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औरत और पुरूष सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों ही मिलकर समाज का निर्माण करते हैं। दोनों से मिलकर समाज चलता है। लोगों की धारणा है कि एक औरत ही औरत की दुश्मन है। औरत का औरत के प्रति बिहेव सही नहीं रहता है। एक महिला दूसरी महिला को नीचा दिखाने की ज्यादा सोचती है। लोगों का मानना है कि महिलाओं को आपस में एक दूसरे से जलन होती है।

महिलाओं के एक दूसरे से जलने के व्यवहार को लोग स्वाभाविक बताते हैं। असली बात में आज हमने कुछ युवाओं से इस बारे में बात की है। हमने उनके विचार इस मुद्दे पर जानने चाहे कि क्या वास्तव में आपको लगता है कि एक औरत दूसरी औरत के साथ लागबाजी करती है या दूसरी औरत को देखकर खुश नहीं होती। चलिए पढ़ते हैं लोगों ने क्या कहा है।

औरतों में खींचातानी हमेशा रहेगी

शिवानी, फरीदाबाद

“एक औरत ही औरत की दुश्मन होती है। ये बात गौर से सोचते हैं तो हास्यस्पद लगती है” ऐसा कहना है फरीदाबाद से शिवानी का। सबसे बड़ा कारण इसका ये है कि दुश्मनी एक ऐसी चीज है जो रंग, जाति, लिंग, वर्ण से ऊपर है। औरतों में दुश्मनी घर, ऑफिस या बाहर कहीं भी देखी जा सकती है। जहां घर में एक सास-बहू, बहू-ननद, यहां तक की मां बेटी में भी हो सकती है। वहीं ऑफिस में सीनियर जूनियर, लेडी बॉस और कर्मचारी के बीच दिखती है। समाज चाहे कितना प्रोग्रेस करे, लेकिन ये खींचातानी तो हमेशा ही रहेगी।

सीरियल और फिल्में बनाती हैं इस धारणा को मजबूत

मयूर शर्मा, रोहतक

रोहतक से मयूर शर्मा का कहना है कि औरत ही औरत की दुश्मन है।ये एक ऐसा विषय है जिस पर जितनी भी चर्चा करो वो कम है, क्योंकि ऐसी धारणाओं के मजबूत होने में टीवी सीरियल, फिल्में, गाने, कहानी और आस-पड़ोस की खाली बैठी औरतों की अहम भूमिका होती है। हांलांकि एक औरत ही होती है जो सास बनने के बाद अपनी बहू से बेटा पैदा करने की उम्मीद रखती है, वो ही बहू अपनी भाभी को लेकर अपनी मां से चुगली करती है। पर ये सब संभव होने की आशंकाएं तब ज्यादा है, जब वो महिला नौकरी ना करती हो और सिर्फ इधर उधर की बातों में ध्यान रखती हो ।

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समझ के बाद भी सास-बहू में होती है तकरार

ओमबीर, भिवानी



भिवानी से ओमबीर का कहना है कि “दोनों के बीच का रिश्ता प्यार और दुश्मनी दोनों का हो सकता है। अगर रिश्ता मां-बेटी का हो तो मां दुश्मन नहीं दुनिया का सबसे प्यारा रिश्ता होता है और अगर रिश्ता दोनों के बीच सास – बहू का हो तो चाहे दोनों के बीच कितनी अच्छी समझ हो, लेकिन सब एक दूसरे को दुश्मन समझेंगे।” ओमबीर का कहना है कि सास- बहु के रिश्ते में समझ होने पर भी बहस होना स्वाभाविक होता है।

महिलाओं को घर से करनी होगी शुरूआत

अमित राव, रेवाड़ी



रेवाड़ी से अमित राव का कहना है कि कहने को हम 21 वीं सदी में जी रहे हैं। देश आगे बढ़ रहा है। नए – नए आविष्कार हो रहे हैं। लेकिन हमारा समाज आज भी वहीं है। समाज नहीं बदल रहा है और न ही लोगों की सोच। अमित का कहना है कि घर पर ही दुश्मन भरे बैठे हैं जैसे सास-बहु की आपस में नहीं बनती ये लगभग हर घर की कहानी। बहुत बार भाभी ननद को देखकर खुश नहीं होती और ननद भी भाभी के साथ भेदभाव करती मिल जाती है। देवरानी-जेठानी का रिश्ता ले लो। शुरुआत घर से ही होती है और इसे इन्हीं रिश्तों में मिठास लाकर बदलना होगा।

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बेस्ट फ्रेंड से भी जलती हैं लड़कियां

रानी शर्मा, हिसार



हिसार से रानी का कहना है मुझे लगता है कि औरत बहुत मामलों में दूसरी औरत को नीचा दिखाने की कोशिश करने लगती है। एक औरत नहीं चाहती कि दूसरी औरत उससे आगे निकल जाए। बहुत बार बेस्ट फ्रेंड के नंबर ज्यादा आने पर भी जलन होने लगती है। बहन की ड्रेस ज्यादा सुंदर लगती है तब भी ये हो जाता है कि उसकी ज्यादा सुंदर है। औरत का स्वभाव बहुत बार ऐसा हो जाता है। ऑफिस में भी ऐसा देखा जा सकता है दूसरे सहयोगी के ज्यादा अच्छा काम करने पर जलन हो जाती है। जबकि लड़कों में ये सब बहुत कम देखने को मिलता है।

मां भी डाल देती है करियर में रुकावट

पूनम, हिसार

जब एक लड़की अच्छी पढ़ाई कर लेती है, तो वो ये उम्मीद करती है की कोई बड़ी नौकरी करे पर ऐसे मे उसे घर से बाहर ही जाना पड़ेगा और उसे रोकने वाली कोई और नही बल्कि उसी की माँ होती है। लड़की को किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने से रोकने वाली उसकी माँ, दादी, नानी, बड़ी बहन, ताई, चाची, बुआ यही तो होती हैं। जो कहती हैँ की अगर तुम बाहर रहकर नौकरी करोगी तो लोग क्या कहेंगे और ये लोग कोई दूसरे नही बल्कि यही औरतें होती हैं। एक ननद भाभी को तरक्की करते देख जलती है तो वंही भाभी अपनी ननद का सुखी जीवन बर्दाश्त नही कर पाती है।

नोट – सम्बंधित लेख में दिए गए सभी विचार निजी हैं। दी यूनिक भारत किसी के भी निजी विचारों का समर्थन नहीं करता है।

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