नहीं खाना है, बच्चे को कहां नहीं बैठाना है, कब बाहर नहीं निकालना है, रात को अकेला नहीं छोड़ना है, दूध ऐसे पिलाना है ये सब घर की बड़ी औरतों द्वारा बताया जाता है।

तो चलिए आज शिशु को लेकर दादी नानी से जानते हैं उनका तजुर्बा

दिल्ली से पुष्पा देवी का कहना है कि आजकल की बहुओं को बहुत सी बातें अपने बच्चे को लेकर नहीं पता होती। हमारे समय में जच्चा (न्यु मॉम) को एक महीने तक रोटी नहीं खाने दी जाती थी। मानना था कि ऐसा करने से बच्चा अंगड़ाई ज्यादा लेने लगता है। डिलीवरी के कुछ समय बाद मां का रोटी खाना बच्चे को परेशान कर सकता है। इसलिए खिचड़ी, दलिया खाना सही रहता है।

बच्चे के दांत मां को नहीं देखने चाहिए

फरीदाबाद से उर्मिला शर्मा का कहना है कि जब बच्चे को दांत निकल रहे होते है तो मां को देखने नहीं चाहिए। निकलते हुए दांत जब मां देख लेती है तो बच्चे को तकलीफ होती है। माना जाता है कि दांत देखने के साथ-साथ मां को बच्चे के दांतों पर हाथ भी नहीं फेरना चाहिए। न ही बच्चे के मसूड़ों पर उंगली फेरनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चे के दांत जल्दी नहीं निकलते है। दांत निकलते वक्त बच्चा परेशान हो सकता है। बुजुर्गों की मान्यता है बच्चे की चाची अगर बच्चे के दांतो पर हाथ फेरती है तो दांत आसानी से निकल जाते हैं।


भेड़ के झुंड से बच्चे को न निकालें

भिवानी से सुमित्रा का कहना है कि बच्चे को कभी भी भेड़ के झुंड से नहीं निकालना चाहिए। जब बच्चा भेड़ के झुंड के अंदर से निकाला जाता है तो उसको दस्त लग सकते हैं। जब भेड़ रही हो तो बच्चे को लेकर एक तरफ हो जाना चाहिए। अगर भेड़ों में से बच्चा निकल जाता है तो उसे झपट (दस्त, उल्टी) हो जाती है। बच्चे की पॉटी के अंदर झाग आने लगते है और बदबू भी आती है।

ऐसा होने पर बच्चे की मां को शाम के समय या दोपहर के समय जब दोनों समय मिलते हैं, तब आटा दोनों मुट्ठियों में लेकर उसके ऊपर थोड़ा सा मीठा डालकर बच्चे के ऊपर से सात बार वार के दरवाजे के बाहर उड़ा आना चाहिए। ऐसा करने से बच्चे के दस्त और उल्टी ठीक हो जाते हैं। दहलीज के बीच में बच्चे को लेकर खड़ा होना भी शुभ नहीं माना जाता।

पांव की तरफ न सुलाएं ग्रोथ में होती है दिक्कत

सिवानी से भतेरी देवी का कहना है कि बच्चे को कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। बच्चा जब सो रहा हो तो तब भी उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। दादी का कहना है कि बच्चे को कभी भी बेड के उल्टी तरफ नहीं सुलाना चाहिए। ऐसा करने से बच्चे की ग्रोथ में दिक्कत होती है। बच्चे को कभी भी बोतल या निप्पल से दूध नहीं पिलाना चाहिए। ऐसा मानना है कि इससे बच्चे को भविष्य में दमा रोग हो सकता है और इसकी आदत भी लग सकती है, जो छुड़वानी मुश्किल है। बच्चे को नहलाते ही जायफल और अरहड़ की घुंटी देनी चाहिए। इससे बच्चे का पाचन तंत्र सही काम करता है और सर्दी की शिकायत भी नहीं होती। बच्चे को नहलाते समय हमेशा सिर के पिछली तरफ पानी डालना चाहिए। ताकि नाक में पानी न जाएं।


स्तनपान करवाते समय बच्चे का मुंह न देखें

भिवानी से कृष्णा का कहना है कि जब भी मां बच्चे को दूध पिला रही हो तो चेहरे की तरफ नहीं देखना चाहिए। बहुत सी महिलाएं बच्चा जब दूध पीता है तो उसके चेहरे की तरफ देखती है। बुजुर्ग महिलाओं का मानना है मां बच्चे को देखती है तो उसके बाकी शरीर से बच्चे का चेहरा और सिर काफी बड़ा हो जाता है। इसलिए नानी कहती हैं कि जब भी बच्चे को दूध पिलाएं तो उसके कुल्हे की तरफ देखना चाहिए ताकि बच्चे का शरीर सुंदर बने। मान्यता ये भी है मां को कभी भी बच्चे को लेटकर दूध नहीं पिलाना चाहिए। मां जब लेटकर बच्चे को स्तनपान करवाती है तो इससे बच्चे का कान बहने लगता है।

ये भी मानती है दादी- नानी

  • स्तनपान करवाने वाली मां को टाइट कपड़े नहीं पहनने चाहिए। 
  • खाना पेटभरकर नहीं खाना चाहिए।
  • ऐसा खाना नहीं खाना चाहिए जिसको पचने में दिक्कत हो। 
  • शिशु की तरफ पीठ करके नहीं सोना चाहिए। 
  • शिशु को डायपर नहीं पहनाना चाहिए। 
  • कुछ देर बच्चे को नंगा रखना चाहिए।

 

 

 

 

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