मेहमान शब्द का अर्थ होता है- अतिथि यानि जो अस्थाई होता या जल्दी जुदा होने वाला है। मेहमान हमारे घर पर भी आते हैं। बहुत से मेहमान दो-तीन दिन के लिए आते हैं। बहुत से 15-20 दिनों तक ढ़ेरा जमाकर बैठे रहते हैं। हिदूं धर्म में मेहमान को भगवान का दर्जा दिया गया है। आतिथ्य सत्कार का भी बहुत महत्व है। यानि जब कोई मेहमान हमारे घर आता है तो हमें उसके सत्कार में कोई कसर नहीं छोड़नी है। लेकिन ये मेहमान बहुत बार गले का कांटा बन जाता है। बड़ा ऊटपंटाग है पर सत्य है। आज हम इसी मेहमान की करतूतों के बारे में बात करेंगे।
हम भारतीय खुशी-खुशी करते हैं मेहमान नवाजी
दो-तीन दिन के लिए जब हमारे घर में कोई व्यक्ति आता है, तो हम खुशी-खुशी उसकी सेवा में लग जाते हैं। उसके लिए तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। नया डिनर सेट निकालते हैं। नई ट्रे, नए कप। सब कुछ नया-नया। हम मेहमान की पूरी मेहमान नवाजी करते हैं। हर तरह से उसको अच्छा लगे वो करने की कोशिश करते हैं। किचन में पसीने से भीगे हुए होने पर गुस्सा बहुत आता है, लेकिन नहीं मेहमान भगवान है और हमें उसका आतिथ्य सत्कार बड़े अच्छे से करना है।
ये मेहमान तभी अच्छा लगता है जब……
- बहुत दिनों बाद घर पर आया हो।
- पहली बार कोई घर पर आया हो।
- एक दिन के लिए या कुछ देर के लिए आया हो।
- फालतू बकवास न करता हो।
- अपने काम से काम रखता हो।
- अगर दो-तीन दिन के लिए आया है तो थोड़ा काम में हाथ बंटा दे।
- कुछ देर के लिए आया हो तो चाहे काम ना करवाएं।
- मेहमान बनकर ही रहें।
तीन दिन मेहमान चौथे दिन हैवान
तीन दिन मेहमान चौथे दिन हैवान यानि आतिथ्य थोड़े ही दिन का अच्छा होता है। आप किसी के घर पर मेहमान बनकर जा रहे हैं तो कुछ दिनों के लिए ही आप मेहमान होते हैं। ज्यादा दिन कहीं पर रुकना अपने सम्मान को हानि पहुंचाने के बराबर होता है।
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मेहमान कब बनता है गले का फांस
आजकल लोगों की दिनचर्या इतनी व्यस्त हो गई है कि मेहमान नवाजी के लिए समय निकाल पाना बहुत मुश्किल काम है। और फिर कभी फलानी कभी ढ़िमकानी घर पर आए ही रहते हैं, मेहमान बनकर या यूं कहे गले का फांस बनकर। रोज-रोज किसी का घर पर आ जाना भी अखरने लगता है। आप मुंह उठाकर किसी के घर चले जाते हैं। बिना बात के किसी का काम खोटी करवाते हैं। पिछले हफ्ते तो मिले ही थे और अगले रविवार को फिर आ टपके। ऐसे में आप किसी को अच्छे थोड़ी लगते हो। काम से जा रहे हैं या कोई बुला रहा है, तो कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन आप बिना बुलाए, बिना मतलब के किसी के घर बार-बार जा रहे हैं तो ये अगले पर जुल्म ढ़हाने के बराबर है।
शैतान मत बनो भई!
आपने वो मुवी तो देखी ही होगी अतिथि देवो भव। अगर मेहमान ऐसा हो, जो हर बात में रोका-टोकी, हर खाने में नुक्स निकाले, आपको जज करे, आपके पहनावे को जज करे तो कैसा होगा। राम बचाए ऐसे मेहमानों से। आतिथ्य सत्कार उनका ही होता है, जो अतिथि बनकर आते हैं। वो ही मेहमान अच्छे लगते हैं, जो मेहमानों की तरह रहते हैं। बिना बात की ताका-झाकी करने वाले मेहमान नहीं होते। माफ करना अगर किसी भाई,बहन, दोस्त को बुरा लगा हो तो, लेकिन ये बताना बहुत जरुरी था। कोई और फिर आपको ये कहता कि बहुत हुआ अतिथि देवो भव, अब तुम जाओ भई। ये कहलवाना घनघोर बेईज्जती वाला काम होता। इसलिए इस लेख के माध्यम से मैंने आपको समझाने का छोटा सा प्रयास किया है। किसी के घर पर जाओ तो ये बात हमेशा ध्यान में रखनी है तीन दिन मेहमान चौथे दिन हैवान।
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