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Panchagavya-पंचगव्य का प्रयोग भारतीय कृषि क्षेत्र में प्राचीन समय से होता आ रहा है। ये एक पांरपरिक जैविक उर्वरक है। पंचगव्य का प्रयोग बागवानी में करना लाभप्रद है। बहुत से लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है।

आज के इस लेख में हम आपको पंचग्वय क्या और इसको कैसे बनाया जाता है, इस बारे में जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं, पचंगव्य के फायदे और नुकसान के बारे में भी।

क्या है पंचगव्य(What Is Panchagavya)

  • ये देशी गाय के गोबर, मूत्र, घी, दूध, दही से बनाई जाती है।
  • ये जैविक उर्वरक है, जिसका प्रयोग पौधों में किया जाता है।
  • इसमें केला या गुड़ भी मिलाया जा सकता है।
  • नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम इसमें होता है।

पंचगव्य उर्वरक पौधों में डालने के फायदे(Benefits of applying Panchagavya fertilizer to plants)

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  • ये मिट्टी की संरचना में सुधार करता है।
  • कीटों को पौधों से दूर रखने का काम करता है।
  • उत्पादन को बढ़ाता है।
  • फल और सब्जियों की गुणवत्ता में सुधार करता है।
  • पौधों को पर्यावरणीय तनाव सहन करने के काबिल बनाता है।
  • ये उर्वरक गार्डन के लिए काफी अच्छा माना जाता है।
  • पंचगव्य मिट्टी को लाभकारी सूक्ष्मजीवों से समृद्ध करता है।
  • इसको आप घर में आसानी से तैयार कर सकते हैं।
  • इसपर ज्यादा लागत नहीं आती है।

पंचगव्य उर्वरक तैयार करने के लिए जरुरी सामग्री(Ingredients required to prepare Panchgavya fertilizer)

  • देसी गाय का गोबर – 10 कि.ग्रा.
  • देसी गाय का मूत्र – 3 लीटर
  • देसी गाय का दूध – 2 लीटर
  • गाय का दही – 2 लीटर
  • गाय का घी – 1 किलो
  • गुड़ – 2 किलो
  • पानी – पर्याप्त मात्रा में
  • केला – 12 पके केले (आप चाहें तो प्रयोग कर सकते हैं)
  • नारियल पानी – 2 लीटर (आप चाहें तो प्रयोग कर सकते हैं)

पंचगव्य तैयार करने की विधि(Method of preparing Panchgavya)

  • आप बड़े कंटेनर में गोबर इकट्ठा कर लें।
  • इसमें गाय का मुत्र, दुध, दही, घी आदि डालें।
  • आप गुड़ का घोल बनाकर इसमें डालें।
  • ये गुड़ किण्वन के दौरान लाभकारी कीटाणुओं को आकर्षित करता है।
  • इसमें आप चाहें, तो केले और नारियल पानी भी मिला सकते हैं।
  • किसी लकड़ी की सहायता से इन चीजों का अच्छे से मिला लें।
  • कंटेनर को साफ कपड़े से ढ़क दें।
  • आप हवा पास होने के लिए छोटा सा होल इसमें रखें।
  • कंटेनर को आपको धूप से बचाकर छाया वाली जगह पर रखना है।
  • सीधी धूप किण्वन की प्रक्रिया को प्रभावित करती है।
  • आप 15 से 30 दिनों तक इस घोल को छोड़ दें।
  • रोज इस मिश्रण में छड़ी चलाएं।
  • पंचगव्य में खट्टी मिट्ठी सुगंध आने लगे और मलाईदार स्थिरता आ जाए, तो ये तैयार हो जाता है।

पौधों में पचंगव्य डालने का तरीका(Method of adding Pachangavya to plants)

  • पंचगव्य घोल को पहले अच्छी तरह से मिला लेना है।
  • आपको घोल को छलनी या कपड़े से छान लेना है।
  • एक भाग पंचगव्य और दस भाग पानी का मिलाना है।
  • इस लिक्विड फर्टिलाइजर को शाम या सुबह के समय पौधों में दें।
  • 10 से 15 दिन के अंतराल में इसका छिड़काव आप कर सकते हैं।
  • सब्जियों के ग्रोइंग समय में इसका प्रयोग करें।

पंचगव्य का छिड़काव करते समय बरतें सावधानी(Be careful while spraying Panchgavya)

  • फूल आने के समय में इसका छिड़काव नहीं करना चाहिए।
  • पॉलिनेशन में समस्या पैदा पंचगव्य कर सकता है।
  • दोपहर के समय इसका प्रयोग नहीं करना है।
  • आप पत्तों पर छिड़काव करने की बजाए मिट्टी में ये डालें।
  • ध्यान रहें पत्तेदार सब्जियों में इसका प्रयोग बेस्ट रहता है।
  • गाजर, मूली जैसी जड़ वाली सब्जियों में भी ये सही रहता है।
  • बता दें कि आप छोटे स्तर पर भी ये अपनी आवश्यकतानुसार बना सकते हैं।

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