बच्चे की परवरिश पर निर्भर करता है कि उसका किरदार कैसा होगा। व्यस्त दिनचर्या में हम अपने बच्चों के साथ समय बिताना भूल चुके हैं। बच्चों को जरूरी संस्कार नहीं सीखा रहे हैं, जो भविष्य के लिए जरूरी है। हम सब चाहते हैं कि हमारा बेटा भी राम की तरह हो, लेकिन उसे सीखा नहीं रहे हैं। हम अपने बच्चों से धीरे-धीरे दूरी बनाते चले जा रहे हैं। अगर आप भी अपने बच्चों का भविष्य बेहतर बनाना चाहते हैं, उसे एक अच्छा इंसान बनते देखना चाह रहे हैं, तो ये लेख आपकी मदद कर सकता है।
बच्चे को सिखाएं ये संस्कार
विनम्र रहना
बच्चा की परवरिश करना एक चुनौती भरा काम है। बच्चा वही सब सीखता है, जो वो देखता है। इसलिए अपने बच्चे के सामने सदा विनम्र बन रहे। बच्चे को भी विनम्र रहना सीखाएं। ये गुण आपके बच्चे के भविष्य में बहुत काम आएगा।
झूठ न बोलना
अक्सर कहा जाता है कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठ बोलने से पाप लगता है। अपने बच्चों को हमेशा ये सिखाने का प्रयत्न करें कि झूठ नहीं बोलना चाहिए और न ही झूठे लोगों का साथ देना चाहिए। ये ध्यान रखे कि आप भी अपने बच्चों के सामने कभी झूठ न बोलें।
मित्रता निभाना
बच्चे को सही और गलत की परख करने के साथ-साथ सच्ची मित्रता निभानी सिखानी चाहिए। आप उसे कहानी सुना सकते हैं। बता सकते हैं कि कभी भी अपने दोस्त के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। मित्रता निभाना अच्छे इंसान का सबसे अच्छा गुण होता है।
धैर्य रखना
अपने बच्चे को हमेशा ये बताने का प्रयत्न करें कि सब्र का फल मीठा होता है। उसे धैर्य रखना सीखाएं। ये बताएं कि जल्दबाजी किसी भी कार्य के लिए सही नहीं होती । विपरित परिस्थितियों में अगर आपका बच्चा धैर्यवान बन जाता है तो उसे जिंदगी में कोई हरा नहीं सकता।
समय का सदुपयोग करना
बच्चे को हमेशा छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से ये बताने का प्रयत्न करें कि ये जीवन बहुत अनमोल है। हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए।
दूसरों की मदद करना
दूसरों की मदद करना सबसे अच्छा गुण माना जाता है। निस्वार्थ भाव से अगर किसी की मदद की जाती है, तो हमें इसका फल जरूर मिलता है। बच्चों में ये आदत विकसित करें। उनको मदद करना सिखाएं।
जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना
अपने बच्चे के सामने उसके भविष्य को लेकर योजनाएं बनाएं। उससे इस बारे में बात करें। बच्चे को सिखाएं की अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करे।
हार नहीं माननी
मन के हारे हार और मन के जीते जीत है अपने बच्चों को ये सिखाने का प्रयास करें। उन्हें ये बताएं कि दुनिया में आपको कोई नहीं हरा सकता सिवाए आपके मन के । अगर आप मन में हार मान लेते हैं, तो हार निश्चित है और मन में जीत का निश्चय कर लेते हैं, तो जीत निश्चित है।
पाठकों की राय
बच्चों को न दें फोन
फरीदाबाद से उर्मिला का कहना है कि बच्चों को संस्कार सिखाना बहुत जरूरी है। लेकिन आजकल माता-पिता बच्चों को फोन हाथ में देकर काम पर लग जाते हैं। वो ये भूल जाते हैं कि बच्चे पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से आप अपने बच्चों में संस्कार विकसित कर सकते हैं।
बचपन में ही सिखाएं बुजुर्गों का सम्मान करना
दिल्ली से पुष्पा देवी का कहना है कि हम बच्चे के सामने जैसा बिहेव करते हैं, बच्चा वैसा ही बन जाता है। हम चाहते हैं कि बच्चा बड़ा होकर हमारा सम्मान करे, तो हमें बचपन में ही उसको ये सिखाना होगा। बच्चों के सामने हम गाली-गलौच करेंगे तो बच्चा भी यही करेगा।