छूई-मूई का पौधा अगर बगीचे में हो तो सभी का ध्यान केंद्रित करता है।
दरअसल हल्के से स्पर्श से ही सिकुड़ने की प्रक्रिया इस पौधे को सभी पेड़ पौधे से अलग करती है।
यह पौधा अत्यंत संवेदनशील होता है। छुई-मुई की पत्तियां को जैसे ही कोई बाहरी स्पर्श मिलता है वैसे ही यह खुद को सिकोड़ लेती हैं।
यह इंसानी स्पर्श के साथ यह कीड़ा, लकड़ी, तेज हवा चलने और पानी की बूंदों के स्पर्श से ही मुरझा जाता हैं।
यह पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके गुणों को देखते हुए आजकल लोग अपने गार्डन में इस पौधे को जरूर उगा रहे हैं।
खूनी बबासीर और पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग या चोट लगने पर इस पौधे की जड़ों को पीसकर चूरन बनाएं और सेवन करें।
यह पेड़ घायलों के घाव भरने में बेहद काम आता है। इसकी जड़ों को के चूरन को दिन में दो या तीन बार लेने पर घाव जल्दी भर जाता है।
त्वचा संबंधी रोगों को ठीक करने में अधिक प्रयोग किया जाता है। खुजली होने पर पत्तियों को लगा दिया जाए तो तुरंत आराम मिलता है।
यह पौधा शारीरिक शक्ति को बढ़ाने का काम करता है। इसके लिए इस पौधे की जड़ें और बीजों का प्रयोग किया जाता है।
यह पौधा उल्टी दस्त की स्थिति में भी बेहद उपयोगी रहा है। इसकी जड़ों का काढ़ा उल्टी दस्त में फायदा करता है।
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