धार्मिक महत्व के साथ ही शमी के पौधे के औषधीय महत्व काफी हैं। यह काफी बीमारियों में काम आता है।

 मान्यता है कि शनि के प्रकोप से बचा जा सकता है। इसके साथ ही शमी का पौधा लगाने से को घर में बरकत आती है। 

 मानसिक विकार,सिज़ोफ्रेनिया, श्वसन मार्ग के संक्रमण, दाद, दस्त, प्रदर के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

शमी की सूखी छाल को अल्सर में इस्तेमाल किया जाता है। छाल का काढ़ा गले में खराश और दांत दर्द में राहत देता है।

 पत्तों का इस्तेमाल एंटीसेप्टिक और पेचिश में किया जाता है। पत्तों के रस से आंत में मौजूद कीढे भी खत्म हो जाते हैं।

शमी पर आने वाली फली का भी इस्तेमाल किया जाता है। मूत्रजननांगी विकारों के इलाज के लिए प्रयोग किया  जाता है।

शमी के पौधे का इस्तेमाल शरीर के कफ तथा पित्त दोष को संतुलित करने में लाभकारी होता है।

यह चर्म रोग, बिच्छू के काटने, रक्तस्राव संबंधी विकारों और आंखों तथा चेहरे में जलन के इलाज में भी फायदेमंद है।

चेहरे के बाल हटाने के लिए भी शमी के पौधे के फलों का पेस्ट इस्तेमाल किया जाता है। शमी के पौधे को उगाना आसान है। 

 शमी प्लांट को उगाने, देखरेख करने संबंधी अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।