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ऊंचाई का नाम लेते ही बहुत से लोग कांपने लगते हैं। बहुत से लोगों को ज्यादा ऊंचाई से डर लगता है। ऊंचाई पर जाने से ही नहीं इसके बारे में सोच लेने से भी बहुत से लोगों को परेशानी हो जाती है। दरअसल ये एक प्रकार का फोबिया होता है। आज के लेख में जानते हैं कि इसको कैसे ठीक किया जा सकता है और ये क्यों होता है।

एक्रोफोबिया(  ऊंचाई से डर) क्या होता है?

मनोवैज्ञानिक डॉक्टर श्वेता शर्मा ने एक वेबसाइट को इस बारे में जानकारी दी है। उनका कहना है कि कई लोगों को ज्यादा ऊंचाई से बहुत डर लगता है। हाईट से डर के इस फोबिया को एक्रोफोबिया कहा जाता है। ये कोई गंभीर समस्या नहीं है। ये आम बात है। ज्यादातर महिलाओं को ये फोबिया होता है।

जब हम बच्चे होते हैं, तभी से ये डर हमारे अंदर होता है और धीरे-धीरे युवावस्था में आने तक ये डर हम पर हावी हो जाता है। बहुत बार ऐसा भी होता है कि लिफ्ट के ऊपर जाने पर भी लोगों को डर लगने लगता है। जैसे-जैसे लिफ्ट ऊपर जाती है वैसे-वैसे व्यक्ति को चक्कर आने लगते हैं या उल्टियां होने लगती है। ये फोबिया एंग्जायटी डिसऑर्डर की कैटेगरी में आता है। इसमें व्यक्ति को जरुरत से ज्यादा डर लगता है।

ऊचांई से डर यानि एक्रोफोबिया होने का कारण

एक्रोफोबिया लोगों को क्यों होता है इसका सटीक कारण अभी तक पता नहीं लग पाया। बहुत से लोगों में ये डर बचपन से ही देखा जाता है। बड़े होने के साथ-साथ ये डर खत्म होने की बजाए बढ़ता जाता है। कई मामलों में व्यक्ति के साथ ऐसा कोई हादसा हुआ हो जो ऊंचाई से संबंधित हो, या फिर किसी को गिरते हुए देखा हो, या खुद गिरा हो। ऐसे मामलों में एक्रोफोबिया होना स्वाभाविक हो सकता है। 3से 6 प्रतिशत लोगों को ही ये फोबिया होता है। हर केस में अलग-अलग कारण होता है और उसी के हिसाब से आगे की थेरेपी की जाती है।

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एक्रोफोबिया के लक्षण

  • इस फोबिया के लक्षण शारीरिक और मानसिक रुप से देखने को मिलते हैं।
  • इसमें व्यक्ति को पैनिक अटैक आने का संभावना ज्यादा हो जाती है।
  • ऊंचाई में होने पर व्यक्ति की हार्ट रेट तेजी से बढ़ने लगती है।
  • इंसान असहज होने लगता है।
  • मानसिक तौर पर दिमाग एक जगह नहीं रहता।
  • इंसान खुद के ऊपर से अपना कंट्रोल खोने लगता है।
  • इंसान को ये लगता है कि वो किसी भी समय गिर सकता है।

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ऊंचाई से डर का इलाज

  • एक्रोफोबिया यानि ऊंचाई से डर का इलाज पूरी तरह से संभव है।
  • इसमें साइकोथेरेपी कारगर साबित होती है।
  • साइकोथेरेपी में एक्सपोजर थेरेपी दी जाती है।
  • इसमें धीरे-धीरे इंसान को उस स्थिति में सहज फील करवाने की कोशिश की जाती है।
  • व्यक्ति को धीरे-धीरे ऊंचाई वाली जगह पर ले जाकर स्थिति को फेस करवाया जाता है।
  • एक्सपोजर को धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है।
  • इंसान को महसूस करवाया जाता है कि वो ऊंचाई पर भी वो सुरक्षित है।
  • जिन मामलों में व्यक्ति को ज्यादा दिक्कत होती है उनको दवाइयों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
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