WhatsApp Group Join Now

दुनिया में एक जनजाति ऐसी भी है, जो सुंदर दिखने के लिए अजीबोगरीब कारनामे करती है। इंडोनेशिया मेंतावई ट्राइब का सुंदरता को लेकर अजीब रिवाज है। सुमात्रा, इंडोनेशिया के पश्चिमी आईलैंड्स में यह जनजाति रहती है। पुरी दुनिया में इनके ये खतरनाक रिवाज फेमस हैं। बहुत से फोटोग्राफर और शोध करने वाले लोग इन जनजातियों के जिंदगी से जुड़े कई राज शेयर करते हैं। सुंदर दिखने के लिए ये जनजाति अजीब तरीके के स्टंट करती है।

महिलाओं के घिसे जाते हैं दांत

मेंतावई ट्राइब की महिलाओं को सुंदर दिखाने के लिए दांत पत्थर से घिस दिए जाते हैं। सुंदर दिखने के लिए किया जाने वाला ये कारनामा सुनकर आप हैरान जरुर हो सकते हैं। लेकिन इस जनजाति के लोग दांत को घिसवाने के लिए दंतचिकित्सक के पास नहीं जाते, बल्कि खुद ही पत्थर से दांत घिस लेते हैं। यहां प्यूबर्टी आते ही लड़कियों के दांतों की घिसाई कर दी जाती है। दांतों को नुकीला बनाने के लिए हथौड़ा, पत्थर आदि औजारों का इस्तेमाल कर एक-एक दांत घिसा जाता है।

https://www.instagram.com/p/CMVxd6Xl6sw/

शरीर पर बनवाएं जाते हैं टैटू

इस जनजाति के लोगों का मानना होता है कि सुंदरता अपने आप नहीं होती, सुंदर बना जाता है। स्किन की सुंदरता अपने आप नहीं आती है। यहां के लोग महिलाओं के शरीर पर बहुत सारे टैटू भी खुदवा देते हैं। इस जनजाति की महिलाओं को सुंदर दिखने के लिए बहुत सारे दर्द से गुजरना पड़ता है।

नुकीले दांत वाली महिलाओं को किया जाता है पंसद

यहां पर महिलाओं को सुंदर दिखने के लिए कई यातनाओं से होकर गुजरना पड़ता है। इस जनजाति के लोगों का मानना है कि नुकीले दांत वाली महिला ज्यादा खुबसूरत होती है। जिस महिला के ज्यादा नुकीले दांत होते हैं, उसे ही यहां के पुरुष पंसद करते हैं। ये  सभी रिवाज यहां बिना एनेस्थीसिया के निभाएं जाते हैं।

मेंगिकी जीजी है रिवाज का नाम

दांत घिसने की इस रिवाज को यहां मेंगिकी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है दांतो की घिसाई, या कटाई। दांतो की घिसाई करते समय औजारों को अच्छे से पैना कर लिया जाता है, ताकि काम आसानी से और जल्दी हो जाए। स्थानीय शमाम इस कार्य को करता है। दांतो की घिसाई करते समय महिला को किसी भी तरह से बेहोश नहीं किया जाता।

ये भी पढ़े-वैज्ञानिक तरीके से नींबू की खेती कर कमाएं लाखों

प्रकृति के करीब रहती है ये जनजाति

ये जनजाति बहुत पुरानी मानी जाती है। मेंतावई ट्राइब की भाषा भी अलग है। यहां के लोग पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर करते हैं। खान-पीन ज्यादातर फलों,पेड़ों और जानवरों पर निर्भर करता है। ये जनजाति प्रकृति के करीब रहने की कोशिश करती है। इस जनजाति के लोगों का मानना है कि सुंदर दिखने से आत्मा शरीर को छोड़ती नहीं है।

WhatsApp Group Join Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *