हींग यानि ऐसाफेटिडा से तो सब परिचित है। स्वाद का जायका बढ़ाने के लिए आमतौर पर गृहणियों इसका ज्यादा इस्तेमाल करती हैं। हींग का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है। आज के इस लेख में हींग के बारे में जानने का प्रयास करते हैं कि ये कैसे बनती है और कहां पाई जाती है। चलिए हींग और इसके उपयोगों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
हींग कहां पाई जाती है
हींग गम जैसा एक पदार्थ होता है, जो पेड़ के तनों में पाया जाता है। अंबेलीफेरा फ़ैमिली के फ़ेरुला पौधों के तनों में हींग बनती है। इनकी तादात ईरान,मध्य एशिया, तुर्की, पश्चिम अफगानिस्तान,पूर्वी ईरान, युरोप और उत्तरी अमेरिका में ज्यादा है। यहां पर इनकी 170 प्रजातियां पाई जाती है। भारत में हींग कश्मीर और पंजाब के कुछ हिस्सों में पैदा होता है।
हींग की विशेषता
आमतौर पर हींग को अपनी गंध के लिए पहचाना जाता है। हींग की गंध सल्फर जैसी होती है, जो लंबे समय तक बरकरार रहती है। तीखी गंध के कारण ही लोग इसे खाने के व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के लिए डालते हैं। हींग फेरुला पेड़ों के तनों में बनती है।
फेरुला के पौधे गाजर के आकार जैसी जड़े बनाते हैं, जिनमें हींग पाई जाती है। बड़े पैमाने पर हींग ठोस रुप में ही पाई जाती है। हालांकि कभी-कभी ये छोटे आकार या टुकड़ों के रुप में भी प्राप्त की जाती है। हींग को शैतान का गोबर कहा जाता है, क्योंकि इसकी गंध तेज होती है और मतली पैदा करने वाला इसका स्वाद होता है। पुराने समय में बुखार और सर्दी से बचने के लिए इसका टुकड़ा लोग अपने गले में पहनते थे।
हींग में पाए जाने वाले पोषक तत्व
हींग में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पाई जाती है।
इसमें प्रोटीन और फाइबर भी पाया जाता है।
वसा की मात्रा हींग में पाई जाती है।
खनिज भी हींग में मौजूद होते हैं।
हींग में पाए जाने वाले गुण
- हींग में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है।
- कार्मिनेटिव, एंटी-फ्लैटुलेंस और एंटीस्पास्मोडिक गुणों के कारण हींग को जाना जाता है।
- हींग की तासीर गर्म होती है।
हींग का उपयोग
- हींग का प्रयोग पेट से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों के लिए किया जाता है।
- हींग वात और कफ विकार को दूर करती है।
- जोड़ो में दर्द, गठिया और थकान आदि में हींग लाथकारी होती है।
- हींग सूजन कम करने में भी सहायक होती है।
- हींग के सेवन से ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है।
- हींग का सेवन करने से मासिक धर्म में होने वाले पीठ के दर्द और पेट दर्द से राहत मिलती है।
- हींग में मौजूद गुण तनाव को कम करने में भी सहायक होते हैं।
- पेट के कीड़े मारने के लिए भी हींग का प्रयोग किया जाता है।
- हींग ब्लड वेसेल्स की सूजन को करती है और सिरदर्द में राहत देती है।
- पेट दर्द होने पर हींग को पानी में घोलकर नाभि के चारों तरफ लगाने से राहत मिलती है।
- पेट में गैस बनने पर भी हींग का सेवन लाभकारी माना जाता है।
- छोटे बच्चों के गैस बनने या पेट दर्द होने पर उनकी नाभि के चारों और हींग के पानी का लेप किया जाता है।
- हींग का प्रयोग सॉस और आचार में भी सुंगध बढ़ाने के लिए किया जाता है।
दिन में कितनी हींग खानी सही रहती है
हींग का ज्यादा सेवन भी हानिकारक होता है, इसलिए दिन में केवल पांच मिलीग्राम से तीस मिलीग्राम हींग का सेवन सही रहता है।
हींग का सेवन कब नहीं करना चाहिए
हींग का सेवन मिर्गी के दौरे आने वाले व्यक्तियों नहीं करना चाहिए। हींग से रक्तस्त्राव का खतरा बढ़ सकता है। ऐंठन होने वाले व्यक्तियों को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए। छोटे बच्चों को भी हींग नहीं खाना चाहिए। पांच साल से छोटी उम्र वाले बच्चे को हींग का सेवन न करवाएं। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए। ज्यादा हींग के सेवन से गर्भपात का खतरा भी हो जाता है।
ज्यादा हींग का सेवन करने के नुकसान
हींग से एलर्जी जैसे गले में सूजन, ऐंठन आदि समस्याएं होने पर भी इसका सेवन बंद कर दें। हींग के ज्यादा सेवन से भी समस्या हो जाती है। अगर जरुरत से ज्यादा हींग का सेवन किया जाता है, तो मासिक धर्म में अनियिमता और गले में संक्रमण और ऐंठन जैसी समस्या हो जाती है। हींग का ज्यादा सेवन करने से स्किन पर लाल चकते और सनसनी जैसी प्रॉब्लम हो सकती है। होंठों पर सूजन आने के साथ हींग के ज्यादा सेवन से पेट में विकार भी हो जाता है।
नोट- ये लेख अन्य सूचनाओं पर आधारित है। ज्यादा जानकारी के लिए आप किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं। इस प्रकार की अन्य जानकारी के लिए द युनिक भारत के साथ जुड़े रहें और कमेंट के माध्यम से अपनी राय देते रहिए।