कलाकार होना कितना मुश्किल काम है। आप जिस कला में माहिर हैं, वो आपको भली भांति आनी चाहिए। आपकी कलाकारी तभी संपूर्ण मानी जाती है। कलाकार होने के लिए आपको दुनिया के लिए जीना होता है। सामने वाले के हिसाब से आपको अपनी कलाकारी दिखानी होती है। अपनी बात में कलाकार की मनोस्थिति के बारे में जानेंगे। इसे पढ़कर आपको महसूस होगा कि कलाकार होना आसान नहीं है।
कलाकार का काम हंसाना,रुलाना
कलाकार रोता है, तो दुनिया हंसती है। दुनिया को हंसाने के लिए कलाकार अनेकों कलाएं सिखता है। हुनर चाहिए कलाकार होने के लिए। कलाकार लोगों को पढ़ना जानता है। उसे पता है कौन सी भाव भंगिमाओं से अपने किरदार को जीवंत रखना है। कलाकार अपने भावों को छुपाकर वो भाव दिखाता है जो दुनिया देखना चाहती है। अपने भावनाओं को बेचता है कलाकार। हालांकि कलाकार के लिए आसान नहीं है अपने भावों को छुपाकर उनपर झूठे भावों को चढ़ाना, लेकिन कलाकार को ये करना पड़ता है।
कलाकार के लिए कुछ भी नहीं होता मुश्किल
कलाकार के लिए कुछ भी मुश्किल होना यानि उसकी कलाकारी कठघरे में खड़ी हो जाती है। उसको सब कुछ आसान बनाना पड़ता है। दर्शकों के लिए उसे रोना पड़ता है, हंसना पड़ता है, चिल्लाना पड़ता है। कलाकार को ही अपना किरदार मुश्किल लगेगा तो लाखों लोगों का रोल मॉडल कौन बनेगा। कैसे दूसरों को हौसला देगा। कलाकार को दूसरों के लिए अपनी भावनाओं का गला घोंटना है और परदे पर आना। बहुत मुश्किल है ये कलाकार होना जिसके लिए कुछ मुश्किल नहीं है।
लोगों के हिसाब से ढ़लता है कलाकार
कलाकार को दर्शकों के हिसाब से ढ़लना पड़ता है। बहुत सारे किरदारों को जीता है एक कलाकार। कलाकार के लिए सारे किरदार अलग-अलग होते हैं। लेकिन उनमें रच बस जाना उनके लिए जरुरी होता है। कलाकार खुद को खुद को चुनता है इस पेशे के लिए।
लेखक भी कलाकार होता है
कलाकार लेखक भी तो होता है। जो कागज की दुनिया पर अपनी भाव भंगिमाओं को दिखाता है। लेखक अपनी भावनाओँ को बेचता है। क्योंकि कलाकार खुद दर्द में होने पर भी लोगों को हंसाता है। उनका मनोरंजन करता है। कागज और कलम से लोगों के जीवन को सजीव करता है।
पेट के लिए करता है सब
सड़कों पर तमाशा दिखाता है। अपने भावों को बेचकर लोगों का मनोरंजन करता है। ना सर्दी देखता है और ना गर्मी देखता है, बारिश में भी वो अपने पेट के लिए लोगों के सामने तरह-तरह के करतब करता है। कलाकार मौसम के बदलते मिजाज देख भी नहीं सकता, क्योंकि कलाकार को तो हर मौसम से लोगों का मनोरंजन करना होता है। कलाकार रस्सी पर कूदता है, कभी शेर से लड़ता है, कभी आग से खेलता है। मौत के कुएँ में जाता देखकर लोग तालियों बजाते हैं, हसंते हैं। ये तालियां कलाकार का हौसला बढ़ाती है, उसको अहसास दिलाती है कि हारना नहीं है।
निजी भाव चेहरे पर दिख गए तो कलाकार का कोई औचित्य नहीं
कलाकार अपने आंसू दिखाता है तो सिर्फ दर्शकों को हंसाने के लिए। कलाकार को अपने दुख में भी हंसना पड़ता है। उसे ध्यान रखना पड़ता है कि परेशानी या दुख चेहरे पर ना दिखे। आपके निजी भावों को दर्शकों ने पढ़ लिया, तो आपके कलाकार होने का क्या फायदा। आपको तो मुखौटे पहनने है झूठ के। वास्तव में अगर दर्शकों ने जान लिया कि तुम क्या हो, कौन हो, तो तुम्हारा कलाकार होना व्यर्थ है।क्योंकि कलाकार की कला यही है कि वो अपने भाव को छूपा ले और बस लोगों के बीच अपनी कला से पहचान बना ले।